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    काशी नागरीप्रचारिणी सभा में पिछले 15 वर्षों से चल रहे कानूनी विवाद का पटाक्षेप, चुनाव कराने का आदेश

    वाराणसी की हिंदी सेवी संस्‍था नागरीप्रचारिणी सभा में पिछले 15 वर्षों से चल रहे कानूनी विवाद का पटाक्षेप हो गया है। वाराणसी के उपजिलाधिकारी सदर नंद किशोर कलाल नेकमेटी को गैरकानूनी मानते हुए चुनाव के आदेश दिए हैं।

    By Saurabh ChakravartyEdited By: Updated: Tue, 29 Mar 2022 06:14 PM (IST)
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    वाराणसी के मैदागिन स्थित हिंदी सेवी संस्‍था नागरी प्रचारिणी सभा

    वाराणसी, जागरण संवाददाता। हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए 128 वर्ष पहले स्थापित नागरी प्रचारिणी सभा की प्रबंध समिति के चुनाव को लेकर जारी गतिरोध पर रोक लगाते हुए उप जिलाधिकारी (सदर) नंद किशोर कलाल ने चुनाव कराने का सोसाइटी एवं चिट फर्म के सहायक निबंधक को आदेश दिया है।

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    उप जिलाधिकारी ने प्रबंध समिति के वर्ष 2004 से 2007 के साधारण सभा के सदस्यों की सूची के आधार पर चुनाव कराने को कहा है। बीते वर्ष 2021को भी तत्कालीन उप जिलाधिकारी (सदर) ने चुनाव कराने का आदेश दिया था लेकिन इस इस आदेश से असंतुष्ट पक्ष ने हाईकोर्ट में आदेश को चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने फिर से त्वरित सुनवाई कर वाद निस्तारण का उपजिलाधिकारी (सदर) को आदेश दिया था। उपजिलाधिकारी ने तीसरे पक्षकार व्योमेश शुक्ल द्वारा प्रस्तुत आपत्ति स्वीकार करते हुए चुनाव कराने का आदेश दिया।

    प्रकरण के मुताबिक नागरी प्रचारिणी सभा के निर्वाचित प्रधानमंत्री सुधाकर पांडेय का 18 अप्रैल 2003 को निधन हो गया था। तत्पश्चात उनके पुत्र डा. पदमाकर पांडेय शेष कार्यकाल के लिए संस्था के प्रधानमंत्री मनोनीत किए गए। नौ जनवरी 2004 के चुनाव में आगामी तीन साल के लिए प्रबंध समिति का गठन किया गया, जिसका कार्यकाल जनवरी 2007 में समाप्त होना था। आरोप है कि नियमावली के अनुसार जनवरी 2007 में प्रबंध समिति का चुनाव कराया जाना चाहिए था, लेकिन डा. पदमाकर पांडेय द्वारा निर्धारित समयावधि में चुनाव नहीं कराया गया। नियमावली के अनुसार प्रधानमंत्री का काशी का होना अनिवार्य शर्त थी, लेकिन दिल्ली में रह रहे पदमाकर पांडेय संस्था के प्रधानमंत्री बन गए।

    प्रबंध समिति के चुनाव संबंधित विवाद को लेकर संस्था के पदाधिकारियों ने फर्म्स सोसाइटी एवं चिट्स कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई। संस्था के प्रबंध समिति संबंधित विवाद एवं संस्था की गतिविधियों से संबंधित विभिन्न शिकायतों के प्रकरण का निस्तारण करते हुए सहायक निबंधक ने 13 अक्टूबर 2010 को संस्था के समस्त मूल अभिलेखों को कार्यालय में जमा करने एवं प्रबंध समिति को पूर्ण कर वार्षिक अधिवेशन द्वारा एक तिहाई सदस्यों का चुनाव कराने का आदेश दिया था। बाद में शोभनाथ यादव एवं डा. पदमाकर पांडेय द्वारा स्वयं को संस्था का प्रधानमंत्री दर्शाते हुए नवगठित प्रबंध समिति को मान्यता देने की मांग की गई। दो समानांतर प्रबंध समिति द्वारा दावेदारी पेश करने से संस्था में प्रबंधकीय विवाद उत्पन्न हो गया। इस पर सहायक निबंधक द्वारा इस प्रकरण को वर्ष 2015 में उप जिलाधिकारी न्यायालय को संदर्भित कर दिया। सुनवाई के दौरान दो जनवरी 2021 को डा. पदमाकर पांडेय का निधन हो गया।

    तत्पश्चात उनके छोटे भाई डा. कुसुमाकर पांडेय उनकी जगह प्रतिनिधित्व करने लगे। उपजिलाधिकारी के न्यायालय में सुनवाई के दौरान शोभनाथ यादव और डा. पदमाकर पांडेय की ओर से एक-दूसरे की वैधानिकता को लेकर आरोप-प्रत्यारोप लगाए और अपने-अपने दावों के समर्थन में साक्ष्य प्रस्तुत किए। वहीं तीसरे पक्ष व्योमेश शुक्ल ने संस्था की नियमावली का हवाला देते हुए शोभनाथ यादव और डा. पदमाकर पांडेय द्वारा स्वयं को प्रधानमंत्री घोषित किए जाने को विधि-विरुद्ध बताया और नये सिरे से चुनाव कराने की मांग की। उपजिलाधिकारी ने शोभनाथ यादव और स्व. डा. पदमाकर पांडेय की ओर से प्रस्तुत दो समानांतर प्रबंध समितियों की सूची में विरोधाभास पाया एवं कालातीत होने के फलस्वरूप इन्हें स्वीकार योग्य नहीं माना। साथ ही इनके आपत्तियों के बलहीन होने के कारण प्रबंध समिति का चुनाव कराने का आदेश जारी कर दिया।