पंडित राजन मिश्र ने भाई साजन के साथ मिलकर 400 साल की पारिवारिक गायन परम्परा को आगे बढ़ाया
बनारस संगीत परंपरा बनारस घराने के प्रख्यात शास्त्रीय गायक पंडित राजन मिश्र और साजन मिश्र ने पाकिस्तानी सरजमीं पर अपनी गायकी पेश करने की तमन्ना जाहिर की थी। दुनिया के लगभग सभी देशों में गायन प्रस्तुत कर चुके हैं।
वाराणसी, जेएनएन। 400 साल की पारिवारिक परम्परा को आगे बढ़ाते हुए राजन और साजन मिश्रा को संगीत जगत में बहुत ही सम्मान से देखा जाता है। बनारस घराने में जन्मे पंडित राजन और पंडित साजन मिश्रा को संगीत की शिक्षा उनके दादा पंडित बड़े राम जी मिश्रा और पिता पंडित हनुमान मिश्रा ने ही दी।
साजन जी का विवाह पंडित बिरजू महाराज की पुत्री- 'कविता' से हुआ था और राजन जी का विवाह पंडित दामोदर मिश्र की पुत्री- 'बीना' से हुआ था। आज राजन जी के सुपुत्र - रितेश और रजनीश भी सफल गायक के रूप में अपनी पहचान बना चुके हैं। पंडितसाजन का पुत्र - 'स्वरांश' भी निरंतर संगीत साधना में रत है।
1978 में राजन-साजन जोड़ी ने श्रीलंका में अपना पहला विदेशी शो किया
किशोरावस्था में 1978 में राजन-साजन जोड़ी ने श्रीलंका में अपना पहला विदेशी शो किया। आज इनकी आवाज सरहदों के पार- जर्मनी, फ्रांस, स्वीटजरलैंड, आस्ट्रेलिया, अमेरिका, ब्रिटेन, सिंगापुर, जैसे कितने ही मुल्कों में गूंजती है। ख्याल शैली में अतुलनीय गायन के लिए लोकप्रिय इन भाइयों की जोड़ी को 1971 में प्रधानमंत्री द्वारा संस्कृत अवार्ड मिला, 1994-95 में गंधर्व सम्मान और 2007 में पदम् भूषण से नवाज़ा गया। इनके 20 से अधिक एल्बम संगीत प्रेमियों के लिए उपलब्ध हैं। वैसे तो मशहूर राजन और साजन मिश्रा ने कभी फिल्मों के संगीत निर्देशन के सम्बन्ध में कभी अपनी रूचि नहीं दिखाई, किन्तु अभी लखनऊ के निर्देशक राकेश मंजुल की फिल्म- 'तेरा देश, मेरा देश' के लिए संगीत निर्देशन की सहमति दी है।
पाकिस्तानी सरजमीं पर अपनी गायकी पेश करने की तमन्ना
बनारस घराने के प्रख्यात शास्त्रीय गायक पंडित राजन मिश्र और साजन मिश्र ने पाकिस्तानी सरजमीं पर अपनी गायकी पेश करने की तमन्ना जाहिर की थी। कुछ साल पूर्व संकट मोचन संगीत समारोह के तहत वाराणसी आए मिश्र बंधुओं ने कहा था कि जहां संगीत के शौकीन हों वहां गायन की इच्छा होती है। अगर कभी प्रस्ताव मिला तो पाकिस्तान अवश्य जाएंगे। काफी समय से पाकिस्तान में गाने की तमन्ना है। मिश्र बंधुओं ने ने कहा था कि पाकिस्तान से तो कई कलाकार भारत आते रहते हैं, लेकिन भारत से कलाकार पाक नहीं जा पाते, जबकि पाकिस्तान में भी भारतीय कलाकारों के बहुतेरे कद्रदान हैं। उन्होंने कहा कि हम दोनों अब तक दुनिया के लगभग सभी देशों में गायन प्रस्तुत कर चुके हैं, लेकिन पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान, बांग्लादेश और चीन जाने का मौका अब तक नहीं मिला है।
विभिन्न संगीत समारोहों में शिरकत करने के लिए सबसे ज्यादा 23 बार अमेरिका जा चुके पं राजन साजन मिश्र ने कहा, अमेरिका में प्रवासी भारतीय बहुत हैं। इसलिए वे शास्त्रीय संगीत बहुत चाव से सुनते हैं। यही हाल यूरोपीय देशों खासकर आस्ट्रिया की राजधानी विएना में भी है। विएना तो संगीत का गढ़ है। श्रोता राग मालकौस और राग दरबारी की फरमाइश करते हैं। स्विटजरलैंड एवं जर्मनी के म्यूनिख एवं बर्लिन में भी शास्त्रीय संगीत के प्रेमी हैं। फिल्मों में गायन के सवाल पर उनका कहना था, सुर संगम..वो तेरा नाम था तथा तमिल फिल्म इलिया राजा के लिए के लिए हम गा चुके हैं। अगर फिल्मों से प्रस्ताव आया तो जरुर गाएंगे।
संगीत से इतर प्रकृति से भी जुड़ाव
संगीत से इतर पं राजन साजन का प्रकृति से भी जुड़ाव बढ़ता जा रहा है। उन्होंने कहा, यहां जब हम घर पर होते हैं तो पेड़ और उस पर आने वाली चिडि़यों को निहारते रहते हैं। उस वक्त जो अनुभूति होती है, उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। प्रेम ही एक ऐसा माध्यम है, जो एक दूसरे को जोड़ता है।