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    स्वर्णिम चतुर्भुज के एनएच-2 पर अनदेखी की कालिख, शेरशाह सूरी ने बनवाई थी यह सड़क, पेशावर से बंगाल तक होता था कारोबार

    By Saurabh ChakravartyEdited By:
    Updated: Fri, 06 Dec 2019 02:26 PM (IST)

    राष्ट्रीय राजमार्ग दो यानी एनएच-2 का ऐतिहासिक महत्व है। काशी के दक्षिणी छोर से गुजरे राष्ट्रीय राजमार्ग को शेरशाह सूरी ने बनवाया था।

    स्वर्णिम चतुर्भुज के एनएच-2 पर अनदेखी की कालिख, शेरशाह सूरी ने बनवाई थी यह सड़क, पेशावर से बंगाल तक होता था कारोबार

    वाराणसी [रवि पांडेय]। राष्ट्रीय राजमार्ग दो यानी एनएच-2 का ऐतिहासिक महत्व है। काशी के दक्षिणी छोर से गुजरे राष्ट्रीय राजमार्ग को शेरशाह सूरी ने बनवाया था। यह पेशावर से बंगाल तक को जोड़ता है। ईंट से बनी यह सड़क आर्थिक व सामरिक के नजरिए से बेहद महत्वपूर्ण रही और आज भी है। अंग्रेजों ने इस सड़क को बेहतर बनाते हुए तारकोल व गिट्टी से आकार दिया और ग्रैंड ट्रंक यानी जीटी रोड का नाम दिया। पूर्व प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेयी की केंद्र में जब सरकार बनी तो उन्होंने पूरे देश को सड़क मार्ग से जोडऩे के लिए चतुर्भुज योजना का प्रस्ताव बनवाया। इसमें एनएच -2 को प्राथमिकता पर रखा गया। वर्षों की मेहनत के बाद जब यह फोरलेन बना तो घंटों की दूरी मिनटों में तय होने लगी लेकिन वर्तमान में फिर से हालात बदतर हो गए हैं। सिक्स लेन निर्माण के नाम पर तमाम बाधाएं खड़ी हो गई हैं। फोरलेन ध्वस्त हो गया है। वहीं संबंधित विभाग के अफसरों की अनदेखी ने स्वर्णिम चतुर्भुज में शामिल एनएच-2 की चमक पर कालिख पोत गई है।

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    आपकी हड्डियों का जोड़ हिल जाए

    राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या दो पर सफर कर रहे हैं तो आप आश्चर्य न करें जब आपकी हड्डियों का जोड़ हिल जाए। कमर से लेकर गर्दन तक तेज दर्द उठने लगे। हिचकोलों के बीच जब आप डाफी टोल टैक्स पर पहुंचे तो हाइटेक तरीके से आपसे टैक्स वसूल लिया जाए। जबकि, हकीकत तो यही है। पूर्वांचल की आर्थिक जीवन रेखा की रीढ़ कहा जाने वाले इस राजमार्ग पर पिछले कई सालों से गड्ढे में तब्दील होता जा रहा है।

    इसके लिए सड़क ही नहीं बल्कि संबंधित विभाग के जिम्मेदार अफसर हैं। ध्वस्त हो चुकी सड़क की पहचान जगह-जगह बने जर्जर पुल, सड़कों में बड़े बड़े जानलेवा गड्ढे बन गए हैं। हाल यह है कि सर्विस रोड लापता हो चुकी है तो पटरी व रोड सेफ्टी के नाम पर कुछ नहीं है। विकास कार्य की कछुआ गति का अंदाजा लगा सकते हैं कि बीते नौ वर्ष में अस्थाई टोल प्लाजा से काम चलाया जा रहा। प्रस्ताव में स्थाई टोल प्लाजा ने आकार लिया है लेकिन वह कागजों से जमीन पर नहीं उतर सका। स्थाई टोल प्लाजा 16 लेन का है जबकि अस्थाई टोल प्लाजा पर वर्तमान में आठ लेन ही है। जानकार बताते हैं कि 16 लेन के टोल प्लाजा पर जाम बिल्कुल नहीं लगता जबकि वर्तमान में वक्त-बेवक्त वाहनों की लंबी कतार लग जाती है। वाहन सवारों का कहना है कि इस सड़क पर सुविधा कुछ नहीं है जबकि टैक्स अनिवार्य रूप से लिया जा रहा है।

    सुविधा नहीं तो टैक्स भी नहीं

    टोल प्लाजा और सड़क बनाने वाली कार्यदायी संस्था अगर नियमानुसार सुविधा व सेवाएं नहीं दे रही है तो सरकार को टोल टैक्स भी नहीं लेना चाहिए। नियमानुसार छह लेन हाइवे पर 80 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से गाडिय़ां चलने के लिए चिकनी व रंगी-पुती सड़क होनी चाहिए लेकिन विश्वसुंदरी पुल से लेकर मोहन सराय तक जगह-जगह सड़क की ऐसी हालत है कि 30 किमी प्रति घंटा की रफ्तार में भी गाडिय़ां नहीं चल पाती हैं। डाफी, नरायनपुर (नुवांव), अमरा अखरी, लठियां, मोहनसराय में सड़क के साथ ही सर्विस रोड तक चलने लायक नहीं है। खास यह कि हाइवे पर स्पीड ब्रेकर दुर्घटना के कारण बनते हैं जबकि इस नियम की अनदेखी कर कई स्थानों पर स्पीड ब्रेकर बना दिया गया है।

    एक नजर में एनएच-2

    -16 लेन की प्लाजा के जगह 8 लेन से लिया जा रहा काम जो जाम की वजह

    -9 वर्ष में दोगुना से ज्यादा टोल टैक्स वसूली, सुविधा और सेवा नदारद

    -2 पुल अमरा अखरी और लठिया अधर में अटका

    -4 वर्ष से गड्ढों में तब्दील हो गई है सड़क

    -10 दिन में ही उखड़ जाता है पैच वर्क