Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    काशी के ठाठ ये गंगा के घाट : शीतला मंदिर से मिली घाट को पहचान

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 21 Jun 2018 03:14 PM (IST)

    वाराणसी स्थित शीतला घाट पर वर्ष भर आस्थावानों की भीड़ लगी रहती है।

    काशी के ठाठ ये गंगा के घाट : शीतला मंदिर से मिली घाट को पहचान

    वाराणसी : गंगा की अनंत कथाओं में गंगोत्री से लेकर गंगा सागर और घाटों से लेकर मंदिरों तक की पहचान आस्थावानों में युगों से बनी हुई है। कुछ इसी तरह की ही पहचान काशी के चौरासी प्रमुख गंगा तट स्थित घाटों की भी है। इसी कड़ी में शीतला घाट का भी खासा महत्व माना जाता है। हालांकि इसे आज भी स्थानीय लोग दशाश्वमेधघाट का ही हिस्सा मानता है। मान्यता है कि अठ्ठारहवीं सदी की शुरुआत में मध्यप्रदेश के इंदौर रियासत की रानी अहिल्याबाई होल्कर ने घाट का पुनर्निमाण कराया और इसे पक्का स्वरूप देते हुए श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए अनेक कार्य कराए, जिससे यहां दूर दराज से आने वालों के लिए काफी सहूलियत हो गई। पहले यह हिस्सा दशाश्वमेध घाट के अंर्तगत आता था। मगर घाट के निर्माण के कुछ वर्षो बाद यहां शीतला माता मंदिर की स्थापना की गई। जिसका फिर कालांतर में नाम शीतला घाट ही पड़ गया जो आज तक उसी नाम से ही पहचाना जाता है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    शीतला मंदिर अपनी स्थापत्य कला की वजह से विशेष पहचान रखता है। चैत्र और शारदीय नवरात्रि में यहां पर आस्थावानों की भीड़ होती है, घाट पर ही लोग स्नान-दान कर पुण्य की कामना करते हैं। वैसे तो वर्ष भर यहां लोगों की भीड़ रहती है मगर धार्मिक आयोजनों में खासकर घाट पर लोगों की भीड़ अधिक होती है।

    घाट पर ही विभिन्न ¨हदू धर्म से जुड़े विभिन्न संस्कारों को पूरा करने की मान्यता है। देवदीपावली और गंगा दशहरा के साथ अन्य प्रमुख आयोजन भी घाट पर होते हैं। घाट पर देश विदेश के पर्यटकों और श्रद्धालुओं के वर्ष भर आने जाने का क्रम चलता रहता है। राज्य सरकार ने आजादी के बाद घाटों के संरक्षण के क्रम में यहां भी निर्माण कराया। हालांकि समय समय पर घाट को भव्य स्वरूप देने के लिए निर्माण होते रहे हैं। घाट पर मान्यताओं को लेकर लोगों के आने का क्रम वैसे तो वर्ष भर बना रहता है मगर शीतला अष्टमी व माता शीतला से जुड़े विविध धार्मिक अनुष्ठानों का क्रम वर्ष भर जारी रहता है।