सर्दी-खांसी-जुकाम में लापरवाही पड़ सकती है भारी, इन्फ्लुएंजा वायरस के संक्रमण का भी यही लक्षण
कई दिन तक सर्दी खांसी-जुकाम रहने पर लापरवाही न बरतें क्योंकि यह इन्फ्लुएंजा का संक्रमण भी हो सकता है। यह एक तरह का वायरस है जो श्वसन तंत्र को प्रभावित ...और पढ़ें

वाराणसी, जेएनएन। कई दिन तक सर्दी, खांसी-जुकाम रहने पर लापरवाही न बरतें, क्योंकि यह इन्फ्लुएंजा का संक्रमण भी हो सकता है। यह एक तरह का वायरस है, जो श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है। इसकी शुरुआत खांसी, जुकाम और हल्के बुखार के साथ होती है। इन्फ्लुएंजा वायरस नाक, आंख व मुंह के रास्ते शरीर में प्रवेश करता है। ये बातें मंडलीय हास्पिटल-कबीरचौरा के वरिष्ठ परामर्शदाता व फिजीशियन डा. एके ङ्क्षसह ने मंगलवार को कही।
बताया अक्सर हम सर्दी-खांसी जैसे लक्षणों को सामान्य समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन सर्दियों के मौसम में अन्य संक्रमणों के मुकाबले इन्फ्लुएंजा का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। यह बीमारी इन्फ्लुएंजा वायरस से होती है जो सर्दियों में अधिक सक्रिय रहता है। कोविड-19 के दौर में इस तरह की लापरवाही नुकसानदेह साबित हो सकती है। वायरस श्वसन तंत्र, नाक, गला और फेफड़ों में संक्रमण फैलाता है। हालांकि यह भी एक सामान्य फ्लू ही है। इसके अधिकतर मामले एक से डेढ़ सप्ताह में अपने आप ही ठीक हो जाते हैं। मगर कभी-कभी इसके कारण होने वाली जटिलताएं परेशानी का सबब बन जाती हैं। आमतौर पर इससे संक्रमित व्यक्ति को आराम और संतुलित आहार लेना चाहिए। तरल पदार्थों का सेवन संक्रमण ठीक करने में बहुत मददगार होता है।
मधुमेह रोगी बरतें सावधानी
यदि किसी को पहले से ही फेफड़े का संक्रमण या मधुमेह की समस्या है तो इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है। इसके उपचार में चिकित्सक एंटी वायरल दवा देते हैं। इन्फ्लूएंजा वैक्सीन इस रोग के विरुद्ध सबसे बेहतरीन सुरक्षा कवच प्रदान करती है।
ऐसे फैलता है वायरस
इन्फ्लूएंजा वायरस ड्रापलेट्स के रूप में हवा के माध्यम से एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचता है। ये ड्रापलेट््स संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने या बात करने पर निकलता है जो सांस के जरिए सामान्य व्यक्ति के शरीर में पहुंचकर उसे बीमार बना देता है। किसी सामान को यदि आप छूते हैं और उसे संक्रमित व्यक्ति द्वारा कुछ समय पहले स्पर्श किया गया है तो आपके संक्रमित होने की पूरी आशंका बनी रहती है।
लक्षण
- बुखार व उल्टी आना।
- ठंड लगना और पसीना आना।
- सिरदर्द होना।
- सूखी खांसी आना।
- कमजोरी और थकान।
- नाक बंद होना व गले में खराश।
- आंखों में दर्द।
- मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द।
इन्हें है अधिक खतरा
- 65 वर्ष से अधिक उम्र वाले।
- स्वास्थ्यकर्मी।
- कमजोर इम्युनिटी वाले।
- गंभीर बीमारियों से ग्रसित व्यक्ति।
बचाव के उपाय
- समय-समय पर हाथों को धोते रहें।
- आंख, नाक और मुंह को छूने से बचें।
- छींकते और खांसते समय रुमाल का इस्तेमाल करें।
- फ्लू के सीजन में भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचें।

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