मां कूष्मांडा का अन्नकूट शृंगार, सुरों से सजी अद्भुत छटा
मां कूष्मांडा का अन्नकूट शृंगार सुरों से सजाया गया, जिससे मंदिर का वातावरण भक्तिमय हो गया। भक्तों ने इस अद्भुत दृश्य का आनंद लिया।

बुधवार को गीत-संगीत के बीच अन्नकूट शृंगार महोत्सव मनाया गया।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। दुर्गाकुंड स्थित आदिशक्ति मां कुष्मांडा मंदिर में बुधवार को गीत-संगीत के बीच अन्नकूट शृंगार महोत्सव मनाया गया। महंत पं. कौशलपति द्विवेदी ने माता रानी की विभिन्न प्रकार के फूलों और नूतन वस्त्राभूषण से शृंगार झांकी सजाई। साथ ही 56 प्रकार के मिष्ठान-पकवान का भोग लगाया गया। सायंकाल गीतकार कन्हैया दुबे केडी के संयोजन में कलाकारों ने सुर गंगा बहाई।
डा. आनंद मिश्रा, डा. सनीश ज्ञावली, संदीप केवले ने सितार, बांसुरी, तबले की जुगलबंदी की। इसमें राग पुरिया धनाश्री रूपक तीन ताल में बजाते हुए भजन माला की धुन बजाई। डा. ममता टंडन की शिष्या मांडवी सिंह व शांभवी सेठ ने कथक के भाव सजाए। प्रसिद्ध तबला वादक दीपक सिंह ने एकल तबला वादन में बंगाल, झारखंड, पंजाब, बिहार, यूपी, सहित विभिन्न प्रांतों की लोक धुनें बजाईं।
सीताराम-सीताराम, हर-हर महादेव की धुन बजाकर तालियां बटोरीं।लोक गायक कुमार विनीत ने छप्पन भोग सजाऊंगा मैया मैं तो हर साल आऊंगा मैया... व अंगना पधारो कुष्मांडा महारानी...को स्वर दिया। पारुल नंदा ने अन्नकूट सजा है दरबार तेरी मैया... को सुरों में पिरोया। बाल कलाकार यथार्थ दुबे ने महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र अई गिरी नंदिनी..., हे दुर्गे मैया सुख करनी... से विभोर किया।
अंशिका सिंह ने निमिया के डार मैया... समेत अनेक देवी गीतों से हाजिरी लगाई। चंदन सिंह मधुर, सेजल ठाकुर सहित अनेक कलाकारों ने प्रस्तुति दी। ढोलक पर चंदन, पैड पर साहिल, कीबोर्ड पर चंद्रकांत, बैंजो पर संजय ने संगत किया। स्वागत महंत पं. विश्वजीत दुबे, डा. आलोक शर्मा ने किया।
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