Varanasi News: हनुमान लला की अंगनाई में बही संगीत की त्रिवेणी, ‘हरि’ की बांसुरी से गूंजे हनुमत् आराधना के स्वर
संस्करण की पहली ही प्रस्तुति संगीत रसिकों के लिए स्मरणीय बन गई। पद्मविभूषण पं. हरिप्रसाद चौरसिया के साथ संकट मोचन मंदिर के महंत प्रो. विश्वम्भरनाथ मिश्र ने शानदार-यादगार पखावज वादन किया। पं. हरिप्रसाद चौरसिया के अनुरोध पर प्रो. विश्वम्भरनाथ मिश्र ने उनके बांसुरी वादन के साथ पखावज पर संगत दी। बांसुरी वादन में सहयोग किया विवेक सोनार और वैष्णवी जोशी ने। तबला पर आशीष राघवानी ने संगत की।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। सुर, ताल, वाद्य की झंकार और नृत्य की लय ने संगीत की त्रिवेणी के प्रवाह से हनुमत प्रभु का दरबार पूरी रात भीगता रहा। इसमें कलाकार पूरे भाव में हाजिरी लगाते तो श्रोता मन विभोर हो झूमता रहा। संकट मोचन संगीत समारोह के 102वें आयोजन की प्रथम निशा कुछ इस तरह अपनी सांगीतिक तरुणाई की आभा से निखरती गई।
बुधवार को इस संस्करण की पहली ही प्रस्तुति संगीत रसिकों के लिए स्मरणीय बन गई। पद्मविभूषण पं. हरिप्रसाद चौरसिया की बांसुरी से हनुमत आराधना के स्वर फूटे तो उनके अनुरोध पर संकट मोचन मंदिर के महंत प्रो. विश्वम्भरनाथ मिश्र ने साथ में शानदार-यादगार पखावज वादन किया। बांसुरी से राग विहाग की तान गूंजते ही वातावरण सुरीली लयकारियों से झंकृत होने लगा। इसमें विवेक सोनार और वैष्णवी जोशी ने सहयोग किया। तबला पर आशीष राघवानी ने साथ दिया।
संकट मोचन संगीत समारोह में संतूर वादन की प्रस्तुति करते पंडित राहुल शर्मा, तबला पर पंडित रामकुमार मिश्र । जागरण
दूसरी प्रस्तुति में बेंगलुरू की नृत्यांगना जननी मुरली ने भरतनाट्यम प्रस्तुत किया। गंगा स्तुति पर नृत्य से आरंभ कर मीराबाई के भजन ‘हरि तुम हरो जन की पीर’ पर श्रीबजरंगबली के श्रीचरणों में भावार्पण किया। संत पुरंदरदास की रचना पर आकर्षक नृत्य करके दर्शकों से खूब प्रशंसा बटोरी। समापन महाकाल को समर्पित रचना से की। नवसाधिका के रूप में उन्होंने पहली बार हनुमत दरबार में उपस्थिति दर्ज कराई है।
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तीसरी प्रस्तुति में मुंबई से पधारे पं. राहुल शर्मा ने संतूर वादन से हनुमान लला के चरणों में संगीतांजलि निवेदित की। उन्होंने राग झिंझोटी में आलाप, जोड़ और झाला वादन से श्रोताओं को अभिभूत कर दिया। आरोह-अवरोह के दौरान हाथों का सधा संचालन बेजोड़ रहा।
संकट मोचन संगीत समारोह के 102 वां वर्ष के पहले दिन के चौथे कार्यक्रम में गायन प्रस्तुत करते पं अजय पोहनकर, तबला पर पं समर साहा, संवादिनि पर पारोमिता मुखर्जी, सारंगी पर गौरी बैनर्जी।
राग के स्वरूप के अनुकूल वादन ने श्रोताओं का मन मोह लिया। उन्होंने रूपक ताल में एक व तीन ताल की दो रचनाओं का वादन किया। पहाड़ी धुन के वादन से श्रोताओं को झूमने पर विवश कर दिया। तबला पर बनारस घराने के पं. रामकुमार मिश्र ने संगत की।
चौथी प्रस्तुति में मुंबई से आए डा. अजय पोहनकर ने सुर लगाया। शकील बदायूंनी की ग़ज़ल ‘जिंदगी आज तेरे अंजाम पे रोना आया..." को सुरों में पिरो कर सुगम गायकी से मंत्र मुग्ध किया। तबले पर कोलकाता के पंडित समर साहा, संवादिनी पर दिल्ली की पारोमिता मुखर्जी व सारंगी पर दिल्ली की गौरी बनर्जी ने संगत की।
संकट मोचन संगीत समारोह में भरतनाट्यम की प्रस्तुति करती बेंगलुरु की कलाकार जननी मुरली । जागरण
डा. येल्ला वेंकटेश्वर राव (मृदंगम), पं. प्रवीण गोडखिंडी (बांसुरी), पं. विकास महाराज व विभाष महाराज (सरोद-सितार), रोहित पवार (कथक) को देर रात तक अपनी प्रस्तुतियों का इंतजार रहा। संचालन सौरभ चक्रवर्ती व व्योमेश शुक्ला ने किया।
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महोत्सव में आज
- लावण्या शंकर - भरतनाट्यम
- डा. राजेश शाह - सितार
- पं. अजय चक्रवर्ती - गायन
- विवेक पांड्या - तबला सोलो
- पं. पूर्वायन चटर्जी - सितार
- सोहिनी राय चौधरी -गायन
- मंजूनाथ-नागराज माधवप्पा -वायलिन
- पं. नीरज पारिख - गायन
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