Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Rahi Masoom Raza Death Anniversary : महाभारत धारावाहि‍क का संवाद रचकर साहित्‍य की दुनिया में हो गए अमर

    By Abhishek SharmaEdited By:
    Updated: Tue, 15 Mar 2022 10:28 AM (IST)

    Rahi Masoom Raza Punyatithi पूर्वांचल की माटी से जुड़े राही मासूम रजा परिचय के मोहताज नहीं हैं। गजल की दुनिया में उनका अलग मुकाम है तो जमीनी लेखन के अलावा महाभारत की स्क्रिप्‍ट के जरिए वह देश में लेखनी के एक बड़ा चेहरा बन गए।

    Hero Image
    Rahi Masoom raza Death Anniversary : महाभारत के संवाद लिखकर साहित्‍य जगत में हो गए अमर।

    गाजीपुर, जागरण संवाददाता। पूर्वांचल की माटी साहित्‍य से इतनी समृद्ध है कि उस कलम ने कभी धर्मों की दीवार को खड़ी नहीं होने दिया। इस कड़ी में डा. राही मासूम रजा का जिक्र न हो तो बात अधूरी सी लगती है। गाजीपुर जिले के गंगौली गांव में एक सितंबर 1925 को राही मासूम रजा का जन्‍म हुआ था। वहीं आज 15 मार्च 1992 को उनकी पुण्‍य तिथि है। नई पीढ़‍ियां शायद कम ही जानती होंगी कि 'महाभारत' धारावाहिक के संवाद राही मासूम रजा ने ही रची थी। उनकी अंतिम कृति 'नीम का पेड़' भी पूर्वांचल की सियासत को बखूबी बयान करती थी। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    राही मासूम रजा की प्राथमिक शिक्षा गंगा तट पर बसे गाजीपुर शहर के गंगौली में हुई थी। बचपन से ही उनके पांव में पोलियो की वजह से शिक्षा कुछ समय तक प्रभावित भी रही। किसी तरह से इंटर यानी बारहवीं तक की शिक्षा ग्रहण करने के बाद वह अलीगढ़ आये और यहीं से एमए के बाद उर्दू में `तिलिस्म-ए-होशरुबा' विषय पर पीएचडी पूरी की। यह वही विषय था जिसपर रामानंंद सागर ने धारावाहि‍क भी बनाया था।

    पीएचडी पूरी होने के बाद राही मासूम रजा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग में अध्यापक हो गये और अलीगढ़ के एक मुहल्ले बदरबाग में ही निवास करने लगे। अलीगढ़ में निवास के दौरान भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के वह सक्रिय सदस्य भी बने। समय के साथ जरूरतों ने करवट ली तो वह मुंबई जा बसे और फ‍िल्‍मों के लिए लेकन करने लगे।   

    वर्ष 1968 में मुबई आने के बाद उनकी साहित्यिक गतिविधियों के केंद्र में फिल्मों की सक्रियता बढ़ गई। समय के साथ टीवी की दुनिया उनके लिए आजीविका का बड़ा साधन बन गई। मुबई में ही उन्‍होंने आधा गांव, दिल एक सादा कागज, ओस की बूंद, हिम्मत जौनपुरी उपन्यास और 1965 के भारत- पाकिस्‍तान की जंग में शहीद वीर अब्दुल हमीद की जीवनी 'छोटे आदमी की बड़ी कहानी' रच डाली। उनकी यह सभी कृतियांं खांटी  हिंदी में थीं। इससे पहले वह उर्दू में महाकाव्य 1857 जो बाद में हिन्दी में 'क्रांति कथा' नाम से प्रकाशित हुई थी। आधा गांव, नीम का पेड़, कटरा बी आर्ज़ू, टोपी शुक्ला, ओस की बूंद और सीन 75 उनके चर्चित उपन्यास रहे हैं। 

    महाभारत से व्‍यापक पहचान : हिंदू धर्मग्रंथों पर भी उनकी समान पकड़ थी। उन्होंने टीवी धारावाहिक महाभारत के संवाद खुद से रचे थे। टीवी धारावाहिक महाकाव्य 'महाभारत' पर आधारित रचा गया था। यह धारावाहिक देश के सबसे लोकप्रिय टीवी सीरियल में से एक था। इसकी टीआरपी का प्रतिशत अब तक सर्वाधिक रहा है। इसके अतिरिक्‍त भी उनकी नज्‍म, गजल आज भी लोगों की जुबां पर मौजूद रहती है। उनकी गजलों को गजल गायक जगजीत सिंह ने भी आवाज दी थी।