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    वाराणसी: बच्चों में नाटेपन की समस्या में आई कमी

    By Abhishek sharmaEdited By: Abhishek sharma
    Updated: Fri, 17 Oct 2025 11:45 AM (IST)

    वाराणसी में बच्चों के नाटेपन की समस्या में सुधार देखा गया है। यह एक सकारात्मक बदलाव है जो बच्चों के स्वास्थ्य और विकास के लिए महत्वपूर्ण है।

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    राज्यपाल आनंदीबेन पटेल व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं इसकी मानिटरिंग भी करते हैं।

    जागरण संवाददाता, वाराणसी : कुपोषण से मुक्ति की दिशा में पिछले पांच-छह वर्षों से काशी में अनवरत कार्य हो रहा है। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं इसकी मानिटरिंग भी करते हैं।

    इसी का परिणाम है कि वाराणसी पिछले डेढ़ वर्ष से प्रदेश की रैंकिंग में कुपोषण से मुक्ति अभियान में शीर्ष पर बना हुआ है। इसी क्रम में नाटापन (स्टंटिंग) से मुक्ति अभियान तहत सितंबर में भी वाराणसी में 3914 आंगनबाड़ी केंद्रों पर दो लाख 64 हजार बच्चों की लंबाई नापी गई व वजन लिया गया।

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    शून्य से छह वर्षों तक के बच्चों की उम्र अनुपात में लंबाई प्रदेश के 75 जिलों की तुलना में गाजियाबाद के बाद वाराणसी में अच्छी मिली। सितंबर में प्रदेश की जारी रैंकिंग में वाराणसी दूसरे स्थान पर है। वाराणसी में सिर्फ 23 प्रतिशत बच्चे ही उम्र व वजन के सापेक्ष कम लंबाई के मिले जबकि गाजियाबाद में 19.3 प्रतिशत रहा। इसके बाद रैंकिंग में भदोही, बाराबंकी, लखनऊ का स्थान है।

    महिला कल्याण एवं बाल विकास पुष्टाहार विभाग के तत्वावधान में शुरू किए गए पोषण पाठशाला के तहत नाटापन की समझ और समाधान पर विशेष अभियान चलाया जा रहा है। बच्चों के जन्म के पहले छह माह पर विशेष ध्यान को लेकर महिलाओं को जागरूक किया जा रहा है। पोषण पाठशाला में महिलाओं को संपूर्ण आहार यानी दूध समेत क्या-क्या आवश्यक है, यह जानकारी दी जाती है।

    गर्भवती व धात्री महिलाओं को भी कब, क्या आहार लेना चाहिए, यह बताया जाता है। इसके लिए आंगनाबाड़ी केंद्रों पर पोषण वाटिका लगाई गई है ताकि महिलाओं को शुद्ध हरी सब्जी मिल सके। बनारस में विटामिन युक्त आहार उपलब्ध कराने के लिए तीन ब्लाकों में प्लांट लगे हुए हैं। इन प्लांटों से बहुतायत आंगनबाड़ी केंद्रों पर पैकेट बंद आहार उपलब्ध कराया जा रहा है।

    वाराणसी में अब 57858 बच्चों पर विशेष ध्यान.. 

    आंगनबाड़ी केंद्रों पर दो लाख 64 हजार 889 बच्चों की वजन व लंबाई की जांच हुई। इसमें 57 हजार 858 यानी 23.88 प्रतिशत बच्चे औसत से कम मिले। जिला कार्यक्रम अधिकारी डीके सिंह ने बताया कि चिहि्नत बच्चों के पोषण पर अब विशेष ध्यान दिया जाएगा। उम्मीद है कि इसमें और सुधार होगा। वाराणसी में अगस्त में यह आंकड़ा 38.8 प्रतिशत व गाजियाबाद में 36.7 प्रतिशत था। गाजियाबाद में 17 व वाराणसी में 15 प्रतिशत का सुधार सितंबर में हुआ है।