'सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी के बगैर कछुआ सेंक्चुअरी कैसे हटा दी', NGT ने बनारस में टेंट हाउस बसाने के लेकर UP सरकार से पूछा
एनजीटी ने उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा है कि सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के बिना कछुआ सेंक्चुअरी की अधिसूचना रद्द कर वहां टेंट सिटी कैसे बसा दी गई। एनजीटी ने यह भी कहा कि बनारस में गंगा में नाले गिर रहे हैं जबकि कछुआ तो गंगा की सफाई करते हैं। कछुआ सेंक्चुअरी की अधिसूचना रद्द करने से वहां के कछुओं जलीय जीव-जंतुओं का क्या होगा?

जागरण संवाददाता, वाराणसी। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने गुरुवार को उप्र सरकार से पूछा कि सुप्रीम कोर्ट की अनुमति लिए बिना कछुआ सेंक्चुअरी की अधिसूचना रद कर वहां टेंट सिटी कैसे बसा दी गई।
एनजीटी के चेयरपरसन न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव, न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल व विशेषज्ञ सदस्य डॉ. ए. सेंथिल वेल की पीठ ने यह भी कहा कि आप स्वीकार करते हैं कि बनारस में गंगा में नाले गिर रहे हैं, जबकि कछुआ तो गंगा की सफाई करते हैं।
कछुआ सेंक्चुअरी की अधिसूचना रद करने से वहां के कछुओं, जलीय जीव-जंतुओं का क्या होगा। वहां कछुओं को खत्म कर दिया गया या उन्हें बनारस से भदोही स्थानांतरित कर दिया गया? मामले में अगली सुनवाई 26 मई को होगी।
उत्तर प्रदेश सरकार के वकील ने अपनी दलील में कहा कि राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड ने कछुआ सेंक्चुअरी की अधिसूचना रद करने की मंजूरी दी थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित सीईसी (केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति) ने सुप्रीम कोर्ट में अंतरिम आवेदन दायर किया है।
याचिकाकर्ता तुषार गोस्वामी की ओर से वकील सौरभ तिवारी ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए पक्ष रखा कि टेंट सिटी बसाने वाली दो कंपियों पर उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से लगाए गए पर्यावरण क्षतिपूर्ति शुल्क के रूप में 17,12,500 रुपये का लगाया गया जुर्माना अब तक वसूला नहीं गया है।
उप्र सरकार के वकील ने जवाब दिया कि टेंट कंपनियां गुजरात की हैं और इसके लिए वाराणसी के जिलाधिकारी के अलावा गुजरात सरकार को पत्र लिखा गया है।
इस पर एनजीटी ने जुर्माना राशि की वसूली को लेकर हुई प्रगति पर शपथपत्र पर दायर करने को कहा। वहीं, केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के वकील ने बताया कि एनजीटी की ओर से लगाया गया पांच हजार रुपये का जुर्माना जमा कर दिया गया है। राज्य सरकार के वकील ने यह भी बताया कि टेंट सिटी बसाने को लेकर फिलहाल कोई योजना नहीं है।
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