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    रंगभरी एकादशी 2022 : गौरा की अगवानी में काशी उड़ाएगी अबीर-गुलाल, आज निकलेगी पालकी यात्रा

    By Abhishek SharmaEdited By:
    Updated: Mon, 14 Mar 2022 09:16 AM (IST)

    Rangbhari Ekadashi 2022 रंगभरी एकादशी 2022 के मौके पर काशी में गौरा की अगवानी और गौना का उत्‍साह भी खूब छलकेगा। काशी खूब अबीर-गुलाल उड़एगी और पालकी य ...और पढ़ें

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    Rangbhari Ekadashi 2022 In Varanasi : काशी में रंगभरी एकादशी का उल्‍लास दिनभर छाया रहेगा।

    वाराणसी, जागरण संवाददाता। पर्व-उत्सवों की नगरी काशी रंगभरी एकादशी पर सोमवार को बाबा का गौना महोत्सव मनाएगी। भोले बाबा दूल्हा बनेंगे और गौरा की अगवानी में अबीर-गुलाल उड़ाएगी। काशीपुराधिपति अपने नव्य-भव्य परिसर के स्वर्णिम गर्भगृह में माता पार्वती व प्रथमेश संग विराजेंगे और दर्शन देकर निहाल करेंगे। बाबा के भाल मल कर गुलाल बनारसी मन होलियाना मूड में आ जाएगा। उत्सव का आरंभ तो दो दिन पहले ही हो गया था, लेकिन रविवार को भोले शंकर ससुराल (महंत आवास) पधारे और इसका रंग चटख हो गया। फल, मेवा और बाबा के लिए खासतौर पर मिश्राम्बु द्वारा तैयार रंगभरी ठंडई से बारात का स्वागत किया गया। गुलाब जल की फुहार से अभिनंदन किया गया।

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    शास्त्रीय मान्यता है कि भगवान शंकर का तिलक वसंत पंचमी पर किया गया था। महाशिवरात्रि पर विवाह और रंगभरी एकादशी पर बाबा गौरा का गौना करा कर अपनी नगरी लाए थे। महंत परिवार 358 वर्षों की परंपरा को आज भी निभा रहा है। इसके अनुष्ठान शुक्रवार को मंगल गीतों के बीच हल्दी की रस्म के साथ शुरू हो गए थे। अब बाबा के ससुराल पहुंचने पर पं. सुनील त्रिपाठी के आचार्यत्व में स्वागत के अनुष्ठान किए गे। बाबा का अभिषेक कर वैदिक सूक्तों का घनपाठ किया गया। महंत डा. कुलपति तिवारी के सानिध्य में बाबा विश्वनाथ व माता पार्वती की गोद में विराजित प्रथम पूज्य गणेश की रजत प्रतिमाओं को एक साथ सिंहासन पर विराजमान कराया गया। पूजन-आरती कर भोग अर्पित किया गया। डमरुओं की गर्जना के बीच महिलाओं व कलाकारों ने मंगल गीतों को सुरों में सजाया।

    सुबह 11.30 बजे से होंगे दर्शन : रंगभरी एकादशी पर बाबा का ब्रह्म मुहूर्त में पूजन कर माता गौरा की चल प्रतिमा का पंचगव्य-पंचामृत स्नान और दुग्धाभिषेक की तैयारी थी। सुबह पांच से 8.30 बजे तक वैदिक ब्रह्मणों द्वारा षोडशोपचार पूजन और फलाहार का भोग और महाआरती के बाद दस बजे चल प्रतिमाओं का राजसी शृंगार व सुबह 11.30 बजे भोग आरती कर श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए पट खोल दिए जाएंगे जो शाम पांच बजे तक चलेगा। डमरू दल दोपहर एक से तीन बजे तक नादार्चन करेगा। इससे पहले सुबह 10.30 बजे से शिवांजलि संगीत गूंजेगा।

    शाम पांच बजे निकलेगी पालकी यात्रा : बाबा की पालकी शोभायात्रा शाम पांच बजे टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास से विश्वनाथ मंदिर के लिए निकलेगी। पर्व विशेष पर सप्तर्षि आरती दोपहर 3.30 बजे और शृंगार भोग आरती शाम पांच बजे कर ली जाएगी। मंदिर के पट आधे घंटे अधिक यानी रात 11.30 बजे तक खुले रहेंगे।