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    आयुर्वेदिक स्नेहन और स्वेदन देंगे जोड़ों के दर्द से आपको राहत, अपनाएं यह उपाय Varanasi news

    By Abhishek SharmaEdited By:
    Updated: Wed, 03 Jul 2019 08:15 AM (IST)

    भागदौड़ भरी जीवनशैली के कारण आजकल जोड़ों के दर्द की समस्या काफी आम हो गयी है। कुछ वर्षों पहले तक ये समस्या बस उम्रदराज़ लोगों को ही होती थी।

    आयुर्वेदिक स्नेहन और स्वेदन देंगे जोड़ों के दर्द से आपको राहत, अपनाएं यह उपाय Varanasi news

    वाराणसी [कृष्‍ण बहादुर रावत]। भागदौड़ भरी जीवनशैली के कारण आजकल जोड़ों के दर्द की समस्या काफी आम हो गयी है। कुछ वर्षों पहले तक ये समस्या बस उम्रदराज़ लोगों को ही होती थी। लेकिन बदलते रहन सहन, खानपान और खराब दिनचर्या से ये बीमारी आजकल हर उम्र के लोगो में फैलने लगी है। हमारे शरीर के बेहतर काम करने और चलने फिरने के लिए प्रत्येक जोड़ का काफी योगदान रहता है। मगर समय के साथ साथ जोड़ों के बीच में रहने वाला फ्लूइड सूखने लगता है और हड्डियों में घर्षण ज़्यादा होने लगता है जिस कारण दर्द की समस्या उत्पन्न होती है।

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    चौकाघाट स्थित राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय , वाराणसी के कायचिकित्सा एवं पंचकर्म विभाग के वैद्य डॉ अजय कुमार बताते हैं कि जोड़ दर्द में तात्कालिक आराम के लिए पेनकिलर लेकर ठीक किया जा सकता है लेकिन अगर यह दर्द हमेशा रहने लगे तो पेनकिलर की जगह आयुर्वेद के स्नेहन और स्वेदन चिकित्सा विधियों से इलाज़ कराना अधिक बेहतर होता है। आइये और जानते है इन इलाज़ के बारे में वैद्य अजय कुमार से-

    क्या है जोड़ों के दर्द की वजह

    - बार बार चोट लगना

    - एक्सरसाइज न करना

    - वजन बढ़ जाना

    - विटामिन डी और कैल्शियम की कमी हो जाना

    - सेडंटरी लाइफस्टाइल यानी दिन भर ज्यादातर वक्त एक ही जगह बैठे रहना

    - घंटों कंप्यूटर पर काम करना

    - गलत पॉश्चर यानी झुककर बैठना, गलत तरीके से लेटना या चलना

    - घंटों ड्राइव करना

    - बेहद कम तापमान में लंबे समय तक रहना

    - जंक फूड और कोल्ड ड्रिंक का ज्यादा सेवन

    - मोटा या सख्त तकिया इस्तेमाल करना

    किस जोड़ के दर्द करते है अधिक परेशान

    1. सर्वाइकल यानी गर्दन का दर्द - इसका प्रमुख कारण है  सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइसिस । इसमें दर्द सबसे ज्यादा गर्दन को प्रभावित करता है और समय पर इलाज न कराने पर यह दर्द बढ़ता हुआ हाथ और कमर तक पहुंच जाता है।

    2. कमर का दर्द  - यह कई कारणों से होता है जिसमे लम्बर स्पॉन्डिलाइसिस प्रमुख है। यह अक्सर ज्यादा वजन उठाने या किसी नस के खिंचने से होता है। इसमें कमर में एक चुभन-सी महसूस होती है।  कमर दर्द के साथ साइटिका का दर्द भी जुड़ा होता है।

    3. घुटने का दर्द -  अधिक उम्र और अधिक वजन बढ़ने के कारण यह अधिक होता है।

    दर्द है तो क्या सावधानी बरतनी चाहिए

    - विशेषज्ञ की देखरेख में ही एक्सरसाइज और योग का प्रशिक्षण लेकर नियमित करना चाहिये।

    - घुटनों को मोड़ने से बचें और अधिक देर तक पालथी मारकर न बैठें।

    - जमीन पर बैठने से बचें। जमीन पर बैठने के दौरान घुटनों पर दबाव बढ़ता है।

    - 15-20 मिनट से ज्यादा एक ही पोजिशन में बैठने से बचें।और एक जगह पर खड़े तो 5-10 मिनट से ज्यादा बिल्कुल न हों।

    - ऑफिस में हर आधे घंटे या एक घंटे में सीट छोड़कर 5-7 मिनट के लिए घूमे-फिरें।

    - महिलाएं ऊंची हील की सैंडिल पहनने से बचें। इससे एड़ी़, घुटने और पिंडलियों के साथ कमर पर भी असर पड़ता है।

    - जिन्हें सर्दियों में दर्द परेशान करता हो, वे सर्दियों में या ठंडी के मौसम में पूरे गर्म कपड़े पहन कर रहे।

    आयुर्वेदिक स्नेहन और स्वेदन

    आयुर्वेद में जोड़ों के दर्द के लिए स्नेहन और स्वेदन सबसे प्राचीन और चमत्कारी चिकित्सा विधि है। आयुर्वेद में दर्द का प्रधान कारण वात दोष को माना जाता है। ये दोनो चिकित्सा विधियां वात को शीघ्रता से नष्ट कर देती है और दर्द में तुरत आराम मिल जाता है। अब विस्तार से जानते है इन दोनों के बारे में -

    1. स्नेहन- आयुर्वेदिक तेल से स्नेहन और उसके बाद स्वेदन कर इस समस्या से निपटा जा सकता है।आयुर्वेदिक स्नेहन कई शारीरिक कष्ट को दूर करता है। स्नेहन में बाह्य तथा अभ्यंतर दो प्रकार होते हैं। बाह्य स्नेहन में अभ्यंग, शिरोधारा, नेत्र तर्पण, कटिबस्ति, उरोवस्ति, जानुवस्ति आदि क्रियाएं आती हैं जो भिन्न-भिन्न रोगों में लाभकारी होती हैं। आभ्यंतर स्नेहन में औषधि युक्त घी या तेल रोगी को पिलाया जाता है।

    2.स्वेदन- इस प्रक्रिया से शरीर से स्वेद अर्थात पसीना निकलता है तथा दोषों का निष्कासन त्वचा मार्ग से होता है। इस प्रक्रिया में औषधि युक्त काढ़े से भाप दिया जाता है अथवा कपड़े, पत्थर या रेत से गर्मी देकर स्वेदन कर्म कराया जाता है। गर्मी पाकर जकड़े हुए जोड़ ढीले पड़ जाते है और शीघ्र ही आराम मिलता है।

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