Varanasi News: 20 डॉक्टरों ने डेढ़ साल की बच्ची के दिल से निकाला ट्यूमर, कुल खर्च जानकर हो जाएंगे हैरान
वाराणसी के बीएचयू अस्पताल में उत्तर भारत की सबसे कम उम्र की डेढ़ वर्ष की बच्ची के हृदय से ट्यूमर निकालने में सफलता मिली। विल्म्स ट्यूमर से पीड़ित बच्ची के हृदय तक फैले ट्यूमर को 20 डॉक्टरों की टीम ने 10 घंटे की सर्जरी में हटाया। निजी अस्पतालों में इस सर्जरी का खर्च 25 लाख तक आता जबकि बीएचयू में यह 60 हजार में हुई।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। डेढ़ वर्ष की बच्ची का राइट एट्रियम से हृदय खोलकर ट्यूमर हटाने में सफलता मिली है। यह बच्ची उत्तर भारत की सबसे कम उम्र की मरीज बनी, जिस पर इतनी जटिल सर्जरी की गई है। बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल में काॅर्डियक बाईपास के तहत बीटिंग हार्ट पर सर्जरी प्रक्रिया पूरी की गई है। महामना कैंसर अस्पताल में ट्यूमर की प्रगति रोकने के लिए कीमोथेरेपी की जा रही थी।
बच्ची को महामना कैंसर अस्पताल से आइएमएस बीएचयू के बाल शल्य चिकित्सा विभाग को रेफर किया गया। उसे विल्म्स ट्यूमर यानी किडनी कैंसर था, इसमें ट्यूमर थ्रांबस वृक्क शिरा से होते हुए इंफीरियर वेना कावा के माध्यम से हृदय के दाहिने अलिंद तक फैला था।
सीटीवीएस (कार्डियोथाेरैसिक एंड वैस्कुलर सर्जरी) विभाग के प्रो. सिद्धार्थ लखोटिया और बाल शल्य चिकित्सा विभाग के प्रो. वैभव पांडेय ने सर्जिकल प्रबंधन की योजना बनाई। सर्जरी चुनौतीपूर्ण थी क्योंकि बच्ची की उम्र मात्र डेढ़ वर्ष थी और ट्यूमर गुर्दे से लेकर हृदय तक फैला था।
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बीएचयू अस्पताल। जागरण
टीम में डा. अरविंद पांडेय, डा. नरेंद्र नाथ दास, डा. रुचिरा, डा. प्रतिभा राय, डा. आरबी सिंह, व डा. संजीव को भी शामिल किया गया। क्लिनिको-रेडियोलाजिकल मूल्यांकन व हृदय में ट्यूमर के विस्तार का विश्लेषण किया गया। बच्ची की उम्र, बीमारी की गंभीरता और विशेष उपकरणों (जैसे छोटे आकार के इंस्ट्रूमेंट्स और बाइपास कैथेटर) के कारण यह सर्जरी निजी अस्पताल में 25 लाख रुपये तक खर्च आता है, लेकिन बीएचयू में 60 हजार रुपये खर्च पर सर्जरी पूरी हुई।
करीब 20 डाक्टरों की टीम ने दो चरणों में 10 घंटे में सर्जरी की। पहले चरण में ट्यूमर को गुर्दे, लिवर और इन्फीरियर वेना कावा से हटाया जबकि दूसरे चरण में कार्डियक बाईपास के तहत हृदय को खोलकर राइट एट्रियम से ट्यूमर को हटाया।
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प्रक्रिया बीटिंग हार्ट पर की गई और ट्रांस-ईसोफेगल ईको द्वारा गाइड किया गया। यह बच्ची उत्तर भारत की सबसे कम उम्र की मरीज बनी, जिस पर इतनी जटिल सर्जरी की गई। उसे 14 दिनों तक आइसीयू में देखभाल के बाद कीमोथेरेपी के लिए रेफर किया गया।
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