महात्मा गांधी ने बीएचयू के मेधावी छात्र रहे बाबू जगजीवन राम को दिया था संविधान का मूल मंत्र
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने बीएचयू के ही मेधावी छात्र रहे बाबू जगजीवन राम को संविधान निर्माण का मूल मंत्र दिया था। बापू ने वह मंत्र देते हुए कहा था कि भारत की कानून-व्यवस्था इसी मंत्र के इर्द-गिर्द होगी तो ही समाज व व्यक्ति का कल्याण हो सकेगा।

वाराणसी, जेएनएन। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने बीएचयू के ही मेधावी छात्र रहे बाबू जगजीवन राम को संविधान निर्माण का मूल मंत्र दिया था। बापू ने वह मंत्र देते हुए कहा था कि भारत की कानून-व्यवस्था इसी मंत्र के इर्द-गिर्द होगी तो ही समाज व व्यक्ति का कल्याण हो सकेगा। इसे गांधी जी की ताबीज भी कहते हैं, जिसके बाद अंत्योदय और सर्वोदेय की भावना का भारत में उदय हुआ। वर्ष 1946 में संविधान सभा गठित होने के बाद सभा के सदस्य व बीएचयू के छात्र रहे बाबू जगजीवन राम संविधान निर्माण के लिए बापू का आशीर्वचन लेने आए।
महात्मा गांधी ने ऐसी बात कही कि जगजीवन राम की आंखों में आंसू आ गए। उन्होंने कहा कि जब कभी स्वयं को किसी संदेह से घिरा पाओ तो उस निर्धन व्यक्ति के मुख का स्मरण करो, जो सबसे दीन-हीन लगा हो। अपनी अंतरात्मा से पूछो कि जो कदम उठाने पर तुम विचार कर रहे हो, वह उस इंसान के जीवन में कैसे उजाला ला सकेगा, क्या इस कार्य से उसका कोई लाभ होगा। इस निर्णय से क्या उसके जैसे उन करोड़ों-करोड़ों लोगों को स्वराज मिल सकेगा, जिनके पेट खाली और आत्मा अतृप्त है। इसके बाद तुम यह पाआगे कि तुम्हारा संदेह मिट रहा है और अहम समाप्त होता जा रहा है। इसके बाद वह लौटकर बापू का संदेश सुनाए जो कि संविधान का मूल बन गया।\\Bसंविधान एक चौथाई सदस्य बीएचयू व बनारस से\\Bसंविधान सभा के करीब एक चौथाई सदस्य किसी न किसी तरह बीएचयू से ही जुड़े थे। ज
गजीवन राम के साथ ही आचार्य नरेंद्र देव, जेबी कृपलानी, गोविंद मालवीय, भगवानदास, जी दुर्गाबाई, कमलापति त्रिपाठी, दामोदर स्वरूप सेठ व कृष्ण चंद्र शर्मासमेत कई ऐसे सदस्य थे, जो बनारस और बीएचयू से जुड़े थे। बीएचयू में सामाजिक विज्ञान संकाय के पूर्व प्रमुख प्रो. आर पी पाठक बताते हैं कि पुस्तक
कांस्टीट्यूशनल डेवलपमेंट एंड नेशनल मूवमेंट आफ इंडिया के अनुसार संविधान सभा के 389 सदस्यों में से बीएचयू व बनारस से कुल 89 व्यक्ति जुड़े थे। गौरव की बात यह है कि ऐसी नजीर किसी दूसरे विश्वविद्यालय या शहर ने प्रस्तुत नहीं की है। उन्होंने बताया कि बाकी के नामों की खोज जारी है। बीएचयू में इनमें से कई सदस्यों के नाम पर छात्रावास और पीठ भी स्थापित हैं, जिनमें आचार्य नरेंद्र देव, भगवानदास व बाबू जगजीवन राम पीठ आदि शामिल है।
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