UP के इस शहर में हाईवे समेत व्यस्ततम सड़कों पर लगे AI कैमरा, कमांड सेंटर से हो निगरानी
वाराणसी में सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने एक योजना बनाई है। हाईवे और व्यस्त सड़कों पर एआई कैमरे लगाए जाएंगे। सड़कों पर वाहनों को खड़ा करने के लिए हर 25 किलोमीटर पर लेन बनाई जाएगी। जाम से निपटने के लिए चौराहों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे और पुलिस जाम खुलवाएगी। ऑटो और ई-रिक्शा के लिए लेन बनाई जाएगी।

मोहन प्रताप राव, जागरण, वाराणसी। सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए धरातल पर उतरकर कार्य करने की जरूरत है। हाईवे और व्यस्ततम सड़कों पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) युक्त कैमरे लगाए जाएं। कमांड सेंटर से सीसीटीवी की मानीटरिंग की जाए। इससे गलत लेन या उल्टी दिशा में वाहन लेकर चलने वालों का पता लगते ही स्थानीय पुलिस अलर्ट हो। ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वालों को रोका जाए और सख्ती की जाए।
पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने कुछ इस तरह प्रदेश में यातायात प्रबंधन का खाका खींचा है। पिछले दिनों डीजीपी राजीव कृष्ण ने उन्हें कार्ययोजना बनाने की जिम्मेदारी दी थी जो तैयार है और जल्द ही सौंप दी जाएगी। मोहित अग्रवाल ने दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में इसे साझा किया। इसमें सड़क दुर्घटनाओं पर प्रभावी रोक, अतिक्रमण व जाम से निजात को लेकर विस्तार से चर्चा की।
कहा, कई बार देखा गया है कि हाईवे या व्यस्त रहने वाली सड़क पर भारी वाहन किसी कारणवश खड़ा है और पीछे से तेज रफ्तार आ रहे वाहन ने उसमें टक्कर मार दी, इस तरह की दुर्घटनाओं में चोटिल होने के साथ ही उसमें सवार लोगों की मौत भी हो जाती है।
ऐसी घटनाएं ना हों, इसके लिए लंबी दूरी की सड़कों पर हर 25 किलोमीटर पर सड़क किनारे एक लेन का निर्माण हो, जिससे कि सड़क पर वाहन खड़ा करने की बजाए लोग उस लेन में अपने वाहन को खड़ा करें।
हाईवे के साथ ही व्यस्ततम सड़कों के किनारे साइनेज और लाईटिंग की पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित हो। हाईवे किनारे बसे गांव की सड़कों को सीधे हाईवे से जोड़ने की बजाए उनको बगल से सर्विस लेन के माध्यम से हाईवे से जोड़ा जाए। महानगरों में जाम और अतिक्रमण की समस्या से निजात के लिए सबसे पहले सभी प्रमुख चौराहों के साथ ही व्यापारिक प्रतिष्ठानों के पास सीसीटीवी कैमरा लगे।
इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सीसीटीवी की मानीटरिंग कर रहे कमांड सेंटर से जैसे ही किसी सड़क पर जाम की समस्या पता चले, स्थानीय पुलिसकर्मी को तत्काल मौके पर पहुंचकर जाम खुलवाने का कार्य करे। जाम के लिए ट्रैफिक पुलिस के साथ ही स्थानीय दरोगा और सिपाही की जवाबदेही भी तय की जाए। जब तीनों मिलकर कार्य करेंगे तो जाम की समस्या नहीं होगी।
इसके साथ ही जाम का प्रमुख कारण ई-रिक्शा और आटो का मकड़जाल भी है। सड़कों पर बेतरतीब ई-रिक्शा और आटो खड़ा होने से अन्य राहगीरों को परेशानी होती है। आटो और ई-रिक्शा के संचालन के लिए सड़क किनारे आटो लेन का निर्धारण किया जाए।
सरकारी बस अड्डों को शहर के बाहर बनाया जाए और प्राइवेट बसों के शहर में प्रवेश पर प्रभावी रोक लगायी जाए। स्कूली बसों के लिए भी गाइड लाइन जारी की जाए और स्कूलों से यह सुनिश्चित कराया जाए कि उनके यहां बच्चों को लाने और ले जाने के लिए सिर्फ छोटी बस का ही प्रयोग होगा। अतिक्रमण के लिए सीधे तौर पर स्थानीय थाने की पुलिस की जिम्मेदारी तय की जाए।
यही नहीं, पुलिस-प्रशासन, लोक निर्माण विभाग, एनएचएआइ व आरटीओ की संयुक्त कमेटी को और प्रभावी बनाने के साथ सबकी जवाबदेही तय करनी होगी। सड़कों पर जहां-कहीं ब्लैक स्पाट घोषित हैं, वहां टीम में शामिल सभी विभागों के अफसरों को जाकर दुर्घटना के कारणों की पूरी जानकारी कर कार्ययोजना बनाते हुए कार्य करने की जरूरत है ताकि वहां दोबारा दुर्घटना न हो।
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