बीएचयू और आईआईटी-बीएचयू के शोधकर्ताओं को विश्व का पहला “बायोफीडबैक-सक्षम गर्दन आइसोमेट्रिक व्यायाम उपकरण” पेटेंट
वाराणसी में बीएचयू और आईआईटी-बीएचयू के संयुक्त शोध प्रयास से चिकित्सा क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल हुई है। भारतीय पेटेंट कार्यालय ने आधिकारिक रूप से पेटेंट संख्या 570592 प्रदान किया है जिसका शीर्षक है - बायोफीडबैक-सक्षम गर्दन आइसोमेट्रिक व्यायाम उपकरण। इससे प्रभावित लोगों को काफी सरलता से उपचार संभव हो सकेगा।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) और आईआईटी-बीएचयू के संयुक्त शोध प्रयास से चिकित्सा क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल हुई है। भारतीय पेटेंट कार्यालय ने आधिकारिक रूप से पेटेंट संख्या 570592 प्रदान किया है, जिसका शीर्षक है - बायोफीडबैक-सक्षम गर्दन आइसोमेट्रिक व्यायाम उपकरण। इसका काफी व्यापक लाभ प्रभावितों को मिल सकता है।
यह डॉ. शुभ्रेंदु शेखर पांडेय, असिस्टेंट प्रोफेसर, फिजियोथेरेपी, ऑर्थोपेडिक्स विभाग, चिकित्सा विज्ञान संस्थान (IMS), बीएचयू द्वारा, प्रोफेसर नीरज शर्मा, स्कूल ऑफ बायोमेडिकल इंजीनियरिंग, आईआईटी-बीएचयू तथा डॉ. प्रांशु चन्द्र भूषण सिंह नेगी, जो प्रोफेसर नीरज शर्मा के रिसर्च स्कॉलर के सहयोग से विकसित किया गया है।
उपकरण की विशेषताएं
यह विश्व का पहला उपकरण है जो गर्दन संबंधी दर्द एवं विकारों से पीड़ित रोगियों के पुनर्वास में सहायक होगा।
मुख्य विशेषताएं
• फोर्स-सेंसिटिव सेंसर युक्त हेडगियर जो विभिन्न दिशाओं में लगाए गए बल को मापता है।
• एर्गोनॉमिक रूप से डिज़ाइन की गई कुर्सी, सही आसन सुनिश्चित करने के लिए।
• रीयल-टाइम बायोफीडबैक सिस्टम जो ग्राफिकल डिस्प्ले द्वारा रोगी और चिकित्सक को जानकारी देता है।
• दो तरह के व्यायाम प्रोटोकॉल होल्ड-रिलैक्स मोड और कंटीन्यूअस मोड।
• डाटा रिकॉर्डिंग और विश्लेषण, जिससे मरीज की प्रगति पर नज़र रखी जा सके।
संभावित लाभ
यह उपकरण फिजियोथेरेपी और ऑर्थोपेडिक्स में पुनर्वास पद्धतियों में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा। यह न केवल चिकित्सकों और फिजियोथेरेपिस्टों के लिए उपयोगी होगा बल्कि शोधकर्ताओं को भी मांसपेशियों की रिकवरी का विश्लेषण करने में सहायक होगा।
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“इस पेटेंट से मुझे आगे के लिए प्रोत्साहन मिलेगा और अपने काशी हिंदू विश्वविद्यालय के नाम को बढ़ाने में समर्थ रहा, इस बात की हमें अत्यंत खुशी है। इस उपलब्धि से बीएचयू और आईआईटी-बीएचयू की ख्याति चिकित्सा एवं तकनीकी नवाचार के क्षेत्र में और भी ऊँचाई पर पहुंचेगी। -डॉ. शुभ्रेंदु शेखर पांडेय
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