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संकटमोचन संगीत समारोह : सोनल मानसिंह के भावपूर्ण नृत्यांजलि से सजा हनुमत् दरबार

संकटमोचन संगीत समारोह की पहली निशा में ख्‍यात नृत्‍यांगना सोनल मानसिंह के भावपूर्ण नृत्‍यांजलि से हनुमत् दरबार सजा तो दर्शक भी भाव विभाेर नजर आए।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Tue, 23 Apr 2019 09:17 PM (IST)Updated: Wed, 24 Apr 2019 10:27 AM (IST)
संकटमोचन संगीत समारोह : सोनल मानसिंह के भावपूर्ण नृत्यांजलि से सजा हनुमत् दरबार
संकटमोचन संगीत समारोह : सोनल मानसिंह के भावपूर्ण नृत्यांजलि से सजा हनुमत् दरबार

वाराणसी, जेएनएन। दुनिया के अनूठे सांगीतिक अनुष्ठान संकट मोचन संगीत समारोह का मंगलवार शाम प्रभु श्रीराम मंदिर के नाम पहली हाजिरी से श्रीगणेश हो गया। पद्मविभूषण डा. सोनल मान सिंह ने हनुमत् प्रभु को प्रिय दिवस पर शुरू हुए महोत्सव में उनके आराध्य देव का अयोध्या में शीघ्र मंदिर निर्माण कामना से ओडिसी के भाव सजाए। देश-दुनिया से आए अन्य कलाकारों ने भी प्रभु श्रीराम के नाम प्रस्तुतियों से रात्रि पर्यंत हनुमत चरणों में संगीतांजलि समर्पित की।  

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डा. सोनल मान सिंह ने अपनी संस्था कामाख्या कला पीठ सेंटर फार इंडियन क्लासिकल डांसेज रेपेट्री ग्रुप के कलाकारों के साथ शक्ति आराधना की। शिव परिवार के सदस्यों व उनके वाहनों को हास्य रस में पिरोते हुए प्रदर्शित किया। इसमें कलह दिखाया तो परिवार को संयोजित रखने के लिए विषपान का संदेश भी पठाया। शिव के भोलेनाथ स्वरूप पर आधारित नृत्य में भस्मासुर व मोहिनी प्रसंग दिखाया। तीस अप्रैल को 75वें वर्ष में प्रवेश करने जा रहीं ख्यात नृत्यांगना ने मार्शल आर्ट पर आधारित उड़ीसा के छाऊ नृत्य की पूरे दल बल संग शानदार प्रस्तुति की। हनुमानाष्टक के भाव सजाते प्रस्तुतियों को विराम दिया। 

इससे पहले अमेरिका से आईं डा. येल्ला विजय दुर्ग ने कुचिपुड़ी में कीर्तन किया। वाल्मीकि रामायण के अरण्य कांड प्रसंग अनुसार श्रीराम-हनुमान मिलन का भावपूर्ण दृश्य सजाया। भगवान विष्णु के दशावतार की झांकी प्रस्तुत कर श्रीहरि की महिमा के बखान से रूबरू कराया। 

अहमदाबाद से आईं मंजू मेहता ने सितार वादन में मैहर घराने की विशेषताओं को पिरोया। आलाप व जोड़ का अद्भुत समन्वय करते हुए राग की शुद्ध व तालों का समावेश किया। भारत रत्न पं. रवि शंकर की शिष्या मंजू ने पद्मविभूषण पं. किशन महाराज के पुत्र पूरन महाराज की  तबला संगत में राग सरस्वती को जीवंत किया। आलाप जोड़, झाला व बंदिश की शानदार प्रस्तुति की। रूपक द्रुत बंदिश तीन ताल में प्रस्तुत करने के साथ अति द्रुत तीन ताल में झाला बजाकर विभोर किया। 

समारोह में पहले दिन का आकर्षण

डा. येल्ला विजय दुर्ग 

कुचिपुड़ी
डा. सोनलमान सिंह ओडिसी
मंजू मेहता  सितार वादन 
उल्हास कसालकर गायन
एस आकाश बांसुरी वादन
संदीपन समाजपति गायन
सुरेश तलवलकर तबला वादन
लोकेश आनंद-कपिल कुमार शहनाई

शास्त्रीय गायक उल्हास कसालकर ने राग वागेश्री में सुर लगाया। तिलवाड़ा विलंबित तीन ताल में बंदिश कौन करत तोरी बिनती पियरवा... को स्वर दिया। राग मारवा में तुम आए हो मेरे द्वार... समेत दो भजनों से मुग्ध किया। इसके अलावा बांसुरी वादक  एस आकाश, तबला वादक सुरेश तलवलकर, शहनाई वादक लोकेश आनंद व कपिल कुमार, शास्त्रीय गायक संदीपन समाजपति अपनी बारी के इंतजार में थे। महंत प्रो. विश्वम्भरनाथ मिश्र ने वर्ष भर बाद एक बार फिर हनुमत प्रभु के आंगन में संगीत रसास्वादन करने जुटे श्रद्धालुओं का स्वागत किया। संचालन पं. हरिराम द्विवेदी, प्रतिमा सिन्हा व सौरभ चक्रवर्ती ने किया। 


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