काशी में बलिदानियों के नाम दीपमालिका सजाने को उमड़ेगा लघु भारत
काशी में शहीदों के सम्मान में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में 'लघु भारत' के लोग बलिदानियों के नाम पर दीपमालिका सजाएंगे। यह आयोजन शहीदों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का एक अनूठा तरीका है, जिसकी तैयारी जोर-शोर से चल रही है। बड़ी संख्या में लोगों के भाग लेने की उम्मीद है।

दैनिक जागरण के तत्वावधान में 17 अक्टूबर को जलेगा ‘एक दीया बलिदानियों के नाम’।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। बात जब देश की आन-बान-शान के लिए अपना बलिदान देने वाले मातृभूमि के अमर सपूतों की हो तो भला देशभक्ति की रसधार से भरा हर स्वाभिमानी भारतीय हृदय उमड़ पडेगा। यही दृश्य उपस्थित हाेने वाला है शुक्रवार की शाम को, पुलिस लाइन के मैदान मे, जब अमर बलिदानियों के नाम एक दीप जलाने को पूरी काशी उमडेगी और वहां काशी के लघु भारत का स्वरूप दिखेगा। इस आयोजन में भाग लेने के लिए काशी का प्रत्येक वर्ग उत्सुक व उत्साहित है।
अनेक सामाजिक, धार्मिक, शैक्षिक, कर्मचारी व पेशेवर संगठनों के लोग, शासन-प्रशासन के प्रतिनिधि वहां उपस्थित हाेंगे। पुलिस कमिश्नरेट के अधिकारियों, जवानों, उनके स्वजनों, प्रशासनिक अधिकारियों के परिजनों व सभी काशीवासियों के हाथों से वहां जब फूटेगी 1.51 लाख दीपों की आभा तो बलिदानियों के स्वजनों के मन का दुख, पीड़ा भी उसकी रोशनी में बह जाए, सभी करेंगे ऐसी कामना। पूरी तरह से देशभक्ति से ओतप्राेत इस महाआयाेजन में भाग लेने के लिए काशी का प्रत्येक समुदाय आगे आने लगा है।
अधिवक्ता, शिक्षक, शिक्षार्थी, चिकित्सक, पुलिस अधिकारी, प्रशासनिक अधिकारी, रेलवे सहित प्रत्येक विभाग के लोग, मारवाड़ी समाज, सिंधी समाज, अग्रवाल समाज, बंग समाज, माहेश्वरी समाज, मराठी समाज, आंध्र, तेलुगु, कन्नड़, तमिल, गुजराती, ओडिशी, पंजाबी, खत्री, मैथिली आदि तमाम समाजों, वर्गों के लोग अपनी-अपनी पारंपरिक वेशभूषा में वहां उपस्थित होकर एक दीप जला बलिदानियों को अपनी श्रद्धांजलि तो देंगे ही, अपनी-अपनी भाषा में देशभक्ति पर आधारित लोकनृत्यों, गीतों के माध्यम से बलिदानियों की अमर गाथा भी गाएंगे।
इसके लिए सभी वर्गों, समाजों के लोगों ने उत्साहपूर्वक अपनी तैयारियां आरंभ कर दी हैं। ...तो आप भी आइए, 17 अक्टूबर की शाम चार बजे पुलिस लाइन और एक दीप जलाइए उन बलिदानियों के नाम जिन्होंने आपकी रक्षा के लिए, देश की सुरक्षा के लिए सीमा पर मुस्कुराते हुए दे दी अपनी जान।
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