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    महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में तेजी से बढ़ रही बांझपन की समस्या, बताई यह बड़ी वजह

    वाराणसी में बिरला फर्टिलिटी एंड आईवीएफ ने तीसरी वर्षगांठ मनाई। सेंटर हेड डा. दीपिका मिश्रा ने बताया कि पुरुषों में बांझपन की समस्या तेजी से बढ़ रही है अब महिला और पुरुष दोनों में इनफर्टिलिटी का अनुपात 5050 हो गया है। पर्यावरण प्रदूषण और तनाव जैसे कारणों से प्रजनन स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है।

    By Mukesh Chandra Srivastava Edited By: Abhishek sharma Updated: Sat, 23 Aug 2025 06:02 PM (IST)
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    अब मरीजों को दिल्ली या मुंबई जाने की आवश्यकता नहीं है।

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। महिलाओं की अपेक्षा इनदिनों पुरुषों में बांझपन की समस्या तेजी से बढ़ रही है। अधिक पर्यावरण प्रदूषण, अधिक मानसिक तनाव, अनियमित नींद, खराब खान-पान, जंक फूड का सेवन, धूम्रपान जैसी आदतें प्रजनन स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर रही हैं।

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    आज पुरुष और महिला दोनों में इनफर्टिलिटी का अनुपात 50:50 हो गया है, जबकि करीब एक दशक पहले यह 60:40 था। यह कहना है बिरला फर्टिलिटी एंड आईवीएफ की सेंटर हेड एवं कंसल्टेंट डा. दीपिका मिश्रा का। वह सेंटर पर शुक्रवार को प्रेसवार्ता के दौरान बोल रही थी। सेंटर की तीसरी वर्षगांठ मनाई गई। इसमें उन्होंने यहां की सुविधाओं के बारे में बताया। इस मौके पर डा. प्रगति भारती ने भी विचार रखे।

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    बिरला फर्टिलिटी एंड आईवीएफ, वाराणसी ने आज अपनी तीसरी वर्षगांठ मनाई। इस अवसर पर पूर्वी उत्तर प्रदेश में आधुनिक फर्टिलिटी उपचार को मरीजों तक पहुँचाने की अपनी यात्रा को रेखांकित किया गया। इस अवसर पर बिरला फर्टिलिटी एंड आईवीएफ वाराणसी की सेंटर हेड एवं कंसल्टेंट डा. दीपिका मिश्रा ने मीडिया को संबोधित किया और केंद्र की प्रगति, भविष्य की योजनाओं और फर्टिलिटी संबंधी बढ़ती जागरूकता पर अपने विचार साझा किए।

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    कहा कि मरीजों को विशेष उपचार के लिए दिल्ली या मुंबई न जाना पड़े इसका ध्यान रहता है। टाइम-लैप्स मशीन जैसी अत्याधुनिक तकनीकों के माध्यम से, जिससे भ्रूण के विकास को रियल-टाइम में देखा जा सकता है, हम फर्टिलिटी ट्रीटमेंट को न केवल अधिक प्रभावी बल्कि सुविधाजनक और पारदर्शी भी बनाना चाहते हैं। डॉ. मिश्रा ने फर्टिलिटी से जुड़ी चुनौतियों और उपचार में बदलते रुझानों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि पहले यह माना जाता था कि 35 वर्ष की आयु के बाद ही लोग आईवीएफ का सहारा लेते हैं, लेकिन अब 25-28 वर्ष की उम्र के अधिक दंपति इलाज के लिए आ रहे हैं।

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    उन्होंने यह भी जोर दिया कि इनफर्टिलिटी अब केवल महिलाओं तक सीमित समस्या नहीं है। आज पुरुष और महिला दोनों में इनफर्टिलिटी का अनुपात 50:50 हो गया है, जबकि करीब एक दशक पहले यह 60:40 था। इनफर्टिलिटी के कारणों पर बात करते हुए डा. मिश्रा ने कहा कि पर्यावरण प्रदूषण, तनाव, अनियमित नींद, खराब खान-पान, जंक फूड का सेवन और धूम्रपान जैसी आदतें प्रजनन स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर रही हैं। बिरला फर्टिलिटी एंड आईवीएफ में हमारा समग्र (होलिस्टिक) दृष्टिकोण केवल चिकित्सीय उपचार तक सीमित नहीं है, बल्कि हम मनोवैज्ञानिक और जीवनशैली परामर्श भी प्रदान करते हैं ताकि परिणाम बेहतर हो सकें।

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