Updated: Sun, 14 Sep 2025 01:27 PM (IST)
वाराणसी में लंपी स्किन डिजीज का प्रकोप बढ़ रहा है जिससे 90 से अधिक पशु संक्रमित हो चुके हैं। पशुपालन विभाग ने अलर्ट जारी कर टीकाकरण अभियान तेज कर दिया है। काशी विद्यापीठ हरहुआ और बड़ागांव ब्लॉक में स्थिति चिंताजनक है। विभाग टोल फ्री नंबर 1962 पर सहायता प्रदान कर रहा है और पशुपालकों को संक्रमित पशुओं को अलग रखने की सलाह दी गई है।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लंपी स्किन डिजीज (एलएसडी) का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। पिछले 24 घंटों में 10 नए मामले सामने आने से कुल आंकड़ा 90 पार हो चुका है। पशुपालन विभाग ने अलर्ट जारी कर गांव-गांव में फ्री टीकाकरण अभियान तेज कर दिया है।
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क्षेत्रीय पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. लवलेश सिंह ने बताया कि काशी विद्यापीठ ब्लाक के गोविंदपुर, मडांव, ऊंचगांव, ककरहिया, भरथरा और भदवर सहित छह गांवों में अब तक 35 गायें अब तक प्रभावित हो चुकी हैं। विभाग ने इन गांवों में 3,500 से अधिक पशुओं का टीकाकरण पूरा कर लिया है।
शासन से 8,000 अतिरिक्त डोज उपलब्ध कराए गए हैं, जिन्हें ग्रामीण स्तर पर लगाया जा रहा है। लंपी रोग कैप्रिपाक्स वायरस से होता है, जो मच्छरों और मक्खियों के जरिए फैलता है। लक्षण जैसे तेज बुखार, त्वचा पर गांठें, सूजन और भूख न लगना दिखने पर तुरंत संपर्क करें।
वहीं, हरहुआ ब्लाक में स्थिति थोड़ी नियंत्रण में है, लेकिन सतर्कता बरतने की जरूरत है। क्षेत्रीय पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. आशीष वर्मा ने जानकारी दी कि राजापुर, भटोली, घमहापुर, गुरवत, गोसाईपुर और महदेपुर आदि गांवों में 20 गाएं संक्रमित पाई जा चुकी हैं।
उपचार के बाद अधिकांश ठीक हो चुकी हैं, लेकिन दो नए मामले सामने आए हैं। विभाग ने यहां 2,000 पशुओं को वैक्सीन दी है। पशुपालकों को सलाह दी जा रही है कि संक्रमित पशुओं को अलग रखें और चराने न छोड़ें। घरेलू उपाय के तौर पर तुलसी, अदरक और गुड़ का मिश्रण खिलाएं। बड़ागांव ब्लाक में सबसे ज्यादा चिंता का विषय है।
पशु चिकित्साधिकारी डॉ. आशीष सिंह के अनुसार, चकखरावन, खरावन, पचरासी, ईटहा, कुड़ी, रतनपुर, बड़ागांव, नेवादा, बरहीकला, बलरामपुर और करमपुर सहित 16 गांवों में 55 गाएं प्रभावित हो चुकी हैं।
छोटे उम्र के बछड़ों में यह बीमारी ज्यादा देखी जा रही है। अब तक 6,000 गोवंशों का टीकाकरण हो चुका है। मौसम की वजह से नमी बढ़ने से कीटों का प्रकोप हो रहा है, जो रोग फैला रहे हैं। पशुपालक घावों पर कपूर-नारियल तेल का लेप लगाएं। सेवापुरी ब्लाक में भी 20 पशु प्रभावित हो चुकी हैं।
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में समस्या और गंभीर है, जहां चकत्ते और गांठें भयावह रूप ले रही हैं। पशुपालक परेशान हैं, क्योंकि दूध उत्पादन घटने से उनकी आय प्रभावित हो रही है।
एक पशुपालक रामू यादव ने कहा, हमारी तीन गायें बीमार हैं, दूध 10 लीटर से घटकर चार रह गया। टीका तो लगवा लिया, लेकिन दवाओं की कमी है।
टोल फ्री नंबर पर करें कॉल
पशुपालन विभाग ने जागरूकता अभियान चलाया है। टोल-फ्री नंबर 1962 पर 24 घंटे सहायता उपलब्ध है। किसी झोलाछाप से इलाज की बजाए पशुपालकों से अपील है कि लक्षण दिखने पर नजदीकी पशु चिकित्सालय पहुंचें। विभाग का प्रयास है कि जिले को जल्द रोग मुक्त बनाया जाए। -डॉ. डीएन श्रीवास्तव, प्रभारी, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी वाराणसी।
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