Maha Kumbh 2025: काशी में श्रद्धा का सैलाब, आस्था की हो रही परीक्षा; घंटों लाइन में लगने पर मिल रहा बाबा विश्वनाथ के दर्शन
Maha Kumbh 2025 का लघु स्वरूप काशी की गलियों से घाटों तक दिखाई दे रहा है। श्रद्धालुओं का रेला उमड़ रहा है लेकिन भीड़ के कारण ठहरने नहाने और खाने-पीने में दिक्कतें हैं। फिर भी आस्था प्रबल है और लोग बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए घंटों कतार में लग रहे हैं। पूरी काशी श्रद्धालुओं से अटी हुई है और हर कोई इस अविस्मरणीय यात्रा का आनंद ले रहा है।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। महाकुंभ (Maha Kumbh 2025) का लघु स्वरूप काशी में उतरा हुआ है। चारों दिशाओं से श्रद्धालुओं का रेला चला आ रहा है। न चलने को वाहन, न ठहरने को स्थान, न नहाने को घाटों पर स्थान, न मंदिरों में दरस-परस-ध्यान, खाने का ठिकाना न कोई जगह जहां सुस्ताना, फिर भी आस्था प्रबल है।
हर सनातनी महाकुंभ व काशी को निकल चुका है। क्या राजस्थान, पंजाब, महाराष्ट्र, गुजरात, बंगाल, असम, उड़ीसा, तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल पूरा देश ही इस प्रवाह में बहा जा रहा है। चेहरे पर विषाद नहीं, बाबा दरबार तक पहुंचने का उछाह कहीं रुकने नहीं देता। लाख सांसत सहकर, घंटों कतार में लगकर भी गंगा स्नान व बाबा विश्वनाथ की झलक भर पा उनकी थकान दूर हो जा रही। चेहरे खिल जा रहे, हाथ जोड़ जीवन को धन्य मना रहे।
पूरी काशी श्रद्धालुओं से अटी हुई है। रेलवे स्टेशन हो या सड़कें, विश्रामगृह हो या पेड़ की छांव, होटल, लाज, धर्मशालाएं, स्कूल-कालेजों में बने विश्रामालय, पार्क, खुले मैदानों में पड़े टेंट हों या पेइंग गेस्ट, कहीं भी जगह नहीं। पूरे शहर में सड़कों के किनारे कारों, बसों की पार्किंग बनी हुए हैं।
जिलाधिकारी एस राजलिंगम, अपर पुलिस कमिश्नर डॉ. एस चिनप्पा श्रीकाशी विश्वनाथधाम क्षेत्र का निरीक्षण करते हुए। सूचना विभाग
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शनिवार को प्रशासन के प्रयासों का सुफल दिखा। वाहनों को शहर के बाहर ही रोक दिए जाने और श्रद्धालुओं को गलियों के रास्ते घाटों की ओर भेज देने से सड़काें पर भीड़ कम दिखी। भीड़ का हाल यह कि भोजनालयों में पैसा देकर भी भोजन नहीं मिल रहा, चायखानों की चाय बनते ही खत्म हो जा रही, सबको नहीं मिल पा रही। जिनको महंगे दामों पर सवारी मिल गई वे भी धन्य मना रहे, फिर भी शहर के पास आकर आठ से 10 किमी पैदल चलकर गंगा घाट व फिर पांच किमी लंबी कतार में लग बाबा धाम तक जा रहे।
इस बीच काशीवासी भी जगह-जगह अतिथि देवोभव के भाव से श्रद्धालुओं की सेवा में लगे हैं। सिर पर बोरे, कांधें पर गठरी, झोला लादे स्त्री-पुरुष बच्चे हर-हर महादेव, शिव-शिव का जाप करते चले जा रहे हैं। भीड़ प्रबंधन के नाम पर गलियों में चक्कर काटने को विवश हो रहे।
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन पूजन करने के लिए लाइन में खड़े श्रद्धालु। जागरण
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कहीं रास्ते में ही ईंट का जुगाड़ कर चूल्हे बनाकर खाना भी पका रहे। काशी यात्रा हर किसी के लिए अविस्मरणीय तो है ही, दुश्वारियां भी कम नहीं। तमिलनाडु से आए शंकर महादेवन ने कहा कि, यह तो भगवान शिव भक्ति की परीक्षा ले रहे हैं।
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