Mahashivratri 2021 : इस बार शिवयोग में होगा शिव का विवाहोत्सव, प्रदोष व रात्रि में सिद्ध योग का दुर्लभ संयोग
इस बार महाशिवरात्रि 11 मार्च को मनाई जाएगी। फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी तिथि 11मार्च को दिन के 2.21 बजे तक है। त्रयोदशी की उदया तिथि में शिवयोग तो प्रदोष व रात्रि में सिद्ध योग का दुर्लभ संयोग होगा। ऐसे संयोग यदाकदा मिलते हैं।

वाराणसी, जेएनएन। देवाधिदेव महादेव भगवान आशुतोष को प्रसन्न करने के लिए फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को महाशिवरात्रि मनाने की परंपरा हैै। इस बार महाशिवरात्रि 11 मार्च को मनाई जाएगी। फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी तिथि 11मार्च को दिन के 2.21 बजे तक है। उसके बाद फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि 2.22 बजे लग रही है। जो 12 मार्च को 2.20 बजे तक रहेगी। इस बार शिवरात्रि अपने आप में बेहद खास होगा। त्रयोदशी की उदया तिथि में शिवयोग तो प्रदोष व रात्रि में सिद्ध योग का दुर्लभ संयोग होगा। ऐसे संयोग यदाकदा मिलते हैं।
महाशिवरात्रि व्रत का पारण 12 मार्च को किया जाएगा। इस दिन काशी में चतुर्दश लिंग पूजा श्री वैद्यनाथ जयंती व कृतिवाशेश्वर के दर्शन का विधान है। इस दिन बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में बाबा के विवाहोत्सव का भी आयोजन किया जाता है। इसमें चारों पहर में बाबा का अलग-अलग अभिषेक किया जाता है। काशी विद्वत परिषद के महामंत्री राम नारायण द्विवेदी के अनुसार शिवरात्रि का अर्थ है वह रात्रि जिसका शिवतत्व के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध है। भगवान शिव जी के अतिप्रिय रात्रि को शिवरात्रि कहा गया है । शिवार्चन और जागरण ही इस व्रत की विशेषता है। इसमें रात्रिभर जागरण एवं रुद्राभिषेक का विधान है। श्रीपार्वतीजी की जिज्ञासा पर भगवान् शिवजी ने बताया कि फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी शिवरात्रि कहलाती है। जो उस दिन उपवास करता है वह मुझे प्रसन्न कर लेता है। मैं अभिषेक, वस्त्र, धूप, अर्चन तथा पुष्पादिसमर्पण से उतना प्रसन्न नहीं होता जितना कि व्रतोपवास से। शिवपुराण की कोटिरुद्रसंहिता में बताया गया है कि शिवरात्रि व्रत करने से व्यक्ति को भोग एवं मोक्ष दोनो ही प्राप्त होते हैं। ब्रह्मा विष्णु तथा पार्वती जी के पूछने पर भगवान सदाशिव ने बताया कि शिवरात्रि व्रत करने से महान पुण्य की प्राप्ति होती है। मोक्षार्थी को मोक्ष की प्राप्ति कराने वाले चार व्रतों का नियमपूर्वक पालन करना चाहिए।
ये चार व्रत हैं-
1- भगवान् शिव की पूजा
2- रुद्रमंत्रों का जाप
3- शिवमंदिर में उपवास
4- काशी में देह त्याग
शिवपुराण में मोक्ष के चार सनातन मार्ग बताये गये हैं। इन चारों में भी शिवरात्रि व्रत का विशेष महत्व है। अत: इसे अवश्य करना चाहिए। यह सभी के लिए धर्म का उत्तम साधन है। निष्काम अथवा सकाम भाव से सभी मनुष्यों, वर्णों, आश्रमों, स्त्रियों, बालकों तथा देवताओं आदि के लिये यह महान व्रत परम हितकारक माना गया है । प्रत्येक मास के शिवरात्रि में भी फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी में होने वाले महाशिवरात्रि व्रत का शिवपुराण में विशेष माहात्म्य बताया गया है ।
पूजन विधि : शिवपुराण के अनुसार व्रती पुरुष को प्रात:काल उठकर स्नान- संध्या आदि कर्म से निवृत्त होकर मस्तक पर भस्म का त्रिपुण्ड तिलक लगाकर और गले में रुद्राक्ष माला धारण कर शिवालय में जाकर शिवलिंग का विधिपूर्वक पूजन एवं शिव को नमस्कार करना चाहिए।
शिवरात्रिव्रतं ह्येतत् करिष्येSहं महाफलम्।
निर्विघ्नमस्तु मे चात्र त्वत्प्रसादाज्जगत्पते।
यह कहकर हाथ में लिये पुष्प अक्षत को जल आदि को शिवलिंग पर छोड़ देना चाहिए।
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