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    प्रायश्चित के साथ शुरू हुआ मणि मंदिर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव, करपात्री महाराज के धर्मसंघ में आयोजन

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    Updated: Mon, 24 Feb 2020 10:32 AM (IST)

    पूरे विश्व में सनातन धर्म का पताका फहराने वाले धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज की तपोस्थली धर्मसंघ में मणि मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव प्रायश्चित के साथ शुरू हो गया।

    प्रायश्चित के साथ शुरू हुआ मणि मंदिर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव, करपात्री महाराज के धर्मसंघ में आयोजन

    वाराणसी, जेएनएन। पूरे विश्व में सनातन धर्म का पताका फहराने वाले धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज की तपोस्थली धर्मसंघ में मणि मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव प्रायश्चित के साथ शुरू हो गया। इसमें भाग लेने के लिए देश-विदेश के श्रद्धालु आ रहे हैं। रविवार को दिनभर मंदिर परिसर को फूलों और बिजली के झालरों से सजाने के लिए कारीगर लगे रहे।

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    दुर्गाकुण्ड स्थित धर्मसंघ शिक्षा मंडल के प्रागण में मणि मंदिर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के पहले दिन यजमानों द्वारा विधि-विधान से प्रायश्चित किया गया। शाम को धर्मसंघ पीठाधीश्वर स्वामी शकरदेव चैतन्य ब्रह्मचारी जी महाराज द्वारा दीप प्र“वलन कर महोत्सव का औपचारिक शुभारंभ किया गया। महोत्सव के पहले दिन वैदिक आचार्य पं. लक्ष्मी कान्त दीक्षित के आचार्यत्व में प्रायश्चित का विधान कराया गया। उसके बाद यजमानों द्वारा ठाकुर जी का दूध, दही, घी, मधु, गोबर, गौमूत्र, भस्म आदि से दसविधि स्नान कराया गया। तत्पश्चात षोडशोपचार विधि से विष्णु पूजन किया गया। अंत में शुक्ल यर्जुवेद के मंत्रों द्वारा हवन कर प्रायश्चित विधि संपन्न कराई गई। यजमान में मुख्य रूप से गिरीश चंद्र तिवारी, रवि दीक्षित, विष्णुदेव तिवारी, रमेश ओझा आदि रहे। आहुतियों के लिए बनाए गए हैं 33 कुंड प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के अवसर पर अतिरूद्र महायज्ञ सोमवार से शुरू हो जाएगा। इसके लिए 33 कुंड बनाये गये हैं जिसमें 200 वैदिक भूदेव 25 लाख वेदमंत्रों से संपूर्ण परिसर को अभिसिंचित करेंगे। इसके पूर्व प्रात: साढे आठ बजे धर्मसंघ से जलयात्रा निकाली जाएगी जो अस्सी घाट पहुंचेगी। वहां से कलश में जल भरकर यात्रा वापस धर्मसंघ आकर समाप्त होगी। इसके बाद साढ़े दस बजे श्रद्धालुओं का मंडप प्रवेश कराया जाएगा।

    दोपहर बाद दो बजे अरणि मंथन से अग्नि प्रज्वलित कर यज्ञ कुंड में आहूतियां प्रारम्भ हो जायेंगी। प्रायश्चित करना है जरूरी महोत्सव के मुख्य यजमान धर्मसंघ के महामंत्री पं. जगजीतन पांडेय ने बताया कि देव विग्रह की स्थापना अथवा महायज्ञ के पूर्व प्रायश्चित करने का शास्त्रों में विधान वर्णित है। ज्ञात और अज्ञात पाप से मुक्ति और देवत्व प्राप्ति करने के लिए पूर्व पापों से निवृत्त होना अनिवार्य होता है। इसी प्रक्त्रिया को धर्मशास्त्र में प्रायश्चित कहा गया है। सायंकाल होंगे विविध आयोजन प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के दूसरे दिन विविध आयोजन होंगे। इसमें सायकाल चार बजे से धर्मसंघ में ही जगद्गुरू रामानन्दाचार्य विद्याभास्कर महाराज का प्रवचन और श्रद्धालुओं द्वारा संर्कीतन होगा। साय 7.30 से वृन्दावन से आई मंडलीय द्वारा रास लीला का मंचन किया जाएगा।