वाराणसी में शहरी जल निकायों को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता, बोले यूपी के मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र
नदियों के पुनर्जीवन के लिए जिनकी उनकी स्वच्छता जरूरी है उतना ही आवश्यक है शहरी जल निकायों का फिर से पुनर्जीवित करना। शहर के पुराने तालाबों को जिंदा कर हम भूगर्भ जलस्तर के साथ ही पौधों से सुसज्जित कर पारिस्थितिकी तंत्र में भी बदलाव ला सकते हैं।

वाराणसी, जागरण संवाददाता : नदियों के पुनर्जीवन के लिए जिनकी उनकी स्वच्छता जरूरी है, उतना ही आवश्यक है, शहरी जल निकायों का फिर से पुनर्जीवित करना। शहर के पुराने तालाबों को जिंदा कर हम भूगर्भ जलस्तर के साथ ही पौधों से सुसज्जित कर पारिस्थितिकी तंत्र में भी बदलाव ला सकते हैं। आजीविका, मनोरंजन, पर्यटन की दृष्टि से भी यह काफी लाभदायक होगा।
यह कहना है प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र का। वह शुक्रवार को आइआइटी बीएचयू में नमामि गंगे और नेशनल इंस्टीट्यूट आफ अर्बन अफेयर्स (एनआइयूए) के संयुक्त तत्वावधान में चल रहे “शहरी नदियों की फिर से कल्पना” विषयक दाे दिवसीय थीसिस प्रतियोगिता सत्र-दो के समापन समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत किया, साथ ही सत्र-3 का शुभारंभ भी किया।
मुख्य सचिव ने कहा कि नदियों का पुनर्जीवन शहरों का अर्थशास्त्र व पर्यावरण तंत्र बदल सकता है। नदियों की दशा तभी बदलेगी जब नई पीढ़ी के युवाओं की सोच बदले। उन्होंने नेशनल इंस्टीट्यूट आफ अर्बन अफेयर्स को परामर्श दिया कि अगले सत्र का नाम बदलकर “शहरी जल निकायों की फिर से कल्पना” कर दें। स्वच्छ गंगा के लिए राष्ट्रीय मिशन (एनएमसीजी) के महानिदेशक अशोक कुमार व अमृत परियोजना की निदेशक डी थारा ने भी आनलाइन संबोधित किया।
शुभारंभ महामना महामना की प्रतिमा पर दीप प्रज्वलन व माल्यार्पण से हुआ। एनआइयूए के मुख्य तकनीकी सलाहकार राजीव रंजन मिश्र ने अतिथियों का स्वागत किया। आइआइटी निदेशक प्रो. पीके जैन ने वाराणसी को ज्ञान की धरा बताया। मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल, एनआइयूए के निदेशक हितेश वैद्य, एनएमसीजी के कार्यकारी निदेशक (परियोजना) हिमांशु बडोनी, प्रो. राणा पीबी सिंह आदि भी उपस्थित थे।
दिल्ली की रूपल व कालीकट की अरुणिमा रहीं प्रथम
प्रतियोगिता में स्नातक श्रेणी में योजना तथा वास्तुकला विद्यालय, दिल्ली की रूपल श्रीवास्तव प्रथम रहीं। योजना तथा वास्तुकला विद्यालय भोपाल के उज्ज्वल सिंह द्वितीय, डा. भानुबेन नानावती कालेज आफ आर्किटेक्चर पुणे की मोहिनी विकास भोसेकर व एनआइटी श्रीनगर के मुबशिर अर्शिद संयुक्त रूप से तृतीय रहे।
परास्नातक श्रेणी में एनआइटी कालीकट की अरुणिमा केटी प्रथम, आइआइटी खड़गपुर की करपा गवली एस द्वितीय और योजना एवं वास्तुकला विद्यालय दिल्ली की साक्षी सिंह तृतीय रहीं। निर्णायक समिति में बायोम पर्यावरण समाधान के निदेशक एस विश्वनाथ, वास्तुकला और योजना विभाग आइआइटी रुड़की के प्रो. गौरव रहेजा, आइआइटी बीएचयू के मानविकी की सहायक प्राेफेसर डा. अमृता द्विवेदी शामिल थीं।
अर्बन इंडिया जर्नल के विशेषांक का विमोचन
कार्यक्रम में आइआइटी (बीएचयू) के निदेशक प्रो. प्रमोद कुमार जैन एवं अतिथियों द्वारा एनआइयूए द्वारा प्रकाशित अर्बन इंडिया जर्नल (वाल्यूम 41) के विशेषांक का विमोचन हुआ। इसमें थीसिस प्रतियोगिता के पहले सत्र के छह शोध पत्रों का संकलन है।
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