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    बीएचयू पहुंचे फिजी के उप उच्चायुक्त नीलेश रोनिल कुमार, बोले - 'फिजी दूसरा भारत है'

    By Abhishek SharmaEdited By:
    Updated: Mon, 20 Dec 2021 08:00 PM (IST)

    भोजपुरी ने फिजी में भी हमें भारत से जोड़े रखा है। भारत में तमाम दूतावास है लेकिन हमारी खुशकिस्मती है कि फिजी के दूतावास का भारत के साथ गहरा जुड़ाव है। फिजी व भारत की भाषा मे समानता के कारण मैं भारत मे काफी घुल मिल गया हूं।

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    फिजी के उप -उच्चायुक्त नीलेश रोनिल कुमार के आगमन के उपलक्ष्य में 'सम्मान सह संवाद' का कार्यक्रम आयोजित किया गया।

    वाराणसी, जागरण संवाददाता। भोजपुरी अध्ययन केन्द्र, बीएचयू में भारत में फिजी के उप -उच्चायुक्त नीलेश रोनिल कुमार के आगमन के उपलक्ष्य में 'सम्मान सह संवाद' का कार्यक्रम आयोजित किया गया। उन्होंने कहा कि फिजी दूसरा भारत है। दोनों देशों की सांस्कृतिक विशेषताओं में काफी समानताएं हैं। फिजी में भी कई पीढ़ी से भारत के लोग रह रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाषा हमें जोड़ने का काम करती है। भोजपुरी ने फिजी में भी हमें भारत से जोड़े रखा है। भारत में तमाम दूतावास है लेकिन हमारी खुशकिस्मती है कि फिजी के दूतावास का भारत के साथ गहरा जुड़ाव है। फिजी व भारत की भाषा मे समानता के कारण मैं भारत मे काफी घुल मिल गया हूं।

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    अध्यक्षता करते हुए कला संकाय प्रमुख प्रो. विजय बहादुर सिंह ने कहा कि फिजी व भारत का संबंध बहुत पुराना है। फिजी में तमाम ऐसे इलाके है जहां भोजपुरी व अवधी के भाषाओं के शब्द घुल मिल गए हैं । कहा कि भाषायी समानता मनुष्य को संस्कारित करती है। विशिष्ट अतिथि आइएमएस न्यूरोलाजी विभाग के अध्यक्ष प्रो. विजय नाथ मिश्र ने कहा कि फिजी में रामायण (रामचरितमानस) लगभग हर घर मे मिल जाएगी। उन्होंने कहा कि हिंदी को बढ़ावा देने में भारत के बाहर रामचरितमानस की महत्वपूर्ण भूमिका है। साथ ही उन्होंने फिजी के मशहूर लेखक तोता राम सनाढय के नाम से एक चेयर का प्रस्ताव भी रखा।

    केंद्र के समन्वयक प्रो. श्रीप्रकाश शुक्ल ने कहा कि हमारे लिए अत्यंत प्रसन्नता का विषय है कि हमारे बीच फिजी के उच्चायुक्त नीलेश रोनिल कुमार उपस्थित है। फिजी, मारीशस आदि वह देश है जहां भारत से विस्थापन ज्यादा हुआ है। उन्होंने आगे कहा कि जब जनपदीय अध्ययन की बाते हो रही थी तो यह अहसास हुआ है कि जनपद का अध्ययन करना अपने राष्ट्र का अध्ययन करना है। जब हम अपने जनपद से कट जाते हैं तो हम अपने राष्ट्र से कट जाते है। उनके अनुसार जनपदीयता सर्जक को समृद्ध करती है और संस्कृति को सरोकारी बनाती है।

    साथ ही केंद्र की छात्रा खुशबू कुमारी, सविता पांडेय व छात्र उदय पाल ने लोक गीतों की सुमधुर प्रस्तुति की गई। सुधीर कुमार ने बांसुरी की एकल प्रस्तुति दी। प्रो. चंपा सिंह ने उच्चायुक्त को अपनी पुस्तक 'भोजपुरी लोक गीतों में स्त्री सन्सार' भी भेंट की। संचालन डा. शिल्पा सिंह व धन्यवाद ज्ञापन प्रो. चंपा सिंह ने किया। इस मौके पर डा. प्रभात मिश्र, डा. विन्धयाचल यादव, डा. विवेक सिंह, डा. अमरजीत राम, डा. रवि सोनकर, डा. देवेंद्र सिंह, डा. अजय सिंह, शिव विश्वकर्मा, शैलेश तिवारी आदि मौजूद थे।