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    सीर गोवर्द्धन में मंदिर और संगत के विकास के नाम पर दानदाताओं ने झोली खोलकर किया दान

    By Abhishek SharmaEdited By:
    Updated: Wed, 16 Feb 2022 04:53 PM (IST)

    Ravidas Jayanti 2022 वाराणसी में संत रविदास जन्मस्थली सीरगोवर्द्धनपुर में जयंती के दिन संत निरंजन दास ने प्रतिनिधि के रुप में संत मनदीप दास को भेजकर सुबह सात बजे नगवां स्थित रविदास पार्क में संत रविदास की प्रतिमा पर माल्यार्पण कराया।

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    सीर गांवर्द्धनपुर में संत रविदास जयंती के मौके पर लोगों ने खूब दान भी किया।

    वाराणसी, जागरण संवाददाता। संत रविदास जयंती के अवसर पर देश विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं और कलाकारों की तरफ से सत्संग पंडाल में भजन और सांस्कृतिक कार्यक्रम तथा संतो के प्रवचन का आयोजन किया गया। सांस्कृतिक कार्यक्रम में ऐसी लाज तुम बिन कौन करे ..., प्रभु जी तुम चंदन हम पानी, मुन्ना लाल यादव ने संत रविदास पर बिरहा गाया।

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    मंच का संचालन कर रहे रविदासिया समुदाय के उपाध्यक्ष और मंदिर के संत मनदीप दास ने " चलो बनारस साधु संगत जी एक इतिहास रचाना है। गुरु रविदास के मंदिर को सोने से मढ़ाना है की शुरुआत की शुरुआत की तो दर्जनो की संख्या में महिलाओं और पुरूष श्रद्धालुओं ने दान देना शुरू किया। कोई अंगूठी तो कान की बाली तो कुछ लोगों ने गुप्त दान भी किया। रविदासिया संगठन यूरोप की तरफ से तीन लाख का चेक मिला। जोगेंद्र पाल ने एक लाख का चेक, रामपाल प्रधान यूएई 25 हजार, गुरुनाम सुमन इटली ने 25 हजार, परमिंदर कुमार ने 25 हजार के अलावा दर्जनों लोगों ने कैश दान किया। सत्संग पंडाल में 108 श्री संत निरंजन दास, संत मनदीप दास, संत परगट नाथ, संत लेखराज, संत प्रीतम दान, संत सुमित्र दास, संत धनपत दास, संत रोशनी दास सहित तमाम रैदासिया संत मौजूद रहे।

    रविदासिया धर्म का ध्वजारोहण किया : संत रविदास जन्मस्थली सीरगोवर्द्धन पुर में जयंती के दिन धर्म प्रमुख संत निरंजन दास ने प्रतिनिधि के रुप में संत मनदीप दास को भेजकर सुबह सात बजे नगवां स्थित रविदास पार्क में संत रविदास की प्रतिमा पर माल्यार्पण कराए। इसके बाद मंदिर में रविदासिया धर्म के 120 फीट ऊंचा हरि निशान का ध्वज को भक्तों के साथ भजन कीर्तन करते हुए ध्वजारोहण किया। मंदिर परिसर में ही संगमरमर के चबूतरे पर धर्म का पवित्र निशान साहब 'हरि' निशान लगा पताका बनाया गया है। ध्वजा को ऊपर उठाने के लिए पूली और मोटे लोहे के तार की व्यवस्था की गयी है। पूली को इसे घुमाया जाता है और ध्वजा ऊपर उठती जाती है। इसके बाद वहां उपस्थित हजारों की संख्या में महिलाएं और पुरूष श्रद्धालु मंदिर तथा आसपास के छतों से गेंदा और गुलाब के फूलों पुष्प वर्षा करते रहे।

    भक्त रविदास शक्ति अमर रहे के जयकारे के साथ जमकर झूमते और नाचते हुए अपने गुरु की जय जय कार करते रहे। यह दृश्य देखने लायक होता था। संत निरजंन दास काफिले साथ सवा 11 बजे मुख्य संत्संग पंडाल की तरफ रवाना किये। रविदासिया धर्म संगठन के 12 साल पूरे होने पर हर्ष के साथ मनाया गया। 14 दिन से मंदिर में हो रहे रविदास अमृतवाणी पाठ का समापन हुआ। इस दौरान रात से मंदिर मस्य संत रविदास के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की एक किलोमीटर से ज्यादा लंबी कतार लग गईं।