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    मीरजापुर में जिंदा अभियुक्त को दारोगा-प्रधान ने दिखाया मृत, न्यायालय को गुमराह करने का आरोप

    By Abhishek sharmaEdited By: Abhishek sharma
    Updated: Mon, 24 Nov 2025 11:32 AM (IST)

    मीरजापुर में एक दारोगा और प्रधान पर आरोप है कि उन्होंने एक जीवित अभियुक्त को मृत दिखाकर न्यायालय को गुमराह किया। इस घटना ने न्यायपालिका की प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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    दोनों आरोप‍ितों पर न्यायालय को गुमराह करने का आरोप लगा है।

    जागरण संवाददाता, मीरजापुर। जिंदा अभियुक्त को मृत घोषित कर गलत रिपोर्ट पेश करने पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट राहुल कुमार सिंह की अदालत ने देहात कोतवाली के दारोगा सुरेश सिंह व नुआंव गांव की ग्राम प्रधान विद्या देवी को नोटिस जारी किया है। दोनों पर न्यायालय को गुमराह करने का आरोप लगा है।

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    दारोगा व ग्राम प्रधान को 25 नवंबर की सुबह साढ़े दस बजे कोर्ट में उपस्थित होकर अपना स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया है। सीजेएम की ओर से भेजी गई नोटिस में कहा गया है कि वर्ष- 1986 में शहर कोतवाली पुलिस ने देहात कोतवाली के नुआवं गांव के रहने वाले शिवशंकर पुत्र सत्यनारायण केवट आदि के खिलाफ मारपीट सहित अन्य आरोपों में मुकदमा दर्ज कर आरोप पत्र न्यायालय में पेश किया गया था।

    इसकी सुनवाई शुरू हुई। अभियुक्त शिवशंकर केवट के विरुद्ध एक नवंबर- 2025 को गैर जमानती वारंट जारी हुआ था। उसे कोर्ट में पेश करने के लिए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सोमेन बर्मा को पत्र लिखा गया था। देहात कोतवाली के दारोगा सुरेश सिंह की ओर से यह आख्या प्रस्तुत की गई कि अभियुक्त शिवशंकर केवट के घर दबिश दी गई लेकिन वह नहीं मिला।

    अभियुक्त शिवशंकर के भाई शंकर की ओर से बताया गया कि छह वर्ष पूर्व हादसे में शिवशंकर की मौत हो चुकी है जबकि शिवशंकर को पुलिस 19 नवंबर- 2025 को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी थी, वह जेल में निरुद्ध है। शनिवार को वह पेशी पर जेल से न्यायालय में आकर उपस्थित हुआ था। कोर्ट ने कहा कि लोक सेवक के कर्तव्यों का निर्वहन न करते हुए दारोगा ने न्यायालय को गुमराह किया।

    उधर नुआंव की प्रधान विद्या देवी ने अपने लेटर पैड पर लिखकर पुलिस को दिया कि शिवशंकर की छह वर्ष पूर्व मौत हो चुकी है। कोर्ट ने ग्राम प्रधान से पूछा है कि बिना जाने और जांच किए किसी का मृत्यु प्रमाण पत्र कैसे जारी कर दिया गया जबकि अभियुक्त अभी जेल में बंद है।