काशी में Ram Ramapati Bank ने मनाई रामनवमी, सेक्रेट्री रामभक्त हनुमान की देखरेख में होता है कामकाज
रामनवमी के अवसर पर गुरुवार को वाराणसी रामरामापति बैंक में भगवान श्रीराम की पूजा हुई। कोरोना वायरस अौर लॉकडाउन के कारण भक्तों को मौके पर आने से पहले ही मनाही थी।
वाराणसी, जेएनएन। रामनवमी के अवसर पर गुरुवार को वाराणसी रामरामापति बैंक में भगवान श्रीराम की पूजा हुई। कोरोना वायरस अौर लॉकडाउन के कारण भक्तों को मौके पर आने से पहले ही मनाही थी। विगत 93 वर्ष से रामरमापति बैंक में भक्त राम का नाम लिख कर पत्रक को जमा करते हैं, जिससे कोई कष्ट तकलीफ नहीं आती। अपने आप में अनूठा व भौतिकता से परे राम रमापति बैंक दरअसल दुनिया की सबसे पवित्र बैंकिंग व्यवस्था है। इसका पता है मर्त्यलोक काशी और इसके सेक्रेट्री हैं रामभक्त हनुमान।
चांदी के झूले पर विराजमान कराया गया प्रभु श्रीराम को
दशाश्वमेध रोड स्थित विश्वनाथ गली में इस रामनाम के बैंक में नवमी के दिन घर वालों ने ही इस बार की परम्पराओं का निर्वाह किया है। सुबह मंलगा आरती की गई इसके बाद अपराह्न में जन्म फिर भगवान को पंचार्मित स्नान कराया गया। इसके बाद चांदी के झूले पर विराजमान कराया गया। विभिन्न प्रकार के खिलौनो से प्रभु को प्रसन्न किया गया। भोग लगा कर आरती की गई जिसमें मुख्य रूप से घर के ही लोग शामिल रहे। रामरमापति बैंक के सुमित मेहरोत्रा के अनुसार बड़े ही भव्य तरीके से हर वर्ष रामनवमी पर आयोजन होता था लेकिन इस बार कोरोनावायरस और लॉकडाउन के कारण भक्तों का प्रवेश बंद लेकिन परंपरा को पूरा किया गया। भगवान श्रीराम से भक्तों ने जल्द से जल्द कोरोना वायरस से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना कर देश को विकास के पथ पर लेने की कामना की।
दुनिया की सबसे पवित्र बैंकिंग व्यवस्था
अपने आप में अनूठा व भौतिकता से परे राम रमापति बैंक दरअसल दुनिया की सबसे पवित्र बैंकिंग व्यवस्था है। इसका पता है मर्त्यलोक काशी और इसके सेक्रेट्री हैं रामभक्त हनुमान। इसकी ग्राहक संख्या लाखों में है तो अब तक कर्ज वापसी के तौर पर जमा खाते के रूप में अरबों राम नाम जमा हैं। कर्ज लेने की शर्त भी अलहदा है, कर्जधारण अवधि में सात्विक रहने का बांड भरना होता है। उद्देश्य के तौर पर मनोरथ का उल्लेख करना जरूरी होता है। कर्ज लेने व चुकौती के लिए मुहूर्त तय होते हैं। लेखन के लिए कागज, स्याही व कलम व जाप सामग्री बैंक की ओर से दी जाती है। पुरुनिये बताते हैं कि स्वामीनाथ के शिष्य बाबा सत्तराम दास ने कुंभ मेला में सिविल कोर्ट के मुंशी मुंसरिन छन्नूलाल को बैंक स्थापना का निर्देश दिया था। आज उनके वंशज भी उस परिपाटी को आगे बढ़ा रहे हैं।
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