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    संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय : संदेह के घेरे में 24 वर्षों का परीक्षा रिकार्ड, एसआइटी ने पूर्व कुलसचिवों को माना जिम्मेदार

    By Saurabh ChakravartyEdited By:
    Updated: Thu, 11 Mar 2021 08:30 AM (IST)

    संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के परीक्षा अभिलेखों में व्यापक पैमाने पर कटिंग हुई हैं। इन कटिंगों पर किसी भी जिम्मेदार अधिकारियों को हस्ताक्षर तक नहीं है। इसे देखते हुए विश्वविद्यालय की कार्य परिषद ही वर्ष 1985 से 2009 तक के परीक्षा अभिलेख संदिग्ध घोषित कर चुकी है।

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    संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के परीक्षा अभिलेखों में व्यापक पैमाने पर कटिंग हुई हैं।

    वाराणसी, जेएनएन। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के परीक्षा अभिलेखों में व्यापक पैमाने पर कटिंग हुई हैं। इन कटिंगों पर किसी भी जिम्मेदार अधिकारियों को हस्ताक्षर तक नहीं है। इसे देखते हुए विश्वविद्यालय की कार्य परिषद ही वर्ष 1985 से 2009 तक के परीक्षा अभिलेख संदिग्ध घोषित कर चुकी है। विश्वविद्यालय में पिछले 24 वर्षों का परीक्षा रिकार्ड संदेह के घेरे में है। इसके चलते कर्मचारी परीक्षा गोपनीय में कार्य करने से कतराते हैं।

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    संभवत: देश का यह पहला विश्वविद्यालय है जिसके टेबुलेशन रजिस्ट्रर  (टीआर) पर किसी भी अधिकारी के हस्ताक्षर नहीं है। इसके चलते परीक्षा अभिलेखों में हेराफेरी भी हुई है। टीआर के पन्ने बदल दिए गए हैं। परीक्षा अभिलेखों में हेराफेरी के लिए विशेष अनुसंधान दल (एसआइटी) ने नौ पूर्व कुलसचिवों को भी जिम्मेदार माना है। शासन के सौंपे रिपोर्ट में एसआइटी ने पूर्व कुलसचिव सहित 19 कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की है। एसआइटी का मानना परीक्षा अभिलेखों के रखरखाव की मुख्य जिम्मेदारी कुलसचिवों की होती है। इसके बावजूद कुलसचिवों ने टीआर पर हस्ताक्षर नहीं किया।

    एक कर्मचारी अब भी फरार

    विश्वविद्यालय पर परीक्षा अभिलेखों व अंकपत्रों के सत्यापन में हेराफरी का आरोप कोई नया नहीं है। इससे पहले सीबी-सीआइडी भी कर्मचारियों के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज करा चुकी है। फर्जीवाड़े में दो कर्मचारियों को जेल तक ही हवा खानी पड़ी थी। वहीं एक कर्मचारी अब भी फरार चल रहा है।

    वर्ष 2010 से टीआर पर हो रहे हस्ताक्षर

    वर्ष 2010 से टीआर पर अधिकारियों के हस्ताक्षर हो रहे थे। इसकी शुरूआत कराने के लिए तत्कालीन कुलपति प्रो. बिंदा प्रसाद मिश्र को काफी मशक्कत करनी पड़ी है। टीआर पर अधिकारियों के हस्ताक्षर होने के कारण वर्ष 2010 के बाद के परीक्षा अभिलेख कोई गड़बड़ी नहीं है।

    प्रकाशन घोटाले में की जद में कई अधिकारी

    दूसरी ओर एक दशक पुराने प्रकाशन घोटाले की भी जांच जारी है। विजिलेंस टीम ने इस संबंध में पूर्व कुलपति, पूर्व वित्त अधिकारी सहित 13 कर्मचारियों को नोटिस दे चुकी है। एक पूर्व कुलपति के बयान के अभाव में जांच अब भी लंबित है।