Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    वाराणसी में अन्‍नपूर्णा मंदिर के महंत रामेश्‍वरपुरी का निधन, कोरोना संक्रमण के बाद से ही चल रहे थे बीमार

    By Saurabh ChakravartyEdited By:
    Updated: Sat, 10 Jul 2021 08:02 PM (IST)

    वाराणसी के अन्‍नपूर्णा मंदिर के महंत रामेश्‍वरपुरी का निधन शनिवार को दिन में हो गया। विगत कई दिनों वे बीमार चल रहे थे। उनको ग्‍यारह जून को मेदांता अस्‍पताल भर्ती कराया गया। वहां पर उनको वेंटिलेटर पर रखा गया था।

    Hero Image
    वाराणसी के अन्‍नपूर्णा मंदिर के महंत रामेश्‍वरपुरी

    वाराणसी, जागरण संवाददाता। वाराणसी के अन्‍नपूर्णा मंदिर के महंत रामेश्‍वरपुरी का निधन शनिवार को दिन में हो गया। विगत कई दिनों वे बीमार चल रहे थे। उनको ग्‍यारह जून को मेदांता अस्‍पताल भर्ती कराया गया। वहां पर उनको वेंटिलेटर पर रखा गया था। रात में उनकों मेदांता वाराणसी लाकर महमूरगंज स्थित निजी चिकित्सालय भर्ती कराया गया था। जहां उन्‍होंने अंतिम सांस ली। महंत रामेश्वर पुरी दस दिन से वेंटिलेटर पर थे। इधर तीन दिन से शारीरिक गतिविधियां बंद थीं। कह सकते हैं कोमा की स्थिति में थे। दवाओं ने काम करना बंद कर दिया था। डाक्टरों के हाथ खड़े कर देने पर रात में उन्हें एडवांस लाइफ सपोर्ट (एएलएस) एंबुलेंस से बनारस लाया गया। उन्हें 11 जून को गंभीर हाल में लखनऊ के मेदांता हास्पिटल में भर्ती कराया गया था। 67 वर्ष की आयु में उन्होंने अंतिम ली। पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए मंदिर लाया गया है। रविवार की सुबह अंतिम यात्रा मंदिर प्रांगण से निकलेगी।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    महंत रामेश्वर पुरी लखनऊ के मेदांता अस्पताल में बीते माह 11 जून से भर्ती थे और 30 जून से वह वेंटिलेटर सपोर्ट पर चल रहे थे। इससे पूर्व अन्‍नपूर्णा मंदिर के महंत रामेश्‍वरपुरी हरिद्वार में कुंभ स्‍नान के लिए गए थे और वहां पर कोरोना संक्र‍मित होने के बाद पहले नई दिल्‍ली में भर्ती हुए और बाद में उनको लखनऊ मेदांता में भेज दिया गया था। इसके बाद वह ठीक होकर मं‍दिर आकर स्‍वास्‍थ्‍य लाभ कर रहे थे। इसी बीच वह दोबारा बीमार हुए और फेफड़ा और दिल संबंधी समस्‍याओं को देखते हुए उनको दोबारा लखनऊ में भर्ती कराना पड़ा था। उपमहंत शंकर पुरी के मुताबिक, विगत दस दिनों से उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था और उनकी हालत चिंताजनक बनी हुई थी। डॉक्टरों के जवाब देने के बाद शुक्रवार की रात उन्हें मेदांता से लाकर बनारस स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, शनिवार की दोपहर 3.30 बजे उन्होंने मां भगवती का नाम लेते हुए शरीर का त्याग कर दिया।

     

    रामेश्वर पुरी इटावा जिले की पुराने भरथना तहसील के निवासी थे। बारहवीं तक की पढाई के बाद वैराग्य हो गया। दस वर्षों तक असम में साधु-महात्माओं के साथ रहे। गुजरात में अनेक वर्षों तक आश्रम में रह कर संतों की सेवा की। वर्ष 1993 में महानिर्वाण अखाड़ा शिवाला आए। वर्ष 2004 में 2004 में तत्कालीन महंत त्रिभुवन पुरी के निधन के बा उनकों अन्नपूर्णा मंदिर के महंत बनाया गया। उन्हें 17 अक्टूबर 2004 में महानिर्वाणी अखाड़े से संबद्ध श्री अन्नपूर्णा मठ मंदिर की महंती दी गई थी। उनके नेतृत्व में काशी अन्नपूर्णा अन्न क्षेत्र ट्रस्ट निरंतर समाज सेवा क्षेत्र में विस्तार पा रहा है। उनके महंत बनने के समय अन्नक्षेत्र के रूप में ट्र्स्ट का सिर्फ एक प्रकल्प संचालित था आज शिक्षा, चिकित्सा, स्वावलंबन, वृद्धजन सेवा समेत तमाम कार्य किए जा रहे हैं। कोरोना काल में बंदिशों के कारण अन्नक्षेत्र बंद जरूर हो गया लेकिन भोजन के पैकेट तैयार कर पुलिस-प्रशासन समेत विभिन्न संस्थाओं द्वारा इसका जरूरतमंदों में वितरण कराया जाता रहा। महंत रामेश्वर पुरी के निधन पर काशीवासी दुखी हैं। मंदिर क्षेत्र समेत अड़ियों पर उनके सेवा भाव की चर्चा है।  

    श्री काशी विद्वत परिषद ने जताया शोक

    महंत रामेश्वर पुरी के निधन पर श्री काशी विद्वत् परिषद् ने शोक जताया है। अध्यक्ष प्रो. राम यत्न शुक्ल ने शोक जताते हुए कहा कि महंत रामेश्वर पुरी का निधन काशी की संत परंपरा की अपूरणीय क्षति है। महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी ने कहा कि महन्त अन्नपूर्णा मंदिर रामेश्वर पुरी ने मंदिर में अनेकों सामाजिक गतिविधियों का संचालन किया। संस्कृत विद्यालय को उंचाई पर खड़ा किया। उनके जाने से संस्कृत जगत अत्यंत दुखी है।