Move to Jagran APP

खबर आपके काम की : यह खबर आपका 'पकौड़ों' के बारे में बदल कर रख देगी नजरिया

बरसात के मौसम में जब मोनी ने अपनी मम्मी से पकौड़े खाने की फरमाइश तो मम्मी ने यह कहकर मना कर दिया कि इस मौसम में पकौड़ों से पेट खराब हो जाता है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Fri, 26 Jul 2019 05:01 PM (IST)Updated: Sat, 27 Jul 2019 08:30 AM (IST)
खबर आपके काम की : यह खबर आपका 'पकौड़ों' के बारे में बदल कर रख देगी नजरिया
खबर आपके काम की : यह खबर आपका 'पकौड़ों' के बारे में बदल कर रख देगी नजरिया

वाराणसी [वंदना सिंह]। बरसात के मौसम में जब मोनी ने अपनी मम्मी से पकौड़े खाने की फरमाइश तो मम्मी ने यह कहकर मना कर दिया कि इस मौसम में पकौड़ों से पेट खराब हो जाता है। आप लोग भी यही सोचते होंगे। मगर क्या आपको मालूम है बरसात में पकौड़ों का एक निश्चित मात्रा में सेवन सेहत के लिए फायदेमंद होता है। यह पेट बिगाड़ता नहीं बल्कि पाचन अच्छा करता है। खास तौर से अगर इसे करौंदा, आम पुदीने या इमली की चटनी के साथ खाया जाए तो निश्चित तौर पर बरसात के मौसम में स्वाद के साथ सेहत भी फिट होगी।

loksabha election banner

चौकाघाट स्थित राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय, वाराणसी के कायचिकित्सा एवं पंचकर्म विभाग के वैद्य डा.अजय कुमार बताते हैं पकौड़े विशेष रूप से लवण रस से युक्त होते हैं। लवण के सेवन से जठराग्नि भी तीव्र रहती है और स्नेह भी अच्छा अग्निवर्धक माना जाता है। जिनका बीपी कम रहता है वे लोग इसका सेवन करें। ये भूख बढ़ाता है, बेसन रिच प्रोटीन सोर्स माना जाता है और पकौड़े में इसका प्रयोग होता है। इसके साथ ही इसमें सब्जियों का प्रयोग होता है जो इसे और भी लाभकारी बना देता है।

बरसात में करौंदा, आम, पुदीना, इमली की चटनी बनती है जो अम्ल रस युक्त होता है यानी खट्टा होता है। पकौड़े के साथ अगर इसका सेवन किया जाए तो यह पाचन के लिए उपयुक्त होता है। पकौड़े को आजकल लोग सरसों के तेल से तलते हैं जबकि इसे तिल के तेल या घी में तलना चाहिए। इससे इसमें स्नेह गुण भी आ जाता है जिससे वात का शमन हो जाता है।

इस मौसम में खाने पीने को लेकर बहुत सावधानी बरतने की जरूरत होती है। आयुर्वेद के अनुसार ग्रीष्म ऋतु में वात का संचय होता है जो कि वर्षा ऋतु में प्रकुपित हो जाता है। इसलिए इस मौसम में ऐसे आहार-विहार लेना चाहिए जो कि वात को नियंत्रित करें।

यह भी जानें : गर्मी में मनुष्य की पाचक अग्नि मंद हो जाती है मगर बरसात में और भी मंद हो जाती है। फलस्वरूप अजीर्ण, अपच, मंदाग्नि, उदरविकार आदि अधिक होते हैं। इस मौसम में पुराने जौ, गेंहू और चावल का भोजन करें। इसके पीछे कारण यह है कि वात शीत गुण और रुक्ष गुण वाला होता है। इसके विरोधी अम्ल, लवण और स्नेह गुण होता है। इनके सेवन से वात की शांति हो जाती है।

अब खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस, डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.