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    नागनथैया लीला के ल‍िए तुलसीघाट पर उमड़ी भीड़, श‍िव की नगरी में गूंजा "जय कन्‍हैया लाल की"

    By Abhishek sharmaEdited By: Abhishek sharma
    Updated: Sat, 25 Oct 2025 12:58 PM (IST)

    नागनथैया लीला के आयोजन की तैयारी पूरी हो चुकी है और गंगा घाट पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। यह लीला भगवान कृष्ण की नाग पर विजय का प्रतीक है, जिसे देखने दूर-दूर से लोग आते हैं। सुरक्षा व्यवस्था के भी इंतजाम किए गए थे।

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    लीला के मंचन की तैयारी भी जोर- शोर से चल रही है।

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। काशी की गंगा तुलसी घाट पर गोकुल की जमुना बनने को आतुर दिखी। ऐसा क्यों न हो। गोस्वामी तुलसीदास की कार्यस्थली तुलसी घाट पर लक्खा मेले में शुमार नाग नथैया लीला की तैयारी शुक्रवार तक जोरशोर से पूरी होती रही। परंपराओं की लीला के दौरान भावों से भरे श्रद्धालु भी उस क्षण को अपलक न‍िहारते रहे। 

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    नागनथैया आयोजन के दौरान काश‍िराज पर‍िवार के अनन्त नारायण सिंह के बजड़े पर जाकर उन्हें पहनाई माला। अनन्त नारायण ने महंत विश्वंभर नाथ मिश्र को परंपरा के तौर पर सोने की गिन्नी भेंट की। शन‍िवार दोपहर के बाद आयोजन में शाम‍िल होने के ल‍िए लोगों का हुजूम घाट की ओर बढ़ चला। श‍िव की नगरी में आयोजन के बीच "जय कन्‍हैया लाल की" गूंजा तो भावों से अभि‍भूत काशी नजर आने लगी। 

    इस बार बाढ़ के कारण 300 मीटर पीछे कदंब का वृक्ष गाड़ा गया था, जिस पर से यमुना में गई गेंद को निकालने के लिए भगवान श्री कृष्णा कूदेंगे। तीन बजे कंदुक क्रीड़ा के लिए लीला स्थल पर पहुंचे भगवान श्रीकृष्ण तो श‍िव की नगरी जय कन्‍हैया लाल की के घोष से गूंज उठी। तुलसीघाट पर लीला के दर्शनार्थ महंत परिवार सहि‍त अन्‍य गणमान्‍य जन मौजूद रहे। 

    महंत प्रो. विश्वंभर नाथ मिश्र के आवासीय परिसर के बड़े मैदान में कालिय नाग को देर रात बैटरी से संचालित झालर की लाइट लगाकर अंतिम स्वरूप दे दिया गया। पूरे दिन उसे रंग रोगन कर तैयार किया गया। वहीं लीला के मंचन की तैयारी भी जोर- शोर से चल रही थी।

    अखाड़ा गोस्वामी तुलसीदास के महंत प्रो. विश्वंभर नाथ मिश्र की देखरेख में तैयारी अंतिम चरण में थी। उन्होंने जहां कालिय नाग के निर्माण कार्य में लगे लोगों को दिशा निर्देश दिया, वहीं मेले की सुव्यवस्था के बाबत भी जानकारी ली।

    25 फुट लंबी है कालिय नाग की पूंछ

    कालिय नाग को पिछले 15 वर्षों निर्मित कर रहे जयप्रकाश गोंड ने बताया कि कालिय नाग की पूंछ लगभग 25 फुट लंबी बनाई जाती है। नौ फनों वाले इस नाग के प्रत्येक फन साढ़े तीन फुट ऊंचे व उतने ही चौड़े बनाए जाते हैं। लगभग 30 वर्षों से लगातार इस कार्य में लगे ज्ञानू के अनुसार तीन दिनों से 12 लोग कालिय नाग को अंतिम रूप देने में लगे रहते हैं। उक्त नाग को पानी में बांस के सहारे लीला वाले दिन ही गाड़ दिया जाता है।

    श्रीकृष्ण का चयन

    लीला में प्रतिदिन श्रीकृष्ण का पात्र निभाने वाले बालक से अलग गंगा रूपी यमुना में कूदने वाले दूसरे श्रीकृष्ण का चयन नाग नथैया वाली लीला के दिन ही होता है। पिछले अधिकतर वर्षों में कालिय दमन लीला के श्रीकृष्ण वर्तमान महंत प्रो. विश्वंभर नाथ मिश्र अपने बचपन में व उनके सुपुत्र पुष्करनाथ मिश्र ही बनते आए है। करीब आधा दर्जन बच्चों को गंगा में कुदा कर देखा जाएगा। चयन का आधार होगा उसकी हिम्मत।

    कटता है एक कदंब का पेड़ रोपण होते हैं अनेक

    भगवान श्रीकृष्ण की कालिय दमन की लीला को सजीव बनाने के निमित्त हर वर्ष कदंब का पेड़ काटा जाता है लेकिन पर्यावरण के प्रति सचेत पूर्व महंत प्रो.वीरभद्र मिश्र के समय से लेकर वर्तमान महंत तक इसके बदले में अनेक कदंब के पौधों का करते हैं। संकट मोचन मंदिर परिसर व नगवां स्थित तुलसी विद्या निकेतन में कदंब के अनेक पेड़ देखे जा सकते हैं।

    चाक-चौबंद रहेगी सुरक्षा

    एसीपी भेलूपुर गौरव कुमार व थाना प्रभारी सुधीर त्रिपाठी के अनुसार पुलिस आयुक्त के निर्देश पर सुरक्षा की चाक-चौबंद व्यवस्था की गई है। एनडीआरएफ व जल पुलिस के जवान लगाए गए हैं।