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    BHU के वैज्ञानिकों ने तैयार की अनोखी डिवाइस, बिना खून लिए ही हो सकेगा ब्लड टेस्ट; पेट्रोल-डीजल में मिलावट भी बताएगा

    Updated: Tue, 22 Apr 2025 06:17 PM (IST)

    काशी हिंदू विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक अनोखा बायोसेंसर तैयार किया है जो बिना खून लिए ही डीएनए और बायोमार्कर टेस्ट कर सकता है। यह डिवाइस पेट्रोल-डीजल में मिलावट जल प्रदूषण खतरनाक रसायनों और विस्फोटकों की पहचान करने में भी सक्षम है। इसकी कीमत भी बहुत कम है जिससे आम लोग भी इसका इस्तेमाल कर सकेंगे।

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    BHU के भौतिकी विभाग की लैब सेंसर पर अध्ययन करते शोधार्थी।

    संग्राम सिंह, वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के विज्ञानियों ने एक ऐसा अनोखा बायोसेंसर तैयार किया है, जो न सिर्फ पेट्रोल-डीजल में मिलावट का पता लगाएगा, बल्कि पर्यावरण और सुरक्षा की निगरानी में मददगार सिद्ध होगा।

    यह डिवाइस जल प्रदूषण, खतरनाक रासायनिक तत्वों और विस्फोटकों की पहचान करने में सक्षम है। बेहद सस्ता होने से आम लोग भी इसका उपयोग कर सकेंगे।

    खास बात यह कि इस डिवाइस से बिना खून लिए ही DNA और बायोमार्कर टेस्ट संभव होगा। बायोमार्कर टेस्ट कैंसर या हृदय रोग जैसी कई गंभीर बीमारियों की पहचान करने में मदद करते हैं, लेकिन इसके लिए ब्लड टेस्ट कराना पड़ता है।

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    बीएचयू के भौतिकी विभाग के विज्ञानियों ने 'ब्रैग फाइबर वेवगाइड' तकनीक पर आधारित एक बायोसेंसर विकसित किया है। इसे पेटेंट भी मिल चुका है।

    यह सेंसर प्रकाश के माध्यम से पेट्रोल, डीजल, केमिकल, जैविक तत्वों और विस्फोटकों की पहचान कर सकता है। इस सेंसर की खास बात यह है कि इसकी लागत केवल 100 से 150 रुपये के बीच होगी, जिससे आम लोग भी आसानी से इसका इस्तेमाल कर सकेंगे।

    यह डिवाइस खून की एक बूंद लिए बिना ही डीएनए टेस्ट और रक्त में मौजूद बायोमार्कर जैसे यूरिक एसिड और हीमोग्लोबिन की जांच कर सकता है। स्किन पर लगाकर ब्लड प्रेशर और शरीर में कंपन की जानकारी भी मिलती है।

    यह वेवगाइड विशेष प्रकार की परतों से बना है, जिनके बीच प्रकाश की एक सीमित तरंगदैर्ध्य पर आवाजाही रुक जाती है। इसी सिद्धांत पर बायोसेंसर विशिष्ट तत्वों की पहचान करता है।

    जब सेंसर में प्रकाश डाला जाता है, तो वह खास तरंगदैर्ध्य पर प्रतिक्रिया देता है, जिससे यह तय होता है कि किसी रसायन में मिलावट है या नहीं।

    इस शोध में प्रो. विवेक सिंह के साथ प्रो. सुरेंद्र प्रसाद, डॉ. अंकिता श्रीवास्तव और डा. रितेश कुमार चौरसिया भी शामिल थे। फिलहाल इस माडल के आधार पर डिवाइस बनाने को लेकर कई कंपनियों से बातचीत चल रही है। उम्मीद है कि यह बायोसेंसर आने वाले समय में रोजमर्रा के कामों के लिए एक सस्ता और सुरक्षित समाधान साबित होगा।

    सस्ता होने से आम आदमी की पहुंच में होगा डिवाइस 

    इस डिवाइस के बेहद सस्ता होने से आम आदमी भी इसे अपने दैनिक कामकाज में इस्तेमाल कर सकेगा। ब्लड प्रेशर और खून की जांच आदि के लिए उसे किसी पैथोलाजी या अस्पताल जाने की आवश्यकता नहीं होगी। बार-बार खून नहीं देना होगा।

    इसके अलावा पेट्रोल और डीजल में मिलावट का पता लगाने के बारे में तो उपभोक्ता कभी सोच भी नहीं सकता। यह डिवाइस इसमें भी मददगार सिद्ध होगा। सेंसरयुक्त क्षमता के कारण विस्फटकों का पता दूर से लगाने में ही सक्षम होगा। डिवाइस के कोर में पांच दस बूंदे भी डाल देने पर मिलावट वाले पेट्रोल डीजल का रंग बदल जाएगा।

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