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    रंगभरी एकादशी आज; बाबा विश्वनाथ पहुंचे अपने ससुराल, गौरा का मायका निहाल

    वाराणसी में आज शुक्रवार की दोपहर फागुन शुक्ल एकादशी पर बाबा विश्वनाथ गौरा का गौना कराएंगे। रजत पालकी में अपने धाम ले जाएंगे। रंगभरी एकादशी की पूर्व संध्या पर वेद मंत्रों के बीच मंगल गीत और गुलाब जल की फुहार के बीच दूल्हा भोले और बरात की आगवानी की गई।

    By Jagran NewsEdited By: Jagran News NetworkUpdated: Fri, 03 Mar 2023 10:37 AM (IST)
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    Rangbhari Ekadashi 2023 Image Source: दैनिक जागरण/नवनीत रत्न पाठक

     जागरण संवाददाता, वाराणसी : काशीपुराधिपति बाबा विश्वनाथ और भवानी गौरा के गौना महोत्सव का उल्लास फागुन शुक्ल एकादशी (रंगभरी एकादशी) की पूर्व संध्या पर छलक उठा। महंत आवास गौरा के मायके का मान पा इठलाया। गुरुवार शाम बाबा ससुराल पहुंचे और उत्सवी रंग चटख हो गया। वेद मंत्रों के बीच मंगल गीत और गुलाब जल की फुहार के बीच दूल्हा भोले और बरात की अगवानी की गई। रंगभरी ठंडई के साथ फल-मेवा से स्वागत-सत्कार किया गया।

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    आज होगा गौरा का गौना

    अब तिथि विशेष पर शुक्रवार दोपहर बाद बाबा गौरा का गौना कराएंगे। रजत पालकी में अपने धाम ले जाएंगे। शिव-शक्ति के मिलन की झांकी दर्शन कर भक्त अबीर-गुलाल उड़ाएंगे। इसे बाबा के भाल सजाएंगे। नेग में होली हुड़दंग की अनुमति पाएंगे। सायंकाल गौरा का गौना कराने बाबा के ससुराल (महंत आवास) आगमन पर 121 बटुकों ने सस्वर वैदिक सूक्तों का घनपाठ किया।

    महिलाओं ने पारंपरिक गीतों को दिया स्वर

    महंत डा. कुलपति तिवारी के सानिध्य में विविध अनुष्ठान किए गए। बाबा विश्वनाथ व माता पार्वती की गोद में विराजित प्रथम पूज्य गणेश की प्रतिमाओं को रजत सिंहासन पर विराजमान कराया गया। पूजन-आरती कर भोग लगाया गया। डमरुओं की गर्जना के बीच महिलाओं ने मंगल कामना से परिपूर्ण पारंपरिक गीतों को स्वर दिया। महंत डा. कुलपति तिवारी ने रजत पालकी संग बाबा की राजशाही पगड़ी, महारानी मुकुट व दूल्हा-दुल्हन के परिधान की विशेष पूजा की।

    पर्व विशेष पर ब्रह्म मुहूर्त से शुरू होंगे गौना के अनुष्ठान

    रंगभरी एकादशी पर शुक्रवार को बाबा के पूजन का क्रम ब्रह्म मुहूर्त में मंहत आवास पर आरंभ होगा। शिव-शक्ति की चल प्रतिमा को पंचगव्य व पंचामृत से स्नान कराया जाएगा। दुग्धाभिषेक के बाद सुबह पांच से 8.30 बजे तक 11 वैदिक ब्राह्मण षोडशोपचार पूजन करेंगे। फलाहार का भोग और महाआरती की जाएगी। सुबह 10 बजे चल प्रतिमाओं का राजसी शृंगार और 11.30 बजे भोग आरती के बाद के दर्शन आम श्रद्धालुओं के खोला जाएगा जो शाम पांच बजे तक चलेगा।