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    वाराणसी में साध्वी आस्था भारती संग कथा में शामिल संतों ने किया श्रीकाशी विश्वनाथ का दर्शन पूजन

    By Abhishek SharmaEdited By:
    Updated: Tue, 31 May 2022 10:53 AM (IST)

    वाराणसी जिले में दस साल आयोजित किए गए कथा के दौरान साध्वी आस्था भारती संग कथा में शामिल संतों ने श्रीकाशी विश्वनाथ का दर्शन पूजन किया है। साध्वी ने कहा विज्ञान से सभी सुख सुविधा लेकिन शांति तो ईश्वर की शरण में है।

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    वाराणसी में साध्वी आस्था भारती ने कथा का वाचन किया।

    वाराणसी, जागरण संवाददाता। नरिया स्थित रामनाथ चौधरी शोध संस्थान में चल रही सात दिवसीय भागवत कथा सम्पन्न हो गई। यह कथा 10 वर्ष बाद आयोजित हुई थी। लंबे अंतराल के बाद कथा सकुशल सम्पन्न होने पर कथा वाचक साध्वी आस्था भारती समेत अन्य संतों ने बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ का आभार जताया। बाबा दरबार में मंगलवार की सुबह दर्शन पूजन किया। इस मौके पर साध्वी आस्था भारती ने कहा कि विज्ञान से सभी सुख सुविधा मिल सकती है लेकिन शांति तो ईश्वर की शरण में ही मिलती है।

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    दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के तत्वावधान में आयोजित सप्ताहव्यापी श्रीमद भागवत कथा ज्ञानयज्ञ के सातवें दिन कथा व्यास महमनस्विनी विदुषी साध्वी आस्था भारती ने कहा कि मानव हर सुबह नींद से तो जागता है लेकिन अपने लक्ष्य के प्रति अज्ञानता की नींद से नही जग पाता। हाल में आयी कोरोना जैसी महामारी, आतंकी हमले, सुनामी, भूकंप जैसी त्रासदी हमे यह बतलाती है कि संसार की शक्ति और संसाधनों की भी एक सीमा है। हम कितने भी प्रकार के बीमा करा कर सुरक्षा कवच ले ले परन्तु मृत्यु से कोई भी कवच नही बचा सकता है। इसलिये अपने जीवन को सुरक्षित करने के बजाए उसे सजाने और संवारने में लगाना चाहिए। इसमें सबसे सर्वोत्तम निवेश भक्ति का है जो जीवन को जीते हुए भी परेशानियों का उत्तम समाधान देती है और जीवन के बाद भी मोक्ष को सुनिश्चित करती है। परमात्मा की भक्ति रूपी सुरक्षा कवच के प्रति भी हमे जागरूक होना होगा।

    साध्वी आस्था भारती ने कहा कि भागवत, पुराण और अन्य पौराणिक कथाएं आज भी मानव जीवन और समाज को सुंदर रूप देने के लिए उत्तम राह दिखाती हैं। समाज ईश्वर से जुड़कर शिवत्व की ओर बढ़ता है तथा ईश्वर से अलग हो शवत्व की ओर। जिस प्रकार कुछ ही समय में शव से दुर्गन्ध उत्पन्न होने लगती है, उसी प्रकार जब-जब भी समाज वास्तविक धर्म से दूर होता है तो उसमें भी भ्रष्टाचार, अत्याचार व आतंकवाद जैसे इत्यादि दुर्गन्ध उत्पन्न हो जाती है| यदि हम समाज को पुनः स्वस्थ बनाना चाहते हैं तो हमें उसकी हर एक इकाई को वापिस उसके मूल यानि शाश्वत धर्म से जोड़ना होगा| धर्म ही मानव मन की मलिनता को दूर कर व्यक्ति व समाज को सुंदर रूप प्रदान कर सकता है।

    हवन और भंडारे के साथ हुआ कथा का समापन : कथा के अंतिम दिन कथा समाप्ति पर विशाल हवन कुंड में यजमानों द्वारा आहुतियां दी गयी। भूदेवो द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के बीच यज्ञ कुण्ड में आहुति दी गयी। इसके उपरांत कथा स्थल पर विशाल भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमे हजारों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया।

    व्यासपीठ के पूजन में ये रहे शामिल : व्यासपीठ का पूजन बैजनाथ भालोटिया, विनोद भालोटिया, अरविंद भालोटिया ने सपत्नीक किया। संयोजन स्वामी अर्जुनानंद एवं स्वामी आदित्यानंद ने किया। इस अवसर पर उद्यमी आरके चौधरी, दीनानाथ झुनझुनवाला, सत्यनारायण झुनझुनवाला, सुरेश खेमका, रेनू केजरीवाल, रीता तुलस्यान, अरुण अग्रवाल, सुरेश तुलस्यान, सुमन सिंघी, विवेकानंद राय, मीना अग्रवाल, महेश चौधरी गंगा शाखा की निशा अग्रवाल, आरसी सेठ, छोटेलाल चौधरी, रवि जायसवाल, कौशल शर्मा आदि ने आरती उतारी।