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Mukhtar Ansari: मुख्‍तार अंसारी को फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में आजीवन कारावास की सजा, दो लाख रुपए का जुर्माना

मुख्‍तार अंसारी को 36 साल पुराने फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। वाराणसी की एमपी-एमएलए कोर्ट ने सजा सुनाई है। गाजीपुर में 36 साल पहले फर्जीवाड़ा कर शस्त्र लाइसेंस प्राप्त करने के मामले में विशेष न्यायाधीश (एमपी-एमएलए) अवनीश गौतम की अदालत ने दोषी करार मुख्तार अंसारी को सजा सुनाई। अदालत ने इस मामले में दो लाख दो हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है।

By Jagran News Edited By: Vinay Saxena Published: Wed, 13 Mar 2024 03:28 PM (IST)Updated: Wed, 13 Mar 2024 03:32 PM (IST)
मुख्‍तार अंसारी को 36 साल पुराने फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। मुख्‍तार अंसारी (Mukhtar Ansari) को 36 साल पुराने फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। वाराणसी की एमपी-एमएलए कोर्ट ने सजा सुनाई है।

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गाजीपुर में 36 साल पहले फर्जीवाड़ा कर शस्त्र लाइसेंस प्राप्त करने के मामले में विशेष न्यायाधीश (एमपी-एमएलए) अवनीश गौतम की अदालत ने दोषी करार मुख्तार अंसारी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने इस मामले में दो लाख, दो हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है।

फर्जीवाड़ा कर शस्त्र लाइसेंस प्राप्त करने का 36 साल पुराना मामला

अभियोजन पक्ष का मुख्तार अंसारी के खिलाफ आरोप था कि दस जून 1987 को दोनाली कारतूसी बंदूक के लाइसेंस के लिए जिला मजिस्ट्रेट के यहां प्रार्थना पत्र दिया था। जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक के फर्जी हस्ताक्षर से संस्तुति प्राप्त कर शस्त्र लाइसेंस प्राप्त कर लिया गया था। इस फर्जीवाड़ा का उजागर होने पर सीबीसीआईडी द्वारा चार दिसंबर 1990 को मुहम्मदाबाद थाना में मुख्तार अंसारी,तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर समेत पांच नामजद एवं अन्य अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया।

जांच के बाद तत्कालीन आयुध लिपिक गौरीशंकर श्रीवास्तव और मुख्तार अंसारी के विरुद्ध 1997 में अदालत में आरोप पत्र प्रेषित कर दी गई। मुकदमे की सुनवाई के दौरान गौरीशंकर श्रीवास्तव की मृत्यु हो जाने के कारण उनके विरुद्ध वाद 18 अगस्त 2021 को समाप्त कर दिया गया।

इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से प्रदेश के मुख्य सचिव आलोक रंजन,पूर्व डीजीपी देवराज नागर समेत दस गवाहों का बयान दर्ज किया गया। अदालत में अभियोजन पक्ष की ओर से एडीजीसी विनय कुमार सिंह व सीबीसीआईडी की ओर से ज्येष्ठ अभियोजन अधिकारी उदयराज शुक्ला ने पैरवी की।

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