सपा कार्यालय अर्दली बाजार में लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती का आयोजन
समाजवादी पार्टी कार्यालय, अर्दली बाजार में लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती मनाई गई। कार्यकर्ताओं ने उनके चित्र पर माल्यार्पण किया और उनके योगदान को याद किया। वक्ताओं ने उनके जीवन और आदर्शों पर प्रकाश डाला, और सपा कार्यकर्ताओं ने उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया। उन्होंने समाज में समानता और न्याय स्थापित करने के लिए संघर्ष करने की बात कही।

लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती धूमधाम से मनाई गई।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। आज समाजवादी पार्टी कार्यालय अर्दली बाजार में लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती धूमधाम से मनाई गई। इस अवसर पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें स्वतंत्रता आंदोलन और समाजवादी आंदोलन में उनके योगदान पर चर्चा की गई।
विचार गोष्ठी को संबोधित करते हुए जिलाध्यक्ष सुजीत यादव लक्कड़ ने कहा कि जयप्रकाश नारायण जी ने "सम्पूर्ण क्रांति" का नारा दिया था। उनका उद्देश्य समाज के सबसे अधिक दबे-कुचले व्यक्तियों को सत्ता के शीर्ष पर देखना था। सम्पूर्ण क्रांति में सात क्रांतियाँ शामिल हैं: राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, बौद्धिक, शैक्षणिक और आध्यात्मिक क्रांति। इन सभी क्रांतियों को मिलाकर सम्पूर्ण क्रांति का निर्माण होता है।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए जिला प्रवक्ता संतोष यादव बबलू एडवोकेट ने कहा कि जयप्रकाश नारायण जी का मानना था कि भ्रष्टाचार को समाप्त करना, बेरोजगारी को दूर करना और शिक्षा में क्रांति लाना जैसी समस्याएँ वर्तमान व्यवस्था में हल नहीं हो सकतीं। ये सभी समस्याएँ इस व्यवस्था की उपज हैं और तभी समाप्त होंगी जब सम्पूर्ण व्यवस्था में परिवर्तन किया जाए। इसके लिए क्रांति की आवश्यकता है।
इस विचार गोष्ठी में प्रमुख रूप से सर्वश्री अखिलेश यादव, बालकिशुन पटेल, डाक्टर नन्दलाल कन्नौजिया, मनोज यादव गोलू, शिव प्रसाद गौतम, राजेंद्र प्रसाद, रामकुमार यादव, रामसिंह भारद्वाज, जय प्रकाश पटेल, राजू यादव, धर्मवीर पटेल, विनोद सिंह पटेल, अयाज खान और विनोद शुक्ला ने अपने विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता जिलाध्यक्ष सुजीत यादव लक्कड़ ने की, जबकि संचालन का कार्य संतोष यादव बबलू एडवोकेट ने किया। इस अवसर पर उपस्थित सभी नेताओं ने जयप्रकाश नारायण जी के विचारों और उनके योगदान को याद किया और उनके आदर्शों को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया। इस प्रकार, यह कार्यक्रम न केवल जयप्रकाश नारायण जी की जयंती को मनाने का एक माध्यम था, बल्कि समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी था।
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