Move to Jagran APP

याद आया बनारस का संवासिनी कांड, पुलिस ने बनाया दोषी तो सीबीआइ की क्लीनचिट

देवरिया में नारी संरक्षण गृह में देह व्यापार खुलासे के बाद बनारस में संवासिनी कांड की यादें भी ताजा हो गई हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 06 Aug 2018 12:52 PM (IST)Updated: Mon, 06 Aug 2018 01:50 PM (IST)
याद आया बनारस का संवासिनी कांड, पुलिस ने बनाया दोषी तो सीबीआइ की क्लीनचिट
याद आया बनारस का संवासिनी कांड, पुलिस ने बनाया दोषी तो सीबीआइ की क्लीनचिट

दिनेश सिंह, वाराणसी : देवरिया में नारी संरक्षण गृह में देह व्यापार का खुलासा होने के बाद एक बार फिर शहर का संवासिनी कांड याद आ गया। शिवपुर स्थित नारी संरक्षण गृह की संवासिनियों से अनैतिक देह व्यापार का धंधा कराये जाने की एसीएम (चतुर्थ) की रिपोर्ट पर 24 मई, 2000 को वहां की अधीक्षिका श्यामा सिंह समेत अन्य लोगों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई गई थी। तत्कालीन एएसपी डॉ. जीके गोस्वामी ने अलग-अलग चरणों में विवेचना पूरी करते हुए 14 आरोपितों के खिलाफ अनैतिक देह अधिनियम की धारा 3, 4, 5, 6, 8, 9 तथा 15 के तहत अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया था। इनमें कुछ नामचीन लोगों को भी आरोपित किया गया था। बाद में उक्त बहुचर्चित कांड की पुलिसिया जांच पर अंगुलियां उठने पर प्रदेश सरकार ने इसकी जांच सीबीआइ से कराने का आदेश दिया।

loksabha election banner

सीबीआइ ने 4 अप्रैल, 2001 को दिल्ली स्पेशल पोलिस इस्टेबलिशमेंट एक्ट की धारा 6 के तहत एफआइआर दर्ज कर अपनी विवेचना शुरू की थी। लगभग ढाई साल तक विवेचना करने के बाद सीबीआइ ने 12 अगस्त, 2003 को अदालत में अंतिम आख्या प्रेषित की। उस दौरान सीबीआइ ने लगभग चार सौ से ज्यादा गवाहों का बयान दर्ज किया। हाईकोर्ट से अनुमति लेकर उन संवासिनियों का कलम बंद बयान भी दर्ज किया, जिन्होंने पूर्व में पुलिस को भी कलमबंद बयान दिया था। पुलिस ने जहां आरोपितों को दोषी ठहराया वहीं सीबीआइ ने सभी को क्लीनचिट दे दी थी।

इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी कर रहे विशेष लोक अभियोजक एहतेशाम आब्दी ने पुलिस के आरोपपत्र के आधार पर आरोपियों पर आरोप निर्धारित करने की दलील दी थी, जबकि आरोपियों की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता श्रीनाथ त्रिपाठी व श्याम बिहारी दूबे ने सीबीआइ द्वारा दाखिल अंतिम आख्या के आधार पर आरोप से उन्मोचित (डिस्चार्ज) करने की अपील की थी। बचाव पक्ष की दलील थी कि प्रदेश सरकार के निर्णय पर ही सीबीआइ ने अदालत से अनुमति लेकर इस मामले की जांच की है। सीबीआइ की आख्या भी अभियोजन पत्र की आख्या है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.