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    हड्डी में गांठ और कैंसर जैसा दर्द है तो हो जाएं सावधान, BHU के इस हॉस्पिटल में बस एक सुई से हो जाएगा इलाज

    By Jagran NewsEdited By: Pragati Chand
    Updated: Mon, 19 Dec 2022 03:17 PM (IST)

    शरीर में होने वाला हर गांठ कैंसर नहीं होता है। गांठ में दर्द अधिक हो तो सतर्कता बरतने की जरूरत है। इस समस्या को ओस्टिआयड ओस्टियोमा कहा जाता है। इसका आपरेशन करना पड़ता है लेकिन बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल में रेडियो फ्रिक्वेंसी एवलेशन उपचार हो रहा है।

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    हड्डी की गांठ कैंसर जैसा दर्द, उपचार बस सुई से।

    वाराणसी, मुकेश चंद्र श्रीवास्तव। शरीर में कही भी गांठ हो जाए और अधिक दर्द करे तो लोग कैंसर का भय पाल लेते हैं, लेकिन हर गांठ कैंसर नहीं होती है। हालांकि अगर शरीर के किसी हिस्से की हड्डी में गांठ है और कैंसर जैसे भयानक दर्द है तो तुरंत सतर्क हो जाना चाहिए। कारण कि यह ओस्टिआयड ओस्टियोमा बीमारी हो सकती है। इस रोग के उपचार में बड़े आपरेशन करने की जरूरत पड़ जाती है, लेकिन बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल में इस समस्या का उपचार आरएफए (रेडियो फ्रिक्वेंसी एवलेशन) विधि से किया जा रहा है। आरएफए के तहत एक सुई डालकर गांठ वाले हिस्से को जला दी जाती है।

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    आइएमएस आरएफए से उपचार करने वाला प्रदेश का पहला संस्थान

    रेडियोडायग्नोसिस एंड इमेजिंग विभाग, बीएचयू के अध्यक्ष प्रो. आशीष वर्मा बताते हैं कि ओस्टिआयड ओस्टियोमा में मरीज को असहनीय दर्द झेलनी पड़ती है। इसका उपचार मेजर आपरेशन से किया जाता है। हालांकि आरएफए विधि से चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल में किया जा रहा है, जो इस मामले में प्रदेश का एकमात्र संस्थान है। एसजीपीजीआइ लखनऊ से आने वाले मरीजों का भी यहां पर उपचार किया जा रहा है। प्रो. वर्मा ने बताया कि आरएफए से उपचार के पहले सीटी स्कैन, एमआरआइ या एक्स-रे जांच से लोकेट कर उपचार किया जाता है।

    समय पर गांठ का उपचार नहीं हुआ तो फटने की आशंका

    अगर समय पर गांठ का उपचार नहीं किया जाए तो उसके फटने की भी आशंका बढ़ जाती है, जिससे दर्द और बढ़ जाती है। कारण कि इसके अंदर गुब्बारे की तरह बढ़ाव होता है। इस तरह के एक मामले में गर्दन के पास नस फट गई थी। एक ऐसा मरीज आया था जिसको चाकू लगी। यहां पर उपचार के बाद मरीज ठीक हो गया।

    रीनल हाइपर टेंशन का भी सफल उपचार

    इसके अलावा यहां पर रीनल एंजियो प्लास्टी से रीनल हाइपर टेंशन का उपचार भी किया जा रहा है। इस बीमारी में किडनी की नस सिकुड़ जाती है। यह समस्या बीपी के आउट आफ कंट्रोल होने से होती है। इस विधि को कुछ माह पहले कानपुर में इंडियन रेडियोलाजी एंड इमेजिंग एसोसिएशन की आयोजित कांफ्रेंस में प्रस्तुत किया था, जिसे खूब सराहना मिली। कुछ दिन पहले भी गाजीपुर के एक 10 साल के बच्चे का सफल उपचार किया गया। इसमें प्रो. आशीष वर्मा, डॉ. प्रमोद कुमार सिंह, डॉ. ईशान कुमार आदि शामिल थे।