आयुर्वेद विधि में शोधन एवं शमन प्रक्रिया से सर्दी, जुकाम व बुखार में करें बचाव
आयुर्वेद में शोधन और शमन प्रक्रियाओं द्वारा सर्दी, जुकाम और बुखार से बचाव संभव है। शोधन शरीर से विषाक्त पदार्थ निकालकर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है, जबकि शमन औषधीय जड़ी-बूटियों से दोषों को संतुलित करता है। गर्म पानी, तुलसी, अदरक का सेवन और उचित आराम बचाव में सहायक हैं।

आयुर्वेदिक महाविद्यालय एवं चिकित्सालय के एसएमओ डा. धनंजय कुमार ने पाठकों से बात की।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। शीतऋतु में सामान्य सर्दी, जुकाम, बुखार, पेट दर्द की समस्याएं अधिक देखने को मिलती है। ऐसे में शोधन एवं शमन विधि से अपना बचाव आयुर्वेदिक पद्धति से कर सकते हैं। शोधन प्रक्रिया के अंतर्गत नेती कर्म और शीतऋतु के अंत में वमन कर्म करने से शीतऋुत के दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है।
ऋतुकाल में जो कफ का संचय होता है उसे शीतऋतु के अंत में (बसंत) वमन प्रक्रिया कराने से कफ का निष्कासन होकर शरीर के दोषों को सम्यक बनाए रखता है एवं शीतऋतु के रोगानुसार शमन चिकित्सा करनी चाहिए।
दैनिक जागरण के लोकप्रिय कार्यक्रम ‘हेलो जागरण’ में बुधवार को आयुर्वेदिक महाविद्यालय एवं चिकित्सालय के एसएमओ डा. धनंजय कुमार ने पाठकों से बात की। उन्होंने सर्दी, जुकाम, बुखार, पेट दर्द, इंफेक्शन समेत मौसमी बीमारियों से बचाव व इलाज के बारे में जानकारी दी। साथ ही पुरानी बीमारियों से संबंधित जानकारी देकर पाठकों को संतुष्ट किया।
मेरी उम्र 65 साल है। पेट संबंधी समस्या है। भूख लगने के बाद भी खाना नहीं खाया जाता है। ऐसे में क्या करें? राम उदय (पांडेयपुर)
- पेट संबंधी सामान्य कब्ज को दुरुस्त करने के लिए खानपान में गरिष्ठ और बासी भोजन न लें। अविपत्तिकर चूर्ण तीन ग्राम, आमलकी चूर्ण एक ग्राम, शंखभस्म आधा ग्राम सुबह और शाम लें। साथ ही चित्रकादि वटी खाने के बाद दो-दो गोली मुंह में रखकर चूसें।
मेरी बेटी 10 वर्ष की है। टीबी की दवा चली थी। पेट दर्द एवं उल्टी हो रही है क्या करें? रंजना मौर्या (शिवपुर)
- टीबी की दवा खत्म होने के बाद छह माह बाद पुन : जांच करा लेने चाहिए। आंत के श्लैशमिककला में प्राय : हल्की सूजन बनी रहती है जिसकी वजह से यह पेट दर्द या उल्टी की समस्या सामान्य बात है। इसमें खानपान में विशेष परहेज करने की आवश्यकता है। अम्ल विदाही, गरिष्ठ, फास्ट फूड व जंक फूड से दूरी बनाए रखें। बालचाद्रुभद्ररस पांच एमएल सुबह-शाम, प्रवालभस्म 500 मिली ग्राम, सूत शेखर 250 मिली ग्राम, अमलकीरसायन एक ग्राम सुबह-शाम लेना है।
कफ की समस्या 12 माह से बनी हुई है क्या करें? संजय (इंग्लिशिया लाइन)
- ऋतु संधि काल (कार्तिक के अंत और शरद के प्रारंभ माह और बसंत के अंत और फागुन के प्रारंभ में) यह बीमारी ज्यादा परेशान करती है। दुष्टप्रतिश्याय (पीनस) के नाम से वर्णित है। नेती कर्म के द्वारा दुष्ट कफ बाहर निकल जाता है। षडबिंदु की दो-दो बूंद डालें, वासाअवलेह दिन में एक चम्मच दो बार, कफकेतुरस एक गोली सुबह-शाम, श्रृंगभस्म 125 मिली ग्राम, प्रवालपृष्टि 125 मिली ग्राम और कर्पदभस्म 125 मिली ग्राम सुबह-शाम लेने से आराम मिल जाता है। यह सामान्य चिकित्सा है।
मेरी उम्र 73 वर्ष है। पेट में कब्ज की समस्या है क्या करें? बृजेश कुमार (अर्दली बाजार)
- हिंगवाष्टक चूर्ण तीन ग्राम गाय की देसी घी में मिलाकर भोजन के मध्य में थोड़ा-थोड़ा लें। त्रिवृत्त अवलेहम दो चम्मच रात के समय लें। साथ ही नियमित रूप से टहलें और संभव हो तो कपालभाति योग करें।
मेरी उम्र में 47 वर्ष है। भूख बहुत ज्यादा लगता है। शुगर-थायराइड की जांच कराई सभी नार्मल है क्या करें? राजकुमार सेठ (शिवपुर)
- आयुर्वेद में इसे भस्मक रोग कहा जाता है। इसमें सबसे पहले भोजन की प्रक्रिया बदलें। सूर्योदय के प्रथम चरण में आठ-नौ बजे और सूर्यास्त के अंतिम प्रहर के पहले भोजन कर लें। एक अपामार्ग का बीज का लेकर क्षीर (खीर) बनाएं। इसे बनाने की विधि 10-20 ग्राम अपामार्ग की बीज को हल्का से पीस लें और 100 एमएल दूध के साथ 100 एमएल पानी मिलाकर पकाना है। पानी जल जाए और दूध शेष रहे। इसके बाद सेवन करें। स्वाद अनुसार गुड़ डाल सकते हैं।
मेरी उम्र 70 साल है। बवासीर की समस्या है क्या करें? निर्मला सिंह (आशापुर)
- पंचसकार चूर्ण तीन ग्राम, हरीतकी चूर्ण एक ग्राम, शंखभस्म एक ग्राम एक चम्मच सुबह-शाम लें। साथ ही अर्शकुठाररस 250 मिली ग्राम मूली के पत्रस्वरस के साथ सुबह-शाम लें। अभयारिष्ट प्लस कुमारीआसव 10-10 एमएल और 20 एमएल पानी मिलाकर भोजन के बाद लें। इसके बाद भी आराम नहीं मिलता है तो क्षार विधि से शल्य चिकित्सा द्वारा इलाज करा लें।
मेरी उम्र 82 वर्ष है। दो माह से बिल्कुल भूख नहीं लग रही है। चलते हैं तो चक्कर आ रहा है क्या करें? उमाशंकर पांडेय (मिर्जामुराद)
- वृद्धावस्था में भूख न लगना सामान्य बात है। हिंगवाष्टक चूर्ण और लवणभाष्कर चूर्ण खाने के 15 मिनट पहले लें। साथ ही सौंफ का काढ़ा दिन में दो बार लें।
---
मेरी उम्र 24 वर्ष है। पेट में गैस और जलन होती है। साथ ही मुंह में छाला पड़ जाता है क्या करें? दुर्गेश (अजगरा)
-अमलकीरसायन तीन ग्राम सुबह-शाम लें। अमरूद पत्र के काढ़ा का (काढ़े का कुल्ला) कवल करें।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।