वाराणसी: नदी-नालों के पुनरुद्धार की नई पहल
वाराणसी में नदी-नालों को पुनर्जीवित करने की योजना शुरू की गई है, जिसका उद्देश्य जल संसाधनों को बेहतर बनाना और पर्यावरण को स्वच्छ रखना है। पुराने और सूखे नदी-नालों को फिर से जीवित किया जाएगा, जिससे जल संचयन में मदद मिलेगी। प्रशासन ने इसके लिए बजट आवंटित किया है और वृक्षारोपण पर भी जोर दिया जाएगा।

वाराणसी में वरुणा नदी सहित अन्य नदी नालों को नए सिरे से संवारा जाएगा।
जागरण संवाददाता, वाराणसी : नगरीय क्षेत्र समेत तीन ब्लाकों के डार्क जोन में जाने के साथ ही जिले में तेजी से गिरते भूगर्भ जल स्तर को लेकर चिंतन के साथ मंथन भी शुरू हो गया है। अब प्लानिंग के तहत कार्य करने की तैयारी है।
बुधवार को विकास भवन के सभागार में कैच द रेन से संबंधित कार्यशाला में संस्था जर्मन डेवलपमेंट कारपोरेशन (जीआइ जेड) दिल्ली की ओर से जनपद में जल निकायों के मानचित्रण (वाटर मैपिंग बाडीज) को लेकर प्रजेंटेशन दिया गया। संस्था के प्रोग्राम मैनेजर कृष्णन त्यागी, तकनीकी सलाहकार जगदीश मेनन ने एक-एक ब्लाक में नदियों, नहरों, तालाबों समेत अन्य जल स्रोतों की स्थिति की पूरी जानकारी प्रस्तुत की।
मानचित्र द्वारा जनपद की समस्त ग्राम पंचायतों से होकर गुजरने वाली नदियों के अलावा नालों के बारे में बताया गया कि अगर प्लान के तहत कार्य किया जाए तो समस्त जल निकायों को उसके वास्तविक स्वरूप में लाया जा सकता है। वर्षा जल को अधिक से अधिक मात्रा में संरक्षित किया जा सकता है। गिरते भूगर्भ जलस्तर में खासा वृद्धि की उम्मीद है।
सीडीओ हिमांशु नागपाल ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि इस जानकारी के आधार पर शीघ्र कार्य योजना तैयार कर कार्य प्रारंभ कराना सुनिश्चित किया जाए। किसी भी स्तर पर देरी नहीं होनी चाहिए। अधिकारियों की ओर से नाद नदी समेत अन्य तालाबों पर हुए कार्यों के बारे में भी जानकारी साझा की गई।
इस दौरान जीआइ जेड संस्था ने जल निकायों के मानचित्रण को लेकर प्रस्तुतिकरण दिया गया तो बताया गया कि नगरीय क्षेत्र समेत जनपद के तीन ब्लाक डार्क जोन में शामिल हैं और सिर्फ दो सुरक्षित हैं।
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