मणिकर्णिका अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में दूसरे दिन अलग-अलग भाषाओं की फिल्मों का दर्शकों ने लिया आनंद
मणिकर्णिका फिल्म फेस्टिवल ट्रस्ट एवं नागरी नाटक मंडली ट्रस्ट की ओर से आयोजित मणिकर्णिका अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल के दूसरे दिन रविवार को दर्शकों ने अलग-अलग भाषाओं की फिल्मों का आनंद लिया। समारोह की पहली फीचर फिल्म भी गौरव मदान निर्देशित ‘बारह गुणा बारह’ दिखाई गई।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। मणिकर्णिका फिल्म फेस्टिवल ट्रस्ट एवं नागरी नाटक मंडली ट्रस्ट की ओर से आयोजित मणिकर्णिका अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल के दूसरे दिन रविवार को दर्शकों ने अलग-अलग भाषाओं की फिल्मों का आनंद लिया। समारोह की पहली फीचर फिल्म भी गौरव मदान निर्देशित ‘बारह गुणा बारह’ दिखाई गई। यह बनारस में ही फिल्माई गई है। इसमें बनारस का बेहद शानदार ढंग से फिल्मांकन किया गया है।
फिल्म का विषय मार्मिक और वास्तविक था। फिल्म को बनारस के वास्तविक लोकेशन पर ही शूट किया गया है। इसके अलावा तेलगू फिल्म दहनम का प्रदर्शन किया गया। इसके भी कुछ भाग को बनारस में फिल्माया गया है। फिल्म का विषय पुजारी और डोम से संबंधित है। उसके बाद हिंदी फिल्म ''''जट जटिन का प्रदर्शन किया गया। यह बिहार की बहुप्रचलित लोककथा पर आधारित है। फिल्म के निर्माता एवं लेखक बिहार के जाने-माने रंगकर्मी अनिल पतंग हैं। अंग्रेजी फीचर फिल्म सिटी आफ स्पाई का भी प्रदर्शन किया गया। इसके अलावा पूर्वांचल श्रेणी की लगभग 10 लघु फिल्म के साथ ही विभिन्न भाषाओं की कई फिल्में प्रदर्शित की गईं। समारोह के दौरान निर्देशक सीमा देसाई के साथ फिल्म निर्देशन पर मास्टर क्लास लिया गया। इसका संचालन लेखक कुमार विमलेन्दु ने किया। सीमा देसाई ने दर्शकों व भावी फिल्ममेकरों संग अनुभव साझा किए।
आत्मा के जो सबसे करीब हो उस किरदार की चाहत शेष : संजय मिश्र
महोत्सव के दूसरे दिन भी मौजूद अभिनेता संजय मिश्रा ने एक सवाल के जवाब में कहा कि जो आत्मा के सबसे करीब हो उस किरदार को निभाने की चाहत अभी भी शेष है। बनारस में इस तरह आयोजन से वह बेहद उत्साहित रहे। उन्होंने कई नए प्रतिभागी युवा निर्देशकों के फिल्म की सराहना की।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।