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जलेबी के साथ यहां सब्जी मुफ्त में देते हैं हलवाई, सैकड़ों कुंतल जलेबी की रोज हो जाती है खपत

रानीगंज के निकट सुदिष्टपुरी में अगहन सूदी पंचमी एक महीने तक चलने वाले ऐतिहासिक सुदिष्ट बाबा के मेले में सब्जी संग जलेबी खाने की अनोखी परंपरा है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Fri, 06 Dec 2019 02:31 PM (IST)Updated: Fri, 06 Dec 2019 07:09 PM (IST)
जलेबी के साथ यहां सब्जी मुफ्त में देते हैं हलवाई, सैकड़ों कुंतल जलेबी की रोज हो जाती है खपत
जलेबी के साथ यहां सब्जी मुफ्त में देते हैं हलवाई, सैकड़ों कुंतल जलेबी की रोज हो जाती है खपत

बलिया, जेएनएन। रानीगंज के निकट सुदिष्टपुरी में अगहन सूदी पंचमी एक महीने तक चलने वाले ऐतिहासिक सुदिष्ट बाबा के मेले में सब्जी संग जलेबी खाने की अनोखी परंपरा है। यहां सुदिष्ट बाबा के दर्शन करने या मेला घूमने या खरीदारी करने जो भी आता है, सब्जी के साथ जलेबी का स्वाद लेना नहीं भूलता। आलम यह है कि प्रतिदिन इस मेले में सैकड़ों कुंतल जलेबी की बिक्री हो जाती है। वहीं दूर दराज से आकर दु‍कान सजाने वाले हलवाई भी जलेबी संग सब्जी मुफ्त में देते हैं।

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जानकार लोगों का कहना है कि सैकड़ों वर्ष पूर्व सुदिष्ट बाबा धनुष यज्ञ का आयोजन करते थे। यहां गरीब कन्याओं का सामूहिक विवाह भी संपन्न होता था। उस समय सुदिष्ट बाबा इस मेले में शामिल होने वाले साधु-संतों सहित आम लोगों को पूड़ी, जलेबी और सब्जी खिलाते थे। सुदिष्ट बाबा के समाधिस्थ होने के बाद से मेले का स्वरूप आध्यात्मिक की जगह धीरे-धीरे भौतिकवादी होने लगा। पूड़ी, जलेबी और सब्जी की जगह जलेबी और सब्जी खाने की परंपरा शुरू हो गई। पूरे उत्तर भारत में यह एकमात्र मेला है, जहां जलेबी संग सब्जी का लुत्फ लोग उठाते हैं। मेले के एक तिहाई क्षेत्रफल में जलेबी व मिठाई की दुकानें होती है, शेष दो तिहाई में दो अन्य तरह की दुकानें। विगत एक दिसंबर से शुरू इस मेले में अभी अन्य तरह की दुकानें पूरी तह सजी भी नहीं है कि जलेबी, सब्जी की बिक्री शुरू हो गई।

इस मेले में क्षेत्रीय लोगों के अलावा बलिया, छपरा, सीवान, भोजपुर अौर बक्सर जनपदों के श्रद्धालु आते हैं। सुदिष्ट बाबा के दर्शन पूजन कर जलेबी, सब्जी का आनंद लेकर चले जाते हैं। ऐसा नहीं है कि ग्रामीण इलाके के लोग या कम पढ़े-लिखे लोग इस मेले में जलेबी, सब्जी का आनंद लेते हैं बल्कि आइएएस, आइपीएस, पीसीएस अफसर जो इस क्षेत्र के रहने वाले हैं, इस मेले में जलेबी-सब्जी का आनंद लेना नहीं भूलते। आधुनिकता के बीच परंपरागत इस मेले में इंजीनियर, डाक्टर, विधायक, सांसद भी पीछे नहीं रहते हैं। यहां जलेबी संग सब्जी खाने की परंपरा को लोग अपनी प्रतिष्ठा और मान से भी जोड़कर देखते हैं।


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