वाराणसी में राजकीय पुस्तकालय को अवस्थापना निधि की संजीवनी, संयुक्त शिक्षा निदेशक ने दिया प्रस्ताव
राजकीय पुस्तकालय को माडल लाइब्रेरी बनाने की दिशा में पहल तेज हो गई है। संयुक्त शिक्षा निदेशक की ओर से राजकीय पुस्तकालय (एलटी कालेज अर्दली बाजार) को आदर्श के रूप में विकसित करने के लिए कई कार्यों के बाबत प्रस्ताव बनाकर कमिश्नर दीपक अग्रवाल को सौंपा गया था।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। राजकीय पुस्तकालय को माडल लाइब्रेरी बनाने की दिशा में पहल तेज हो गई है। संयुक्त शिक्षा निदेशक की ओर से राजकीय पुस्तकालय (एलटी कालेज, अर्दली बाजार) को आदर्श के रूप में विकसित करने के लिए कई कार्यों के बाबत प्रस्ताव बनाकर कमिश्नर दीपक अग्रवाल को सौंपा गया था। कमिश्नर ने इसे गंभीरता से लेते विकास प्राधिकरण को पत्र जारी किया है कि अवस्थापना निधि से इसके लिए नियमानुसार कार्यवाही की जाए।
प्रमुख कार्यों के प्रस्ताव
संयुक्त शिक्षा निदेशक डा. प्रदीप कुमार की ओर से राजकीय पुस्तकालय भवन का अनुरक्षण, लघु निर्माण के साथ ही पेंटिंग कार्य की आवश्यकता बताई गई है। इसी के साथ ही वरिष्ठ नागरिक कक्ष एवं बाल कक्ष का विकास, पाठकों के उपयोग के लिए प्रतियोगी एवं संदर्भ पुस्तकों के साथ नवीनतम साहित्यिक पुस्तकों एवं बुकसेल्फ का क्रय, डिजिटल पुस्तकालय के विकास के लिए कंप्यूटर व अन्य उपकरण की आवश्यकता, नवीन हाल में टाइल्स एवं पोर्च का निर्माण और सुरक्षा के लिए बाउंड्रीवाल में कंटीले तार की व्यवस्था। सोलर पैनल तथा वाटर कूलर एवं प्यूरीफायर की व्यवस्था। पाठकों के अध्ययन के लिए कुर्सी व टेबल आदि की व्यवस्था।
इस्टीमेट के बाद पूर्ण होगा कार्य
अवस्थापना निधि से प्रस्ताव के सभी कार्य होने की बात कही जा रही है। बताया जा रहा है कि इस्टीमेट बनने के बाद टेंडर व अन्य कार्यवाही पूरी होगी। इसके बाद प्रस्ताव के तहत कार्य को आकार दिया जाएगा।
प्रतिदिन डेढ़ सौ बच्चे करते हैं अध्ययन
एक समय था जब राजकीय लाइब्रेरी में बच्चे अध्ययन के लिए नहीं आते थे। सिर्फ अधिकारी व यहां तैनात कर्मचारी सुबह 10 से शाम पांच बजे तक समय काटते थे। बेतरतीब रखी हुईं किताबें दीमक चाट रहे थे। पिछले दो साल में कमिश्नर दीपक अग्रवाल, डीएम कौशल अग्रवाल के दिशा निर्देशन में पुस्तकालय अध्यक्ष केएस परिहार की देख-रेख में राजकीय लाइब्रेरी को बहुत हद तक अपडेट कराया गया है। नियमित इस पुस्तकालय में एक 100 से 150 बच्चे अध्ययन कर रहे हैं। यही नहीं 45 से बढ़कर इस समय 1398 आजीवन यानी स्थायी सदस्य हो गए हैं।

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