काशी-गोरखपुर में पायलट प्रोजेक्ट ने तोड़ा दम, तीन साल से राशन ATM में लगे ताले; जिम्मेदार कौन?
वाराणसी और गोरखपुर में राशन एटीएम पायलट प्रोजेक्ट दम तोड़ता दिख रहा है। प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में तीन साल पहले लगी मशीन तहसील में जंग खा रही है। अधिकारियों की उदासीनता और व्यवस्थागत कमियों के कारण यह योजना विफल हो रही है। गोरखपुर में भी बिजली बिल की समस्या के चलते मशीन बंद पड़ी है, जिससे उपभोक्ताओं को राशन मिलने में परेशानी हो रही है।

विकास ओझा, वाराणसी। काशी में तीन साल पहले लगाई गई ‘राशन एटीएम’ व्यवस्थागत लापरवाही का बेजोड़ नमूना बन चुकी है। हाल ही में राजधानी दिल्ली में आयोजित मोबाइल कांग्रेस में एरिक्सन कंपनी की राशन एटीएम को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में लांच किया गया।
दावा किया गया कि इस एटीएम के लग जाने से उपभोक्ताओं को सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत राशन की दुकानों पर जाने की आवश्यकता ही नहीं होगी। विडंबना यह कि ऐसी एक मशीन प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में तीन साल से सदर तहसील के एक कक्ष में बंद पड़ी जंग खा रही है।
आसपास पड़े अनाज के सड़े ढेर प्रोजेक्ट की हकीकत और अधिकारियों की उदासीनता की कहानी बयां कर रहे हैं। गोरखपुर में भी इसी योजना के तहत 2023 में अन्नपूर्ति मशीन (राशन एटीएम) लगाई गई जो इस समय सदर तहसील के एक कमरे में अनुपयोगी पड़ी है।
संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम और मेक इन इंडिया के तहत 31 अक्टूबर 2022 को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में राशन एटीएम वाराणसी के शिवपुर में एक कोटेदार बृजमोहन प्रसाद मौर्य के यहां इस उद्देश्य से लगी थी कि उपभोक्ताओं को कोटेदार की दुकान के चक्कर न लगाने पड़े। गुरुग्राम के बाद ऐसी मशीन वाराणसी, गोरखपुर और अन्य जिलों में लगी।
बृजमोहन के अनुसार मशीन संचालन की कोई तैयारी नहीं थी और न कोई स्पष्ट गाइडलाइन थी। अधिकारियों ने कहा था कि बिजली बिल नहीं देना होगा, लेकिन 32 हजार रुपये जेब से चुकाने पड़े। मशीन की ऊंचाई इतनी अधिक थी कि 50 किलो गेहूं या चावल की बोरी भरने के लिए दो श्रमिकों की आवश्यकता पड़ती थी। मशीन ई-पास से जुड़ी थी और ग्राहक को पहले बायोमीट्रिक देना पड़ता था। इसके बाद कोटेदार को यूनिट फीड करना होता।
अकेले इस झंझट को संभालना मुश्किल था और मजदूर रखने का खर्च देने के लिए कोई तैयार नहीं था। इस बीच मई-जून 2023 में जी-20 शिखर बैठक की तैयारियों के सिलसिले में केंद्रीय खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव संजीव चोपड़ा काशी आए।
उन्होंने शिवपुर की दुकान पर लगी मशीन को अनुचित स्थान बताते हुए निर्देश दिया कि इसे सार्वजनिक स्थल पर लगाया जाए, ताकि आम उपभोक्ता स्वतंत्र रूप से उपयोग कर सकें। सितंबर 2023 में मशीन सदर तहसील में रखी गई जहां कभी चालू नहीं हुई। वाराणसी के जिला आपूर्ति अधिकारी कृष्ण वल्लभ सिंह बताते हैं कि इसे फिर चालू किया जाएगा। जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार के अनुसार उन्हें इसकी जानकारी नहीं है पर मशीन अगर बंद है तो शीघ्र चालू कराई जाएगी।
गोरखपुर में भी कोटेदार ने मशीन संचालन से खड़े किए हाथ
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। राशन भरने में दिक्कत, बिजली का ज्यादा बिल के कारण गोरखपुर में भी राशन एटीएम अनुपयोगी पड़ी है। जिला पूर्ति अधिकारी रामेंद्र प्रताप सिंह का दावा है कि मशीन से हर महीने 100 कार्डधारकों को राशन दिया जाता है, लेकिन जिस कक्ष में मशीन लगी है, उसके शटर पर ताला देख लग रहा कि महीनों से इसे खोला नहीं गया।
2023 में अन्नपूर्ति मशीन कोटेदार अंकुर गुप्ता के यहां लगाई गई थी। संचालन के लिए वाणिज्यिक श्रेणी का कनेक्शन लेना था। अंकुर गुप्ता ने पांच हजार रुपये खर्च कर कनेक्शन भी लिया पर जुलाई 2023 का बिजली बिल 5700 रुपये आ गया। मांगे जाने पर आपूर्ति विभाग ने प्रविधान नहीं होने का कारण भुगतान नहीं किया।
तंग होकर अंकुर गुप्ता ने संचालन से हाथ खड़े कर दिए फिर मशीन सदर तहसील में एक कमरे में रख दी गई। विभागीय दावा है कि इसी कमरे से राशन वितरण होता है, लेकिन वहां रहने वाले लोगों का कहना है कि किसी को राशन लेते नहीं देखा गया है। जिला पूर्ति अधिकारी रामेंद्र प्रताप सिंह बताते हैं कि अन्नपूर्ति मशीन गोलघर के गांधी नगर डीसीएफ राशन केंद्र से संबद्ध है। कोटेदार लाभार्थियों को लेकर आते हैं और राशन वितरण होता है। दिसंबर 2024 में इंजीनियरों ने आकर इसे ठीक किया था पर नेटवर्क की अब भी दिक्कत है।
खाद्यान्न एटीएम से काफी सहूलियत हो गई थी। राशन कार्ड नंबर डालते और अंगूठा लगाते ही राशन मिल जाता था। एटीएम को वैसे तो 30 दिन और 24 घंटे संचालित होना चाहिए। यदि ऐसा नहीं कर पा रहे तो कम से कम सुबह नौ बजे से शाम पांच तक ही चालू कर दिया जाए।
- प्रदीप कुमार मौर्य, वाराणसी
खाद्यान्न एटीएम बहुत अच्छा था। घर के कामकाज से जब भी समय मिलता, आसानी से राशन ले लेते थे। सरकार योजनाएं तो बनाती हैं, लेकिन उसे चलाने और संचालित करने वाले जिम्मेदार ही नाकाम बना देते हैं।-मीनाक्षी, वाराणसी
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