Paryushan Mahaparv in Varanasi : पर्यूषण महापर्व के मौके पर जैन मंदिरों में दस दिनों तक होगा विशेष पूजन
जैन धर्म का पर्यूषण महापर्व शुक्रवार से आरंभ हो रहा है। यह महापर्व आगामी 19 सितंबर तक चलेगा। इन 10 दिनों तक संपूर्ण देश के जैन मंदिरों में विशेष पूजन-अर्चन सांस्कृतिक व प्रवचन आदि के कार्यक्रम होंगे। जैन धर्मावलंबी 10 दिन का उपवास या एक आसन आदि व्रत करते हैं।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। जैन धर्म के सुप्रसिद्ध महापर्व पर्युषण पर्व का शुभारंभ शुक्रवार से हुआ। 19 सितंबर तक चलने वाले इस 10 दिवसीय महापर्व पर जनपद के जैन मंदिरों में विशेष पूजन अर्चन विधान सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रवचन आदि आरंभ हो गए। अधिकतर जैन धर्मावलंबी 10 दिन का उपवास या एक आसन आदि का व्रत करते हैं। भगवान सुपार्श्वनाथ की स्थली श्री भदैनी जी दिगंबर जैन तीर्थ क्षेत्र में पर्युषण पर्व पर प्रातः 7:00 बजे भगवान सुपार्श्वनाथ का जलाभिषेक एवं संपूर्ण विश्व में महामारी के नाश हेतु शांतिधारा और विभिन्न पूजा-पाठ हुए। सायंकाल 7:00 भव्य आरती एवं प्रवचन का कार्यक्रम होगा।
श्री दिगंबर जैन समाज काशी के उपाध्यक्ष राजेश जैन ने बताया कि समस्त कार्यक्रम जैन मुनि आचार्य श्री 108 विशद सागर जी महाराज (ससंघ) के मंगल सान्निध्य में आरंभ हुआ। नगर के जैन मंदिरों भेलूपुर, सारनाथ, खोजवां, नरिया, भदैनी, चंद्रपुरी, मैदागिन एवं ग्वालदास सहुलेंन स्थित पंचायति मंदिर में विशेष पूजन अभिषेक प्रारंभ हुआ। 16 सितंबर को सुगंध दशमी मनाई जाएगी।
विभिन्न मंदिरों में अभिषेक व संध्या आरती के कार्यक्रम इस प्रकार हैं
मंदिर सामूहिक अभिषेक संध्या आरती
भगवान पार्श्वनाथजी की जन्मस्थली भेलूपुर प्रातः 7:45 बजे सायं 7.00 बजे।
श्री दिगंबर जैन पंचायती मंदिर ग्वालदास सहुलेंन प्रातः 8:30 बजे रात्रि 8.00 बजे।
श्री दिगंबर जैन मंदिर खोजवा प्रातः 7.00 बजे सायं 7.00 बजे। पंडित फूलचंद प्रेमी जी द्वारा शास्त्र प्रवचन।
अनंत चतुर्दशी पर होगा मूल नायक बड़ी प्रतिमा ज़ी का महामस्तकाभिषेक
राजेश जैन ने बताया कि अनंत चतुर्दशी पर ग्वालदास सहुलेन स्थित मंदिर में 19 सितंबर रविवार को सायंकाल चार बजे से मूल नायक बड़ी प्रतिमाजी का महामस्तकाभिषेक होगा। सोमवार 20 सितंबर को पंचायती जैन मंदिर ग्वालदास सहुलेंन में रात 8.00 बजे भजन संध्या व जागरण का कार्यक्रम होगा। मंगलवार 21 सितंबर को विश्व मैत्री क्षमावाणी पर्व के कार्यक्रम में पूजन दोपहर बाद 1.00 बजे एवं क्षमावाणी शाम 5.00 बजे से प्रारंभ होगी। 22 सितंबर बुधवार की सायंकाल, मैदागिन स्थित श्री दिगंबर जैन मंदिर में भजन-जागरण का कार्यक्रम आयोजित है। रविवार 26/9/21 को भेलुपूर स्थित भगवान पार्श्वनाथ जी की जन्म स्थली पर सायंकाल 7 बजे से भजन संध्या आयोजित हैं। 26 सितंबर रविवार को ही प्रातः 8.00 बजे से सायंकाल 5.00 बजे तक ग्वालदास सहुलेंन स्थित श्री दिगंबर जैन पंचायती मंदिर में नमोकार महामंत्र का पाठ किया जाएगा।
होती है आत्मशुद्धि
यह पर्व पूर्ण आत्मशुद्धि के लिए मनाया जाता है। हर व्यक्ति अपनी क्षमता अनुसार इसे व्रत, पत, जप, संयम व साधना द्वारा पूर्ण करता है। जैन धर्म में सादगीपूर्ण, अहिंसावादी जीवन जीने को प्रेरित करता है । केवल आत्म उत्थान ही नहीं, यह धर्म पूर्ण वैज्ञानिक दृष्टि से भी व्यक्ति को शुद्धि प्रदान करता है। इस पर्व के दौरान अनुयायी फल सब्जी का त्याग कर उच्च प्रोटीन आहार लेते हैं। भादों माह में हर फल- सब्जी में कीड़े मकौड़े पनप चुके होते हैं। जिसको खाने से व्यक्ति रोग का शिकार हो सकता है। साथ ही व्रत करने से शरीर का पाचन तंत्र मजबूत होता है। इस पर्व के दौरान व्यक्ति अपने गुरु के समीप जाकर शास्त्र का वाचन सुनता है। यह शास्त्र मनुष्य के दूषित मन को शुद्ध कर ज्ञानवान बना कर सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह करते हैं। धर्म शास्त्र व्यक्ति को नीतिशास्त्र व आचार शास्त्र का ज्ञान देता है। जिंदगी की भाग दौड़ में न्याय -अन्याय का सामना कर, व्यक्ति अपने मूल आचरण को भूल जाता है। इस पर्व के दौरान वह पुनः अपने संस्कारों को जान पाता है। आत्मविश्लेषण करता है। इससे मानसिक रुप से व्यक्ति मजबूत होकर नीति पूर्वक जीवन जीने के लिए प्रेरित होता है। जैन धर्म में तप को बहुत महत्व दिया जाता है। तप करने से व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता बढ़ती है। तप करने से व्यक्ति परमात्मा के समीप होकर सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करता है।
क्षमा दिवस है महत्वपूर्ण
इस पर्व की सुंदरता तो छुपी हुई है इस पर्व के अंत में होने वाले 'क्षमा दिवस' में। इस दिन हर व्यक्ति अपने समाज, परिवार, मित्र, सहयोगी आदि से वर्ष भर हुई त्रुटियों के लिए क्षमा मांगता है। अपने अहंकार का शमन कर हाथ जोड़कर एक दूसरे से श्रमा मांगते हैं। जब हम झुकते हैं तो हमारा कद और भी ऊंचा हो जाता है।
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