Pitru Paksha 2025 : पितृपक्ष इस बार 14 दिनों का, पंचमी व षष्ठी का श्राद्ध एक ही दिन
Pitru Paksha 2025 पितृपक्ष का आरंभ आश्विन कृष्ण प्रतिपदा आठ सितंबर से होगा। इस दिन प्रतिपदा का श्राद्ध किया जाएगा। भारतीय संस्कृति में पितरों के नाम समर्पित यह पक्ष 21 सितंबर आश्विन अमावस्या तक रहेगा उसी दिन पितृ विसर्जन किया जाएगा। इसके अगले दिन 22 सितंबर आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से मां आदिशक्ति की आराधना का महापर्व शारदीय नवरात्र आरंभ हो जाएगा।
जागरण संवाददाता, वाराणसी : पितरों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने, उनकी पूजा-आराधना और तर्पण-अर्पण के विधान इस बार सात सितंबर से आरंभ हो रहे हैं। सात सितंबर को भाद्रपद पूर्णिमा के दिन पूर्णिमा का श्राद्ध किया जाएगा।
भाद्रपद पूर्णिमा के दिन मातृकुल के पितरों नाना-नानी आदि का तर्पण करने का विधान है। पितृपक्ष का आरंभ आश्विन कृष्ण प्रतिपदा आठ सितंबर से होगा। इस दिन प्रतिपदा का श्राद्ध किया जाएगा। भारतीय संस्कृति में पितरों के नाम समर्पित यह पक्ष 21 सितंबर आश्विन अमावस्या तक रहेगा, उसी दिन पितृ विसर्जन किया जाएगा। इसके अगले दिन 22 सितंबर आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से मां आदिशक्ति की आराधना का महापर्व शारदीय नवरात्र आरंभ हो जाएगा।
ज्योतिर्विद पं. ऋषि द्विवेदी का कहना है कि महालया का आरंभ भाद्र शुक्ल पूर्णिमा से ही हो जाता है और यह आश्विन अमावस्या तक रहता है। जिस दिन पूर्णिमा उदया तिथि में होती है, उसी दिन महालया का आरंभ होता है और उसी दिन से श्राद्ध कर्म भी आरंभ होते हैं। चूंकि इस बार उदया तिथि में पूर्णिमा सात सितंबर को है, इसलिए महालयारंभ भी उसी दिन से होगा।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिषि विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. चंद्रमौलि उपाध्याय ने बताया कि भाद्रपद पूर्णिमा छह सितंबर की आधी रात के बाद 12:57 बजे से लग जाएगी जो सात सितंबर की रात 11:47 बजे तक रहेगी। श्राद्ध की पूर्णिमा सात सितंबर को होगी। इसमें अपने मातृकुल के पितरों का श्राद्ध तर्पण-अर्पण किया जाएगा। इसी रात में खग्रास चंद्रग्रहण भी होगा जो पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में दृश्यमान होगा। चंद्रग्रहण रात में 9:52 बजे से आरंभ होकर 1:27 बजे तक रहेगा। चंद्रग्रहण का मोक्ष होते ही आश्विन कृष्ण प्रतिपदा तिथि लग जाएगी। अत: प्रतिपदा का श्राद्ध आठ सितंबर को होगा।
पूर्व विभागाध्यक्ष और श्रीकाशी विद्वत परिषद के संगठन मंत्री प्रो. विनय कुमार पांडेय बताते हैं कि इस बार पितृपक्ष 14 दिनों का होगा। पंचमी व षष्ठी का श्राद्ध 12 सितंबर को होगा। मातृनवमी 15 सितंबर को तथा संन्यासियों का श्राद्ध द्वादशी 18 सितंबर को होगा। चतुर्दशी तिथि में 20 सितंबर को दुर्घटना या शस्त्र से मृत लोगों का श्राद्ध किया जाएगा। उन्होंने बताया कि सूर्योदय से सूर्यास्त तक के कालखंड को 15 भागों में विभाजित कर दिया जाए तो प्रथम से आठवें भाग के कालखंड में श्राद्ध कर्म किया जाता है।
पितृ पक्ष में रखें इनका ध्यान
पितृपक्ष के दौरान पितरों को याद जरूर करना चाहिए। इसी के साथ पितृ पक्ष में सात्विक भोजन करना चाहिए और मांस-मदिरा से दूरी बनानी चाहिए। इस अवधि में आपको रोजाना गीता का पाठ करने से भी काफी लाभ मिल सकता है। इस समय में आपको अपनी क्षमता के अनुसार, ब्राह्मणों को भोजन करवाना चाहिए और दान-दक्षिणा देनी चाहिए। इसी के साथ पंचबलि अर्थात गाय, कुत्ते, कौवे, देव और चींटी के लिए भी भोजन निकालें। अगर आप पितृ पक्ष में इस सभी बातों का ध्यान रखते हैं, तो इससे आपके ऊपर पितरों की कृपा बनी रहती है।
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