आजमगढ़ में सगड़ी विधायक वंदना सिंह बसपा छोड़ हुईं भाजपाई, समाजवादी पार्टी से भी रहा है नाता
UP Assembly Election 2022 सगड़ी विधानसभा से विधायक वंदना सिंह ने बुधवार को लखनऊ में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के सामने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। बीते वर्ष भी उनके बसपा से दूसरी अन्य दल में जाने की अफवाहों ने सिर उठाया था।
आजमगढ़, जागरण संवाददाता। जिले में सगड़ी विधानसभा से विधायक वंदना सिंह ने बुधवार को लखनऊ में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के सामने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। बीते वर्ष भी उनके बसपा से दूसरी अन्य दल में जाने की अफवाहों ने सिर उठाया था। इस दौरान कई बार उनके सपा में जाने की अफवाहें भी उड़ी थीं। वहीं उनके साथ कांग्रेस विधायक अदिति सिंह ने भी भाजपा की सदस्यता बुधवार को ग्रहण कर ली। वहीं आयोजन के दौरान भाजपा सदस्यता समिति प्रमुख लक्ष्मीकांत बाजपेयी भी मौजूद रहे।
2017 मार्च में विधानसभा चुनाव में बसपा की ओर से वंदना सिंह ने सगड़ी विधानसभा से चुनौती दी थी। यहां से सपा के प्रत्याशी जयराम सिंह पटेल को हराकर विधायक चुनी गईं थीं। सगड़ी की विधायक वंदना सिंह के पति सर्वेश सिंह उर्फ सीपू वर्ष 2007 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े थे और बसपा के मलिक मसूद को हराकर विधायक बने थे। वर्ष 2010 में उन्होंने भी बसपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। वहीं 2012 का विधानसभा चुनाव बसपा के टिकट पर सर्वेश सिंह लड़े मगर सपा प्रत्याशी दुर्गा प्रसाद से हार गए।
सपा से बसपा और अब भाजपा : विधायक वंदना सिंह ने भाजपा ज्वाइन कर लिया है। उनके पति सर्वेश सिंह सीपू वर्ष 2007 में सगड़ी विधानसभा से ही सपा के विधायक चुने गए थे। उनकी हत्या वर्ष 2013 में 19 जुलाई को गोली मारकर कर दी गई थी। उसके बाद वंदना सिंह बसपा से चुनाव लड़ीं तो विधायक चुनी गईं। वर्ष 2012 में वंदना के पति सर्वेश सिंह सीपू सदर विधानसभा तो उनके भाई संतोष सिंह टीपू सगड़ी विधानसभा से बहुजन समाज पार्टी के बैनर तले चुनाव लड़े लेकिन हार गए थे। इनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि भी राजनैतिक रही है। वंदना के श्वसुर रामप्यारे सिंह पहले अजमतगढ़ के ब्लाक प्रमुख थे। उसके बाद वर्ष 2002 में सपा के टिकट पर सगड़ी से ही चुनाव लड़े तो बसपा प्रत्याशी को जीत मिली थी। उसके बाद सपा ने एमएलसी बनाकर उत्तर प्रदेश सरकार में पर्यावरण मंत्री बनाया था। 31 मई 2005 को रामप्यारे सिंह का निधन हुआ तो सर्वेश सिंह सीपू पहली बार विधायक बने। सीपू की हत्या हुई तो वंदना पति की विरासत संभाल उसे आगे बढ़ाने में जुट गईं।
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