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    Prasutikan 2022 : डाटा एकत्रीकरण से आयुर्वेद करेगा प्रत्यक्ष से प्रमाणीकरण, बीएचयू में स्त्री रोग विशेषज्ञों का सम्मेलन

    By Saurabh ChakravartyEdited By:
    Updated: Fri, 26 Aug 2022 09:47 PM (IST)

    आयुर्वेद को प्रत्यक्ष से प्रमाणीकरण करने की आवश्यकता है। इसके लिए डाटा एकत्रीकरण आवश्यक है। तब पूरा विश्व इसे वैज्ञानिक रूप में स्वीकार करेगा। यह कहना है भारतीय राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के अध्यक्ष वैद्य जयंत देव पुजारी का।

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    प्रसूति और स्त्री रोग के आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में पुस्तक का विमोचन करते मंचासीन अतिथिगण ।

    जागरण संवाददाता, वाराणसी : आयुर्वेद को प्रत्यक्ष से प्रमाणीकरण करने की आवश्यकता है। इसके लिए डाटा एकत्रीकरण आवश्यक है। तब पूरा विश्व इसे वैज्ञानिक रूप में स्वीकार करेगा। यह कहना है भारतीय राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के अध्यक्ष वैद्य जयंत देव पुजारी का। वह शुक्रवार को बीएचयू के चिकित्सा विज्ञान संस्थान के आयुर्वेद संकाय के प्रसूति तंत्र एवं स्त्री रोग विभाग के तत्वावधान में आयोजित स्त्री रोग विशेषज्ञों के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन ‘प्रसूतिकान -22’ के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि थे। कृषि विज्ञान संस्थान के शताब्दी भवन में चल रही संगोष्ठी में देश के सभी राज्यों के अलावा, अमेरिका, रूस, जापान, फ्रांस, नेपाल, श्रीलंका आदि देशों के 534 प्रतिभागियों ने पंजीकरण कराया है।

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    पुजारी ने कहा कि आयुर्वेद विषयों के ज्ञानार्जन हेतु नवीन तथ्यों का अन्वेषण हमेशा करना चाहिए। मंत्र चिकित्सा भी की जानी चाहिए। उन्होंने आयुर्वेद के छात्रों को अपने नाम के आगे वैद्य लिखने को प्रेरित किया। सारस्वत अतिथि संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने अष्टांग आयुर्वेद पर बल दिया। एम्स नई दिल्ली की संकाय प्रमुख प्रो. सुनीता कदम ने महिलाओं एवं बच्चों के स्वास्थ्य की देखभाल के लिए आधुनिक तकनीकी एवं संसाधनों के प्रयोग पर बल दिया।

    उन्होंने स्त्री रोग एवं प्रसूति तंत्र की चिकित्सा एवं शल्य क्रिया में आधुनिक मशीनों के प्रयोग के लिए केंद्र सरकार से गजट जारी करने का अनुरोध किया। बीएचयू आइएमएस के निदेशक प्रो. एसके सिंह ने स्त्री रोग एवं प्रसूति तंत्र के नवोन्मेष में संसाधनों के उपयोग को प्रेरित किया। प्रसूति तंत्र विभागाध्यक्ष प्रो. सुनीता ने कहा कि गर्भिणी परिचर्या, स्वर्णप्राशन आदि संस्कारों को स्थापित करके, इसके लाभ जन-जन तक पहुंचाने के प्रयास किए जाएंगे।

    संकाय प्रमुख प्रो. कमलनयन द्विवेदी ने बताया कि एनसीआइएसएम के गजट का यहां पूर्णतया पालन हो रहा है। कार्यक्रम का शुभारंभ धनवंतरी वंदना, कुलगीत व भारत रत्न महामना मालवीय की प्रतिमा पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलन से हुआ। प्रो. पीके गोस्वामी, वैद्य सुशील दुबे, मुरलीधर पालीवाल, प्रो. संगीता गहलौत, प्रो. नम्रता जोशी, प्रो. प्रेमशंकर उपाध्याय, डा. रविशंकर, सुदामा यादव व सभी छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

    वरिष्ठ प्राध्यापकों का हुआ सम्मान

    आयुर्वेद संकाय के वरिष्ठ प्रो. यामिनी भूषण त्रिपाठी, प्रो. सीबी झा, प्रो. बीके द्विवेदी आदि का सम्मान किया गया। केंद्रीय आयुष मंत्री सर्वानंद सोनवाल ने मैसेज भेजकर शुभकामनाएं दीं। पहले दिन पांच सत्र चले। 11 वक्ताओं ने बंधत्व, कैंसर, ओवैरियन सिस्ट आदि पर व्याख्यान दिया।