Pradosh Vrat 2020 : प्रदोष व्रत इस माह 27 नवंबर को, शिव अर्चना से आएगी जीवन में खुशहाली
प्रदोष व्रत से जीवन में सुख समृद्धि खुशहाली आती है। दुख दरिद्र का नाश होता है और मनोकामना एवं अभीष्ट की पूर्ति के लिए 11 प्रदोष व्रत या वर्ष के समस्त त्रयोदशी का व्रत अथवा मनोकामना पूर्ति होने तक प्रदोष व्रत रखने का विधान माना गया है।

वाराणसी, जेएनएन। प्रदोष व्रत से आरोग्य और सौभाग्य के साथ भगवान शिव की महिमा अनंत मानी गई है। भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए शिवपुराण में अनेकों व्रतों का उल्लेख मिलता है। प्रदोष व्रत अत्यंत चमत्कारी माना गया है साथ ही कलियुग में इस व्रत को शीघ्र फलदाई भी माना गया है। प्रदोष व्रत से जीवन में सुख समृद्धि खुशहाली आती है। दुख दरिद्र का नाश होता है और मनोकामना एवं अभीष्ट की पूर्ति के लिए 11 प्रदोष व्रत या वर्ष के समस्त त्रयोदशी का व्रत अथवा मनोकामना पूर्ति होने तक प्रदोष व्रत रखने का विधान माना गया है।
शाम-रात्रि काल को प्रदोष काल कहा जाता है ज्योतिष आचार्य विमल जैन के अनुसार प्रत्येक मास के दोनों पक्षों की तिथि 27 नवंबर शुक्रवार को पड़ रही है। कार्तिक शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 27 नवंबर शुक्रवार को सुबह 7:47 पर लगेगी जो कि 28 नवंबर शनिवार को सुबह 10:22 तक रहेगी। ज्योतिषाचार्य विमल जैन ने जागरण को बताया कि प्रत्येक दिन का अलग-अलग प्रभाव माना गया है। ब्रह्म मुहूर्त में उठकर समस्त कार्यों से निवृत्त होकर स्नान व पूजा अर्चना के बाद अपने दाहिने हाथ में जल लेकर पूजा करनी चाहिए। शाम को स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करके प्रदोष काल में भगवान शिव की विधि विधान पूर्वक पंचोपचार व षोडशोपचार पूजा करनी चाहिए।
भगवान शिव का अभिषेक करने के बाद उन्हें आभूषण निर्धारित करके धूप दीप के साथ पूजा-अर्चना करनी चाहिए। पर्वती जी की पूजा अर्चना इस दौरान की जाती है। शिव जी की पूजा अर्चना करें तो पूजा का फल मिलता है। भगवान शिव की महिमा में उनकी प्रसन्नता के लिए स्त्रोत का पाठ पुराण में वर्णित कथा का श्रवण करना चाहिए। संबंधित कथाएं सुननी चाहिए जिससे पुण्य का योग बनता है। शिव मंदिर में दर्शन पूजन का लाभ उठाना चाहिए। समस्त जनों के लिए मान्यता को दिन में शयन नहीं करना चाहिए। अपनी दिनचर्या को सीमित रखते हुए लाभान्वित होना चाहिए। अपनी सामर्थ्य के अनुसार योग्य ब्राह्मणों की सहायता करते रहना चाहिए।
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